जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी की संसदीय दल की बैठक में साफ साफ कहा है कि राहुल गांधी अब उनके भी बॉस हैं। इस बारे में किसी को कोई संदेह नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘हमारे पास नए कांग्रेस अध्यक्ष हैं और मैं आपकी व खुद अपनी ओर से उन्हें शुभकामनाएं देती हूं।’ ‘ सोनिया के इस बयान को राहुल के कांग्रेस अध्यक्ष बनने से कथिततौर पर असंतुष्ट पार्टी नेताओं के लिए बड़ा संदेश माना जा रहा है।
उन्होंने पार्टी सांसदों से कहा कि उन्हें भरोसा है कि जिस उत्साह, समर्पण, निष्ठा और उत्साह के साथ सभी ने उनके नेतृत्व में काम किया उसी जज्बे से राहुल के साथ काम करेंगे। उनका यह भी कहना था कि उन्हें भरोसा है कि राहुल के नेतृत्व में पूरी पार्टी एकजुट होकर कांग्रेस की फिर से वापसी की राह बनाएगी।
गौरतलब है कि राहुल गांधी को कांग्रेस पार्टी की कमान सौंपने के बाद सोनिया गांधी ने राजनीति से रिटायरमेंट का ऐलान किया था। हालांकि कांग्रेस पार्टी की ओर से कहा गया था कि सोनिया गांधी सिर्फ अध्यक्ष पद से रिटायर हुई हैं, राजनीति से नहीं। संसदीय दल की बैठक के दौरान सोनिया ने मोदी सरकार पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि केंद्र की सरकार ‘अधिकतम पब्लिसिटी, न्यूनतम सरकार’ और ‘अधिकतम मार्केटिंग, न्यूनतम डिलिवरी’ के तौर पर काम कर रही है।
सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि लोकतंत्र के तमाम संस्थानों को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को टारगेट करने के लिए जांच एजेंसियों का इस्तेमाल कर रही है। सोनिया गांधी ने कहा, ‘इस सरकार को सत्ता में आए हुए करीब चार साल हो चुके हैं। इस दौरान संसद, न्यायपालिका, मीडिया और सिविल सोसायटी समेत कई लोकतांत्रिक संस्थानों को निशाना बनाया गया।’
उन्होंने आगे कहा, ‘दलितों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा की छिटपुट वारदातें नहीं हो रही हैं बल्कि जानबूझकर संकीर्ण राजनीतिक लाभ के लिए समाज में ध्रुवीकरण की कोशिश हो रही है।’ इस दौरान उन्होंने गुजरात के विधानसभा चुनाव और राजस्थान में हुए उपचुनावों में पार्टी के शानदार प्रदर्शन का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि ये नतीजे बताते हैं कि हवा बदल रही है। उन्होंने कहा, ‘मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूं कि कर्नाटक में भी कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहेगा।’
हाल ही में पार्टी में पीढ़ीगत बदलाव हुआ है। राहुल अपनी मां सोनिया गांधी की जगह अध्यक्ष चुने गए। सोनिया 19 साल तक इस पद पर रहीं। वह 1998 में कांग्रेस की अध्यक्ष बनी थीं। यह बदलाव देश की सबसे पुरानी पार्टी में नए युग का आगाज माना गया है।
सोनिया गांधी ने भाजपा को 2019 के लोकसभा चुनाव में शिकस्त देने के लिए विपक्षी एकजुटता की खुली वकालत की है। साथ ही सोनिया ने विपक्षी दलों के बीच गठबंधन पर सहमति बनाने के लिए अपनी ओर से पहल करने का भी ऐलान किया है।
पार्टी संसदीय दल के अध्यक्ष के तौर पर विपक्षी दलों के साथ गठबंधन की पहल के सोनिया गांधी के इस ऐलान के सियासी मायने हैं। सोनिया ने इसके जरिये एक ओर जहां यूपीए गठबंधन का दायरा बढ़ाने की कांग्रेस की दुविधा को दूर करने का प्रयास किया है। वहीं दूसरी ओर विपक्षी दलों के साथ गठबंधन पर बात करने की पहल में खुद के अग्रणी रहने का ऐलान कर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व को सीधे कबूलने से हिचकने वाले नेताओं ममता बनर्जी और शरद पवार को साधे रखने का भी संदेश दिया है।
सोनिया ने बजट सत्र में संसदीय दल की पहली बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि देश के सभी वर्गो के लोगों का इस सरकार से मोहभंग हो गया है और इसे अपने समर्थन के रुप में तब्दील करने की जिम्मेदारी हम सब पर है। इसीलिए कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष के नाते वे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ मिलकर समान विचारधारा वाले दलों के नेताओं से बात करेंगी। ताकि व्यापक विपक्षी गठबंधन के सहारे अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा की शिकस्त सुनिश्चित की जा सके। उन्होंने कहा कि गुजरात विधानसभा चुनाव और राजस्थान उपचुनाव के नतीजे संकेत हैं कि बदलाव की हवा आ रही है। कर्नाटक चुनाव के नतीजे भी कांग्रेस की राजनीतिक वापसी को साबित करेंगे। उन्होंने कहा कि इस सरकार को मैक्सिम पब्लिसिटी ओर मिनिमम गर्वनेंस तथा मैक्सिम मार्केटिंग और मिनिमम डिलेवरी वाली सरकार कहना ज्यादा मुफीद है।