जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । पाकिस्तान बलूचिस्तान के बच्चों को आतंकी बनने की ट्रेनिंग दे रहा है। इसका खुलासा उत्तरी कश्मीर के बारामुला जिले से गिरफ्तार लश्कर-ए-तैयबा के दो कश्मीरी आतंकियों ने पूछताछ में किया है। कश्मीर के आईजीपी मुनीर खान के मुताबिक पूछताछ में इन आतंकियों ने कई ऐसे खुलासे किए हैं जिनसे पाकिस्तान की सरकार और फौज की आतंकियों के साथ मिलीभगत और भारत में आतंकी हमले कराने की कारगुजारियों का खुलासा होता है। इन आतंकियों ने पूछताछ में यह भी कबूल किया है कि उन्हें नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान के हाई कमीशन ने वीजा मुहैया करवाया था।
पुलिस ने बताया कि पिछले कुछ महीनों में कश्मीर में ऐसे कई गुटों को पकड़ा गया है, जो बच्चों को गुमराह कर उन्हें आतंकी प्रशिक्षण देने के लिए सीमा पार भेजने की तैयारी में थे। ऐसे कई युवाओं को हिरासत में लिया गया है, जबकि कई आतंकी मारे भी गए हैं। पुलिस ने अभिभावकों से भी अपने बच्चों पर नजर रखने को कहा है, ताकि कोई उन्हें गुमराह न कर सके।
आतंकियों ने बताया कि उन्हें इस्लामाबाद के पास स्थित बर्मा नामक कैंप में पाकिस्तान के लड़कों के साथ ही प्रशिक्षण दिया गया। उनके मुताबिक इस कैंप में आतंकी हमलों की ट्रेनिंग लेने वालों में अधिकतर युवा बलूचिस्तान के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया कि इनमें कई छोटे-छोटे बच्चे भी हैं। आतंकियों के इस खुलासे से जम्मू कश्मीर में दहशतगर्दो को भेजने से हर बार मना करने वाले पाकिस्तान का सफेद झूठ भी सामने आ गया है।
लश्कर के दोनों आतंकियों को सुरक्षाबलों ने बारामुला में एक नाके पर गिरफ्तार किया। दोनों आतंकी पाकिस्तान से प्रशिक्षण लेकर बाघा-अटारी बार्डर से लौट रहे थे। इससे पहले कि ये कश्मीर में किसी बड़ी वारदात को अंजाम देते उन्हें पकड़ लिया गया। गिरफ्तार आतंकियों की पहचान अब्दुल मजीद भट निवासी क्रीरी और मोहम्मद अशरफ मीर निवासी पट्टन के रूप में हुई है। क्रीरी और पट्टन बारामुला जिले में हैं।
पुलिस प्रवक्ता ने बताया कि पूछताछ के दौरान आतंकियों ने खुलासा किया कि उन्हें इस्लामाबाद के पास स्थित बर्मा नामक कैंप को हंजाला, अदनान और उमर कोड से आतंकी कमांडर चला रहे थे। दूसरी जगहों पर जिन बच्चों को ट्रेनिंग दी जा रही हैं, उन्हें ओसामा, नवीद और हताफ कोड से आतंकी कमांडर चला रहे हैं। दोनों आतंकियों के खिलाफ मामला दर्ज कर उनसे और पूछताछ की जा रही है।
इतना ही नहीं पाकिस्तान ने एक और खौफनाक साजिश को अंजाम देना शुरू कर दिया है। इसके तहत पाकिस्तान के इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेज में ऐसे कश्मीरी युवाओं को स्कॉलरशिप दी जा रही है जिनका संबंध या तो आतंकी परिवारों से है या फिर अलगाववादियों से उनके संबंध हैं। ऐसे बच्चों को नई दिल्ली स्थित उच्चायोग हुर्रियत नेताओं की सिफारिश पर आसानी से वीजा उपल्ब्ध करवा रहा है। इस बात का जिक्र एनआइए ने अपनी चार्जशीट में किया है। इसके बाद घाटी के युवाओं का पाकिस्तान के मेडिकल एवं इंजीनियरिंग कॉलेजों में सहजता से दाखिला हो जाता है। यह चार्जशीट टेरर फंडिंग के एक मामले में दिल्ली की एक अदालत में दायर की गई है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) का कहना है कि ऐसा कर के पाकिस्तान इन लोगों को अपना पिट्ठू बनाना चाहता है। एजेंसी के अनुसार, जांच के दौरान पाया गया कि ज्यादातर आतंकियों और अलगाववादियों के रिश्तेदार ही एमबीबीएस और इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए वीजा लेकर पाकिस्तान जा रहे हैं। जांच एजेंसी का आरोप है कि आतंकी, हुर्रियत और पाक सरकार के गठजोड़ से कश्मीर में पाकिस्तान समर्थक डॉक्टरों और इंजीनियरों की पूरी फौज तैयार करने की गहरी साजिश चल रही है।
चार्जशीट के साथ एनआइए ने हुर्रियत नेता नईम खान व शाहिद उल इस्लाम के आवास से बरामद दस्तावेजों को भी नत्थी किया है। इसमें खान ने एक लड़के को पाकिस्तान के एक बड़े मेडिकल में दाखिला देने की सिफारिश की है। जबकि इस्लाम ने वीजा देने की सिफारिश पाक उच्चायोग से की है। इसमें कहा गया है कि उक्त छात्रों का परिवार कश्मीर की आजादी के लिए समर्पित है। चार्जशीट में लश्कर संस्थापक हाफिज सईद, आतंकी सरगना सैयद सलाहुद्दीन सहित टेरर फंडिंग मामले में गिरफ्तार सात कश्मीरी अलगाववादियों व तीन अन्य को आरोपी बनाया गया है। गिरफ्तार हुर्रियत नेताओं में गिलानी का दामाद अल्ताफ अहमद शाह भी शामिल है।