जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली । देश में डाक्टरों की कमी दूर करने के लिए केंद्र सरकार जिला अस्पतालों को मेडिकल कालेजों का दर्जा देने जा रही है। केंद्र में एनडीए सरकार इस योजना का फोकस उत्तरी उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान आदि राज्यों पर रखने का निर्णय लिया गया है जहां मेडिकल कालेजों की संख्या कम है। जबकि महाराष्ट्र समेत दक्षिणी राज्यों में मेडिकल कालेजों की संख्या ज्यादा है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव सी. के. मिश्रा ने कहा कि राज्यों को कहा गया है कि वे अपने जिला अस्पतालों को अपग्रेड कर मेडिकल कालेजों में बदलने के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजें। अब तक 58 प्रस्तावों को केंद्र ने मंजूरी दी है जिसमें से 22 के लिए धनरािश भी जारी कर दी गई है। एक मेडिकल कालेज को अपग्रेड करने का खर्च करीब दो सौ करोड़ रुपये आता है जिसका 75 फीसदी केंद्र सरकार देती है।
जिला अस्पतालों को मेडिकल कालेज में बदलने के पीछे केंद्र सरकार की दो मंशा हैं। एक जिला अस्पताल अपग्रेड होने से लोगों को जिला स्तर पर बेहतर सुविधाएं मिलेगी और ये अस्पताल कम से कम तीन सौ बिस्तरों की क्षमता के हो सकेंगे। इनमें करीब-करीब सभी चिकित्सकीय विभागों की स्थापना होगी। इससे जिले में खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में मध्यम स्तर तक का इलाज उपलब्ध हो सकेगा। दूसरे, इनमें एमबीबीएस की सौ-सौ सीटों की पढ़ाई भी हो सकेगी। मसलन, जिन 58 जिला अस्पतालों को मेडिकल कालेज बनाने की अनुमति दी जा चुकी है, उससे 5800 एमबीबीएस सीटें बढ़ने का रास्ता भी साफ हो जाएगा।
देश में कुल मेडिकल कालेज-412
कुल एमबीबीएस सीटें——53705
जरूरत (योजना आयोग का आकलन) – एक लाख
देश में सक्रिय डाक्टरों की कुल संख्या-6 लाख
जरूरत——————12 लाख
कमी (योजना आयोग का आकलन)—–6 लाख