जनजीवन ब्यूरो / मुंबई । सोहराबुद्दीन शेख फर्जी मुठभेड़ मामले में बाम्बे उच्च न्यायालय ने सीबीआई से कहा है कि वह उन पुलिस अधिकारियों के नामों की सूची सौंपें, जिन्हें आरोपमुक्त किए जाने को चुनौती दी गई है। साथ ही कोर्ट ने यह भी बताने को कहा है कि आरोप पत्र में उनकी क्या भूमिका बताई गई थी। न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे की पीठ ने यह भी कहा कि शेख के भाई रूबाबुद्दीन और सीबीआई की याचिकाओं पर रोजाना आधार पर सुनवाई होगी।
दरअसल, इस मामले में कुछ आरोपियों को आरोप मुक्त करने के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। न्यायाधीश ने कहा, ‘एक चार्ट सौंपें, जिसमें जिन लोगों को आरोप मुक्त किए जाने को चुनौती दी गई है उनका नाम, उनपर सीबीआई ने क्या आरोप और धाराएं लगाई थीं, इस बारे में पूरी जानकारी दी जाए।’ कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में सुनवाई 9 फरवरी से शुरू होगी।
सोहराबुद्दीन के भाई रूबाबुद्दीन ने पुनरीक्षण याचिका दायर की है, जिसमें अगस्त 2016 और अगस्त 2017 के बीच डीजी वंजारा (सेवानिवृत्त), राजकुमार पांडियन और दिनेश एमएन को मामले से आरोप मुक्त करने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी गई है। निचली अदालत ने इस अवधि के दौरान आरोप पत्र में सीबीआई द्वारा नामजद 38 में से 15 लोगों को आरोप मुक्त कर दिया था।
इस मामले में आरोप मुक्त किए गए लोगों में आईपीएस अधिकारी एन के अमीन, गुजरात पुलिस के कई अधिकारी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी शामिल हैं।
सीबीआई ने हालांकि केवल अमीन और पुलिस कॉन्स्टेबल दलपत सिंह राठौड़ को आरोप मुक्त किए जाने को चुनौती दी है। मुंबई में विशेष सीबीआई अदालत ने पुलिस अधिकारियों को इस आधार पर आरोप मुक्त कर दिया था कि सीबीआई उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिये पूर्व अनुमति हासिल करने में विफल रही।
पिछली सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने पूछा था कि क्या महज पूर्व अनुमति का अभाव आरोपियों को आरोप मुक्त करने के लिये पर्याप्त था। न्यायमूर्ति मोहिते डेरे ने यह भी पूछा था कि सीबीआई ने मामले में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को आरोप मुक्त करने को क्यों चुनौती नहीं दी थी।