जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी कर्नाटक विधानसभा चुनाव को लेकर अपना अभियान शुरु कर दिया है। राहुल कर्नाटक के चार दिवसीय दौरे पर आज यानी 10 फरवरी को बेल्लारी पहुंच रहे हैं। कर्नाटक में अप्रैल – मई माह में विधानसभा चुनाव होने हैं। राहुल प्रदेश के प्रभावशाली लिंगायत समुदाय से जुड़े धार्मिक मठों में भी जाएंगे। अभी कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है और राहुल की पूरी कोशिश है कि कर्नाटक कांग्रेस के हाथ से फिसले नहीं।
राहुल अपने अभियान की शुरुआत कांग्रेस की मजबूत पकड़ वाले हैदराबाद-कर्नाटक क्षेत्र से करने जा रहे हैं। इस इलाके की कुल 40 सीटों में से 23 पर कांग्रेस का कब्जा है। लिंगयातों को भारतीय जनता पार्टी का वोट बैंक माना जाता है और इस इलाके के 6 जिलों में इनका वर्चस्व है।
अपने चार दिवसीय दौरे में राहुल होसपेट स्थित हुलीगामा (शक्ति) मंदिर, कोप्पल में गवी सिद्धेश्वरा मठ और बसावाकल्याण स्थित अनुभवा मंटपा जाएंगे। बसावाकल्याण को 12वीं सदी के समाज सुधारक बासवाना के कारण जाना जाता है। इसके साथ ही राहुल गांधी गुलबर्गा स्थित ख्वाजा बंदे नवाज की दरगाह पर भी जाएंगे।
अपने दौरे में धार्मिक स्थालों को राहुल गांधी ने गुजरात विधानसभा चुनाव में भी इतनी ही अहमियत दी थी। कर्नाटक दौरे की शुरुआत भी राहुल गुजरात की ही तर्ज पर करने जा रहे हैं। राहुल के धार्मिक स्थलों के दौरे को कांग्रेस के ‘उदार हिंदुत्व’ का हिस्सा बताया जा रहा है। ऐसा कहा जाता है कि बीजेपी के कथित ‘कट्टर हिंदुत्व’ का जवाब कांग्रेस उदार हिंदुत्व से दे रही है।
राहुल का लिंगायतों के बीच जाना इसलिए भी अहम है, क्योंकि प्रदेश की कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने लिंगायतों के एक समूह द्वारा हिन्दू से अलग कर नई धार्मिक पहचान की मांग को हवा दी थी। कहा जा रहा है कि सिद्धारमैया ने ऐसा सोच समझकर किया है। कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस ने लिंगायत समुदाय के धार्मिक महत्व वाले मठों और दरगाह पर राहुल के जाने की आलोचना को खारिज कर दिया है। कांग्रेस की नजर लिंगायतों के साथ मुसलमानों, पिछड़ी जातियों और दलितों पर भी है।
कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश गुंडु राव का कहना है, ”राहुल का धार्मिक महत्व से जुड़े स्थलों का दौरा कोई अलग से नहीं है बल्कि जिस रास्ते से गुजरेंगे उसी में है। यह कई बैठकों और मुलाकातों का हिस्सा है। हमारी राजनीति लोगों को समाहित करने वाली है। राहुल एक सियासी नेता हैं और इसमें कोई गलती नहीं निकाल सकता। इसका सीधा मतलब यह है कि हम समावेशी राजनीति कर रहे हैं और सभी धर्मों का सम्मान करते हैं।”
उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, ”इंदिरा गांधी भी धार्मिक स्थलों और धर्मगुरुओं के मठों में जाती थीं। राजीव गांधी भी श्रीनगेरी मठ दो बार जा चुके हैं। दुर्भाग्य से बीजेपी को अब इसमें वोट बैंक की राजनीति नजर आ रही है। बीजेपी ऐसे बोल रही मानो वो हिन्दू धर्म का स्वयंभू प्रवक्ता है।”
गुलबर्गा के राजनीतिक विश्लेषक टीवी शिवनंदन इस बात से सहमत हैं कि राहुल का कर्नाटक में धार्मिक स्थलों के दौरे का सीधा संबंध राजनीति से है। उन्होंने कहा, ”राहुल गांधी इस बार लिंगायतों को कांग्रेस के पाले में करने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। हिन्दुओं से अलग लिंगायत धर्म बनाने की बात भी इसी का हिस्सा है। राहुल जिस इलाके में दौरे पर आ रहे हैं वहां लिंगायत प्रभावशाली हैं और ये अब तक बीजेपी का साथ देते आए हैं। हालांकि लिंगायतो में एक छोटा तबका है तो कांग्रेस को वोट करता है।”
कर्नाटक दौरे में राहुल गांधी रायचूर के सिंधानूर में किसान संगठनों के प्रतिनिधियों से मुलाकात करेंगे। इसके साथ ही गुलबर्गा में पेशेवरों और व्यापारियों को भी संबोधित करेंगे। इस दौरे में राहुल पांच जनसभाओं को संबोधित करेंगे।
शिवनंदन का मानना है कि राहुल गांधी कर्नाटक दौरे में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर पिछड़ों की उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए निशाना साध सकते हैं।
उन्होंने कहा, ”यूपीए सरकार में मल्लिकार्जुन खड़गे रेल मंत्री थे तो उन्होंने गुलबर्गा में एक रेलवे डिविजन बनाने की योजना बनाई थी। यहां तक की राज्य सरकार ने जमीन भी आवंटित कर दी थी, लेकिन केंद्र सरकार की तरफ से फिर कोई पहल नहीं हुई।”