जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । इस साल संसद में पेश हुए आर्थिक सर्वेक्षण में एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सर्वे के अनुसार देश भर के अलग-अलग शहरों में होने वाले मेडिकल लैब टेस्ट कराने के रेट में 1000 फीसदी का अंतर देखा गया है। ये केवल बानगी है कि देश में स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराने के नाम पर कितनी लूट चल रही है।
बीमारी के वक्त डॉक्टर आम तौर पर टेस्ट कराने के लिए कहते हैं, जिसमें काफी पैसा लोगों को अपनी जेब से देना होता है। सर्वे के अनुसार इन टेस्ट को कराने के लिए कई लैब ऐसी भी मिली हैं, जिनके पास किसी भी तरह की कोई मान्यता नहीं है और वो बेधड़क जनता को लूट रही हैं। कुछ ही लैब देश भर में हैं, जिनके पास अच्छे उपकरण और सुविधाएं हैं।
सर्वे के मुताबिक, देश के अलग-अलग शहरों में डेंगू जैसी बीमारी का टेस्ट कराने के लिए लोगों को 100 रुपये से लेकर के 3600 रुपये तक खर्च करने पड़ते हैं। वहीं लिपिड प्रोफाइल टेस्ट के लिए लोग 90 रुपये से लेकर के 7110 रुपये खर्च करने पड़ते हैं। इनके अलावा और भी कई टेस्ट हैं, जिनके लिए रेट्स में काफी असमानता है।
देश भर में एक समान हो रेट्स
इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि वक्त आ गया है कि लोगों को राहत देने के लिए सरकार लैब में होने वाले सभी प्रकार के टेस्ट के लिए देश भर में एक समान रेट्स हों। सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में तो यह टेस्ट फ्री में होते हैं, लेकिन प्राइवेट अस्पताल या फिर लैब में इसके लिए काफी फीस देनी होती है।
सरकार ने लागू कर रखा है यह एक्ट
सरकार ने हालांकि रेट्स एक समान रखने के लिए एक एक्ट भी पास किया था, लेकिन यह फिलहाल केवल 10 राज्यों में लागू है, जिससे देश के बाकी राज्यों के लोगों को इसका फायदा नहीं मिलता है। इससे सबसे ज्यादा परेशानी गरीब लोगों को होती है। स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च ज्यादा होने से कई बार लोग सही से इलाज भी नहीं करा पाते हैं।