जनजीवन ब्यूरो / लखनऊ । गणतंत्र दिवस के मौके पर कासगंज में दो संप्रदाय के बीच हुई हिंसा को उत्तर प्रदेश के राज्यपाल ने राज्य के लिए कलंक बताया है और ऐसे मामलों को रोकने के लिए जरुरी कदम उठाने के लिए कहा है। जबकि सीएम योगी आदित्यनाथ इस मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं। राज्य सरकार ने सोमवार को एसपी सुनील कुमार सिंह को हटा दी है। एसपी, पीटीएस मेरठ पीयूष श्रीवास्तव को कासगंज का नया एसपी बनाया गया है। बताया गया कि सुनील कुमार सिंह की जनता से बेहतर संवाद व तालमेल न होने की भी शिकायत थी। हालांकि इस पर पुलिस अधिकारी कुछ बोलने से कतरा रहे हैं।
एसआइटी ने कासगंज में हुई हिंसा के पांच मुकदमों की विवेचना शुरू कर दी है। एसआइटी में तीन निरीक्षक व एक उपनिरीक्षक शामिल हैं, जिन्होंने कासगंज में हुई हिंसा के मामले में दर्ज कराए गए सभी मुकदमों की जांच करेगी। दूसरी ओर यह बात भी सामने आ रही है कि दो पक्षों के बीच टकराव के बाद पुलिस-प्रशासन की लापरवाही के चलते ही हिंसा दोबारा भड़की थी। माना जा रहा है कि जांच रिपोर्ट आने पर कुछ अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है। पुलिस ने अब तक 125 आरोपितों को गिरफ्तार किया है। अन्य की तलाश की जा रही है।
एडीजी का कहना है कि कासगंज में स्थिति अब नियंत्रण में है। एडीजी आगरा जोन अजय आनन्द, आइजी अलीगढ़ रेंज संजीव गुप्ता व डीजीपी मुख्यालय से भेजे गए आइजी डीके ठाकुर कासगंज में कैंप कर रहे हैं। सोमवार को हिंसा की कोई घटना नहीं हुई। पुलिस क्षेत्र में लगातार गश्त कर रही है। आइजी अलीगढ़ ने एटा के एएसपी क्राइम ब्रांच के निर्देशन में एसआइटी गठित की है।
एसपी कासगंज रहे सुनील सिंह को पीटीसी मेरठ भेजा गया है। पीटीसी मेरठ से पीयूष श्रीवास्तव को कासगंज के एसपी के पद पर तैनाती दी गई है।
माना जा रहा है कि रविवार शाम सीएम योगी के साथ गृह विभाग और डीजीपी ओपी सिंह के बीच बैठक में इस निर्णय पर मुहर लग गई थी। कासगंज साम्प्रदायिक हिंसा को लेकर पुलिस की कार्रवाई पर तमाम सवाल खड़े हो रहे थे।
प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था आनंद कुमार ने कहा कि हिंसा सुनियोजित थी या नहीं इसकी जांच की जा रही है। वहीं कासगंज हिंसा की जांच के लिए एसआईटी बनाई गई है। जिला स्तर पर आईजी अलीगढ़ ने एसआईटी का गठन किया है। टीम वीडियो फुटेज से लेकर सीसीटीवी, ड्रोन कैमरों की फुटेज की जांच करेगी।