मृत्युंजय कुमार /कांके । रांची का कांके जो कभी मानसिक बीमारी के इलाज के लिए जाना जाता था आज कमजोर तबके के बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए जाना जा रहा है। कांके प्रखंड के बुकरू गांव का कायाकल्प स्कूल कई मायनों में खास है। गरीब तबके के बच्चों को आधुनिक तरीके से मुफ्त शिक्षा देने वाले सभी शिक्षक बिना वेतन लिए इस काम में जुटे हए हैं। सेंट्रल कोलफील्ड लि (सीसीएल) व कोल इंडिया की अन्य सहायक कंपनियों के सेवानिवृत्त अधिकारी व कर्मचारी शिक्षक के रुप में शिक्षा दान में जुटे हुए हैं।
सीसीएल की सामाजिक दायित्व योजना के तहत इस स्कूल को चलाया जा रहा है जिसकी परिकल्पना कोल इंडिया के चेयरमैन सह सीसीएल के सीएमडी गोपाल सिंह ने की थी। वंचित वर्ग के बच्चों को कॉन्वेंट जैसी शिक्षा देने की अपनी सोच की चर्चा उन्होंने अन्य लोगों से की तो इस नेक काम में नि:शुल्क अपना योगदान देने के लिए कंपनी के कई सेवानिवृत्त अधिकारियों ने अपनी रुचि दिखाई। इसके बाद देखते ही देखते एक ऐसे स्कूल का स्वरूप तैयार हो गया जिसके सभी शिक्षक नि:शुल्क सेवादानी हैं।
स्कूल की रूपरेखा तय होने के थोड़े ही दिनों बाद अभी 15 जनवरी को यह स्कूल बुकरू गांव में शुरू कर दिया गया। फिलहाल स्कूल में 30 बच्चे हैं जो रांची के इंद्रा नगर, जगन्नाथपुर, कदमा, हातमा आदि गांवों व अन्य पिछड़े क्षेत्रों से चयनित किए गए हैं। सुबह सीसीएल की बस इन बच्चों और शिक्षकों को घर से लाती व वापस छोड़ती है। स्कूल में बच्चों को कॉपी, किताब, स्कूल बैग, ड्रेस, स्टेशनरी व अन्य शिक्षण सामग्री के साथ भोजन व इलाज की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाती है।
इस स्कूल में पढऩे वाले बच्चे समाज के उस वर्ग से आते हैं जिन्होंने यहां आने से पहले स्मार्ट क्लास, कॉपी-किताब, पढ़ाई व अच्छी ड्रेस की कल्पना भी नहीं की थी। यहां आकर वह काफी खुश हैं। उनमें पढ़ाई के प्रति ललक और लगन भी दिख रही है। कई बच्चे प्रतिभाशाली भी हैं।
सीसीएल की योजना के मुताबिक धीरे-धीरे स्कूल की कक्षाओं में विस्तार करते हुए स्कूल को अत्याधुनिक साधन-सुविधाओं से युक्त बनाने की है। यह स्कूल शहर के किसी भी स्थापित अंग्रेजी माध्यम स्कूल के समतुल्य होगा। जो बच्चे सामाजिक-आर्थिक कारणों से पढ़ाई से वंचित रह जाते हैं या बीच में ही पढ़ाई छोड़ देते हैं उन्हें कायाकल्प स्कूल शिक्षा उपलब्ध कराएगा। नौवीं कक्षा के बाद इन्हें कौशल विकास का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, ताकि भविष्य में इन बच्चों को रोजगार मिलने में भी आसानी हो। सीसीएल प्रबंधन के अनुसार अंग्रेजी माध्यम के इस स्कूल को 12वीं कक्षा तक आगे बढ़ाने की योजना है। यहां पढ़ाई करने वाले गरीब बच्चे को आइटी, आइआइटी, प्रबंधन व अन्य क्षेत्रों में अन्य में आगे चलकर कोचिंग कर उन्हें उच्च पदों पर पहुंचाने की पहल की जाएगी। 12वीं कक्षा के बाद जो बच्चे जिस क्षेत्र में जाना चाहेंगे, उन्हें उस क्षेत्र के लिए तैयार किया जाएगा।
विद्यालय में बच्चों के लिए खेलकूद के भी इंतजाम हैं। कई तरह के शानदार झूले पर बच्चों को अठखेलियां करते देख किसी का भी मन आनंदित हुए बिना नहीं रह सकता। स्कूल में दो शौचालयों का भी निर्माण किया गया है। एक शौचालय लड़कियों के लिए अलग से बनाया गया।
गोपाल सिंह, कोल इंडिया के चेयरमैन सह सीएमडी सीसीएल का कहना है कि सीसीएल ने सामाजिक उत्तरदायित्व के तहत यह बीड़ा उठाया है। हमारा उद्देश्य अत्यंत गरीब बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना है। इसमें कोल इंडिया की सहायक कंपनियों के रिटायर्ड अधिकारी व कर्मचारी सेवा भावना से बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने में जुटे हैं। मेरी धर्मपत्नी प्रमिला सिंह भी यहां बच्चों को पढ़ाती हैं। कोल इंडिया और सीसीएल की ओर से ऐसी मुहिम लगातार चलती रहेगी।