जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली : दिल्ली विधानसभा के 20 विधायकों की सदस्यता लाभ के पद मामले में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा रद्द कर दिये जाने के बाद दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली वासियों को एक भावुक पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने आरोप लगाया है कि ये लोग अरविंद केजरीवाल सरकार को काम नहीं करने देना चाहते हैं, इसलिए ऐसा किया गया है. इस पत्र के माध्यम से सिसोदिया जनता को लुभाना भी चाहते हैं और चुनावी फायदे के लिए उनकी सहानुभूति भी बटोरना चाहते हैं. मनीष सिसोदिया ने इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी सरकार को जिम्मेवार ठहराया है.
मनीष सिसोदिया ने पत्र में लिखा है कि मेरे प्यारे दिल्लीवासी आज इस खुले पत्र के माध्यम से मैं आपसे बात करना चाहता हूं. मन दु:खी है. पर निराश नहीं हूं. क्योंकि मुझे आप पर भरोसा है. दिल्ली के और देश के लोग मेरी आशा हैं.
सिसोदिया ने पत्र में इस बात का उल्लेख किया है कि किस तरह तीन साल पहले दिल्ली की जनता ने उनकी पार्टी को 70 में 67 सीटों पर जीत दिलाई. इनमें से 20 विधायकों को लाभ के पद मामले में बरर्खास्त कर दिया गया.
मनीष सिसोदिया ने पत्र लिखा है कि हमने जिन 20 विधायकों को संसदीय सचिव बनाया था उन्हें अलग-अलग जिम्मेवारियां दी गयी थीं. कोई विधायक स्कूल जाकर देखता था कि टीचर आए हैं या नहीं, कोई सरकारी स्कूल जाकर देखता था तो कोई मोहल्ला क्लीनिक की जिम्मेवारी संभालता था और आवश्यकता पड़ने पर जरूरी कदम उठाता था.
मनीष सिसोदिया के पत्र के मुताबिक, इनमें से किसी को सरकारी गाड़ी नहीं दी गयी, किसी को कोई बंगला नहीं दिया गया और न ही एक नया पैसा तनख्वाह के रूप में दिया गया. उन्हें कुछ नहीं दिया गया और वे सभी अपने पैसे खर्च करके ये काम करते थे, जो आंदोलन से आये थे. ऐसे में इनका पद लाभ का पद कैसे हो गया?
मनीष सिसोदिया ने पत्र में लिखा है कि केंद्र सरकार जनता के साथ अन्याय कर रही है और 20 विधायकों को सुनवाई के बिना बर्खास्त कर दिया गया, जबकि 23 जून को पत्र लिख कर चुनाव आयोग ने इन्हें कहा था कि आपको सुनवाई की तारीख दी जाएगी.
आप नेता ने भाजपा सरकार पर अरविंद केजरीवाल पर सीबीआइ रेड करवाने और परेशान करने का आरोप लगाया. उन्होंने केजरीवाल सरकार की 400 फाइलों की जांच करने का उल्लेख किया है. उन्होंने लिखा है कि 18 विधायकों को झूठे मुकदमे में गिरफ्तार किया गया, जब कोर्ट पेशी हुई तो सबको छोड़ दिया गया.
मनीष सिसोदिया ने पत्र में दिल्ली सरकार के कामकाज का उल्लेख किया है और कहा है कि हमने 309 कालोनियों में पाइप बिछा कर घर-घर पानी पहुंचाया, सरकारी स्कूलों का कायापलट किया, प्राइवेट स्कूलों की बढ़ी फीस वापस दिलवाई, मोहल्ला क्लीनिक बनाया, सभी अस्पतालों में दवा व टेस्ट मुफ्त कर दिये, बिजली की कीमत नहीं बढ़ने दी, कई कॉलोनियों में गली और नली बनवाया. उन्होंने उन कामों का उल्लेख किया है जो अगले दो सालों में अरविंद केजरीवाल सरकार करने वाली है, लेकिन अब चुनाव आचार संहिता लगने पर उसमें दिक्कत आने का उन्होंने उल्लेख किया है और लिखा है कि इसमें जनता के पैसे की बर्बादी होगी.
मनीष सिसोदिया ने लिखा है कि अब 20 सीटों पर चुनाव होगा और फिर लोकसभा चुनाव आ जाएगा और उसके बाद दिल्ली विधानसभा चुनाव. ऐसे में दिल्ली का विकास कार्य प्रभावित होगा. उन्होंने सवाल उठाया है कि क्या यह गंदी राजनीति नहीं है क्या दिल्ली को इस तरह चुनावों में धकेलना ठीक है? क्या दिल्ली के सारे विकास कार्यों को दो साल तक ठप करना सही है? क्या इस तरह गैर संवैधानिक और गैर कानूनी तरीके से अपने चुने हुए विधायकों को बर्खास्त करना सही है. उन्होंने अंत में लिखा है कि मुझे आपसे उम्मीद है कि आप जरूर सही और असरदार जवाब देंगे.