जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । लाभ के पद से सदस्यता गंवाने वाले आम आदमी पार्टी (AAP) के 20 विधायकों के भविष्य पर सस्पेंस बना हुआ है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने रविवार को चुनाव आयोग की सिफारिश पर मुहर लगाते हुए 20 विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी थी. इसकी बाकायदा अधिसूचना भी जारी की जा चुकी है. इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट का रुख करने वाली आम आदमी पार्टी सुप्रीम कोर्ट तक लड़ाई लड़ने की बात कह रही है. आखिर आप के इन 20 विधायकों अब होगा क्या? उनके पास अब क्या आखिरी रास्ता बचा है, आइए आपको बताते हैं.
1 – लीगल एक्सपर्ट्स के मुताबिक आम आदमी पार्टी के इन 20 विधायकों के पास अब कानूनी रास्ता ही बाकी बचा है. आप के विधायक अपने मौलिक अधिकारों के कथित उल्लंघन किए जाने की शिकायत लेकर हाई कोर्ट या फिर सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकते हैं.
2 – ये विधायक संविधान के अनुच्छेद-32 और अनुच्छेद-226 के हवाला देते हुए आदेश की कानूनी वैधानिकता और उनका पक्ष सुने न जाने की दलील देते हुए उनकी सदस्यता रद्द किए जाने के फैसले को चुनौती दे सकते हैं.
3- बता दें कि जूडिशरी के पास राष्ट्रपति के आदेशों पर पुनर्विचार का अधिकार है. कोर्ट यह जांच सकता है कि क्या फैसला दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन अधिनियम, 1991 का उल्लंघन तो नहीं है.
4- यदि कोर्ट पाता है कि आदेश बिना प्रक्रिया के जारी किया गया है या फिर उसमें नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत का उल्लंघन हुआ है, तो वह उसे रद्द कर सकता है.
5- हाई कोर्ट ने संसदीय सचिवों की नियुक्ति को रद्द कर दिया था. इसके बावजूद चुनाव आयोग ने ऐडवोकेट प्रशांत पटेल की शिकायत पर सुनवाई जारी रखी. ऐसे में चुनाव आयोग के इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचे कुछ आप विधायकों की याचिका पर भी सुनवाई जारी रह सकती है.
6- इसके अलावा रविवार के राष्ट्रपति के आदेश के संदर्भ में विधायकों की तरफ से एक अलग याचिका भी दाखिल की जा सकती है.
…लेकिन राहत की उम्मीद कम
विशेषज्ञों का मानना है कि इस केस में आम आदमी पार्टी को राहत मिलने की गुंजाइश कम ही है. चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति को सौंपे 60 पेज के अपने फैसले के बारे में विस्तार से सदस्यता रद्द होने के कारण समझाए हैं. आप के पूर्व 20 विधायकों में से ज्यादातर अपने पक्ष में कोई ठोस दलील नहीं दे पाए और उनका जवाब बेहद घिसा-पिटा और मौजूदा समय में चल रहे तर्क ही हैं.
हाई कोर्ट जाएंगे आप विधायक?
आप विधायकों के लिए इस वक्त पहला विकल्प हाई कोर्ट जाने का है. हाई कोर्ट में उम्मीद की जा रही है कि यह केस जस्टिस रेखा पिल्लई के पास सुनवाई के लिए जाए. वकीलों का इस मामले में कहना है कि आम आदमी पार्टी के लिए राहत की कोई खबर आए, ऐसा मुमकिन नहीं लगता. पूर्व लोकसभा सेक्रेटरी जनरल और संविधान के जानकार सुभाष कश्यप का कहना है कि आप को कानूनी तौर पर कोई राहत मिले, इसकी संभावना लेशमात्र भी नहीं है. उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता है कि इतने व्यवस्थित और विस्तार से सभी पक्षों को समझाते हुए दिए फैसले को अदालत में पलटा जाएगा.’