अमलेंदु भूषण खां / नई दिल्ली । अजीब विडंबना है, एक तरफ जहां प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सरकार के वित्त मंत्री अरुण जेटली संसद में साल 2018-19 के बजट के मुख्य बिंदू का वर्णन कर रहे थे ठीक उसी समय राजस्थान और पश्चिम बंगाल में हुए उपचुनाव के नतीजे मोदी की लोकप्रियता की हकीकत को सामने ला रहे थे. मोदी सरकार ने आधी आबादी को स्वास्थ्य बीमा देने की घोषणा बजट में करके एकबार फिर लोगों को आकर्षित करने की नीति तो बनाई है लेकिन मोदीकेयर की इस नीति पर लोग कितना भरोसा करते हैं इसकी झलक राजस्थान और पश्चिम बंगाल के उपचुनाव परिणाम से देखने को मिल गई है. फिलहाल मोदीकेयर योजना पर प्रति वर्ष लगभग 11 हजार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया जा रहा है. जाहिर है इस खर्च का बोझ केन्द्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों के खजाने पर भी पड़ेगा.
केन्द्रीय बजट 2018 में वित्त मंत्री द्वारा ऐलान किए गए नेशनल हेल्थ प्रोटेक्शन स्कीम ‘आयुष्मान भारत’, जिसे केन्द्र सरकार ‘मोदीकेयर’ की संज्ञा भी दे रही है, का लाभ 10 करोड़ परिवारों को मिलेगा जिसमें लगभग देश की आधी जनसंख्या शामिल रहेगी.
केन्द्र सरकार के ऐलान के मुताबिक लगभग 50 करोड़ लोगों को 5 लाख रुपये का हेल्थ इंश्योरेंस दिया जाएगा और इसके लिए केन्द्र सरकार को प्रति वर्ष 1.72 डॉलर (11 हजार करोड़ रुपये) का बोझ सरकारी खजाने पर डालना होगा. नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि इस स्कीम के लिए केन्द्र सरकार के खाते से लगभग 5500-6000 करोड़ रुपये खर्च होंगे.
केन्द्रीय बजट में सरकार ने इस स्कीम के लिए केन्द्र सरकार ने 2000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है. इस रकम का प्रावधान वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान लोगों को स्वास्थ बीमा देने के लिए किया गया है. लेकिन इस योजना की रुपरेखा क्या होगी इसकी जानकारी स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा तक को नहीं है. बकौल जे पी नड्डा से जब योजना की रुपरेखा पर सवाल किया गया तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा अभी बातचीत जारी है.
जेपी नड्डा ने कहा है कि ‘आयुष्मान भारत’ योजना इस देश की आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाने वाला साबित होगा. उन्होंने कहा कि अभी इस देश में तकरीबन 1.5 लाख ऐसे स्वास्थ्य केंद्र है जहां सिर्फ मां और बच्चे के स्वास्थ्य को लेकर काम किया जाता है अब उसी केंद्र को ‘हेल्थ एंड वेलनेश सेंटर’ के तौर पर डेवलप किया जाएगा. उन्होंने कहा कि इस सेंटर पर कम्यूनिकेबल और नॉन कम्यूनिकेबल दोनों तरह की बिमारियों को कवर करेंगे. संसद में बजट भाषण के दौरान वित्तमंत्री अरुण जेटली ने दुनिया की सबसे बड़ी कैशलेस मेडिकल बीमा योजना ‘आयुष्मान भारत’ की घोषणा की थी. उसके विषय में स्वास्थ्य मंत्री जेपी ने कहा कि इसके तहत इस देश के तकरीबन 10 करोड़ परिवार इसका लाभ ले पाएंगे.
जेपी नड्डा ने कहा कि हमारी सरकार की ओर से यह एक क्रांतिकारी कदम है जिसका असर इस देश की सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में दिखेगा. उन्होंने कहा कि इस योजना से लगभग 50 करोड़ लोग इससे लाभांवित होंगे. उन्होंने कहा कि बीमारी कई परिवार को तोड़ देती थी, दिवालिया कर देती थी लेकिन अब ‘आयुष्मान भारत’ योजना के तहत उन्हें काफी राहत मिलेगा.
मोदी सरकार को अगले वर्ष यानी 2019 में आम चुनावों का सामना करना है. माना जा रहा है कि केन्द्र सरकार की यह योजना चुनावों को देखते हुए शुरू की जा रही है और कहा जा रहा है कि यह दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है. हालांकि वित्त सचिव हसमुख अधिया का कहना है कि इस योजना को अमली जामा पहनाने में 6 महीने का वक्त लगेगा और इस दौरान केन्द्र और राज्य सरकारें इसे देशभर में प्रभावी तरीके से लागू करने का रोडमैप तैयार करेंगी.
गौरतलब है कि देश में कई राज्य सरकारें किसी न किसी तरह के स्वास्थ्य बीमा का प्रावधान करती है लेकिन इन्हें लागू करने की दिक्कतों के चलते उनकी योजनाएं ज्यादा प्रभावी नहीं हैं. लिहाजा कहा जा रहा है कि केन्द्र सरकार अपनी योजना के लिए राज्य सरकारों की योजनाओं को राष्ट्रीय योजना के साथ मिलाने की पहल करेगी. अमिताभ कांत ने कहा कि इस योजना के लिए 60 फीसदी खर्च केन्द्र और बचा हुआ 40 फीसदी राज्य सरकार वहन करेंगी. सूत्रों का यह भी कहना है कि केन्द्र सरकार के अनुमान के मुताबिक देश में एक व्यक्ति को यह बीमा देने की लागत लगभग 1100 रुपये आएगी.
बजट में करदाताओं पर जो एक फीसदी अतिरिक्त अधिभार लगाया गया है, उससे प्राप्त होने वाली राशि का उपयोग सरकार इस योजना के लिए करना चाहती है. बता दें कि सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना को डिजाइन करने में वीके पॉल की अहम भूमिका रही है.
राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के विभिन्न पहलुओं पर बातचीत में वीके पॉल ने कहा कि 10 करोड़ परिवारों की पहचान सामाजिक-आर्थिक-जाति आधारित जनगणना के आधार पर होगी. इस स्कीम में बीपीएल और एपीएल दोनों परिवारों को शामिल किया जाएगा. इस योजना के तहत सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों दोनों को जोड़ा जाएगा.
उन्होंने कहा कि इसे केंद्र द्वारा प्रायोजित योजना की तरह लागू किया जाएगा. इसके पारामीटर पहले से ही तय हैं. हर राज्य की हिस्सेदारी अलग-अलग होगी.
पुर्व वित्त मंत्री पी चिंदबरम ने तो पूरे बजट को जुमला ही करार दिया है . उन्होंने कहा कि कल मैंने सरकार की न्यू हेल्थ केयर स्कीम को जुमला बताया था। मैंने कहा था कि इस बजट में इस योजना के लिए सरकार ने कोई भी फंड जारी नहीं किया है। जिसे आज वित्त मंत्री अरुण जेटली ने माना भी है।
बकौल चिदंबरम, वित्त मंत्री ने कहा था कि इस फंड के लिए वह भविष्य में फंड बढ़ाएंगे। तो हुआ न ये एक परफेक्ट जुमला। चिदंबरम ने एक के बाद एक ट्वीट करते हुए लिखा कि सरकार की योजनाएं पैसे के बिना ठीक वैसी ही हैं जैसे पतंग बिना धागे के। ये कुछ ऐसा ही है जिसमें पतंगबाज कहता है कि पतंग उड़ रही है और वहां कोई पतंग नहीं होती है और न ही वहां कुछ उड़ रहा होता है।