मृत्युंजय कुमार / लखनऊ । परीक्षा देने वालों की संख्या को लेकर चर्चा तो आम बात है लेकिन परीक्षा छोड़ने वालों को लेकर आम लोग खास चर्चा नहीं करना चाहते। लेकिन जब परीक्षा छोड़ने वालों के आंकड़े गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड बनाने लगे तो इस तरफ ध्यान जाना लाजमी है। वैसे तो उत्तर प्रदेश कई नामी गिरामी काम करने के लिए जाना जाता है लेकिन अभी उत्तर प्रदेश की चर्चा परीक्षा छोड़ने वालों को लेकर हो रही है। इस साल दस लाख से अधिक छात्र-छात्राओं ने हाईस्कूल व इंटर की परीक्षा छोड़ दी है। यह आंकड़ा परीक्षा शुरू होने के महज चौथे दिन का है। परीक्षा में बहुत कड़ाई के कारण यह हालात उत्पन्न हुई है। अधिकारियों के अनुसार बोर्ड परीक्षा में गाजीपुर, आजमगढ़, देवरिया, बलिया, अलीगढ़, हरदोई, मथुरा, मऊ, मैनपुरी, आगरा और इलाहाबाद के परीक्षा केंद्रों से सबसे ज्यादा छात्र अनुपस्थित रहे।
जानकारी के अनुसार, 6 से 9 फरवरी के बीच 10,40,619 परीक्षार्थी परीक्षा में नहीं शामिल हुए. इन परीक्षार्थियों में हाई स्कूल के 6,24,473 और इंटरमीडिएट के 4,10,146 परीक्षार्थी हैं, जो कड़ाई के डर से परीक्षा में नहीं शामिल हुए। बताया जाता है कि माध्यमिक शिक्षा परिषद की परीक्षा के इतिहास में शायद यह पहला मौका है, जब इतनी बड़ी तादाद में परीक्षार्थियों ने परीक्षा छोड़ दी।
अधिकारियों के अनुसार पिछले साल बोर्ड परीक्षा में 5.25 लाख छात्रों ने परीक्षा छोड़ी थी, लेकिन, इस साल अभी तक 10 लाख छात्रों ने परीक्षा छोड़ दी। इतनी बड़ी संख्या में छात्रों के परीक्षा में नहीं शामिल होने से यूपी बोर्ड और शिक्षा विभाग के अधिकारी को भी आश्चर्य हो रहा है।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (यूपी बोर्ड) की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा के तीसरे दिन एग्जाम छोड़ने वाले परीक्षार्थियों की संख्या लगातार बढ़ गई थी. तीन दिनों में कुल 6 लाख 14 हजार परीक्षार्थियों ने परीक्षा छोड़ दी थी. तीसरे ही दिन परीक्षा छोड़ने वाले कुल परीक्षार्थियों की संख्या पिछले वर्ष परीक्षा छोड़ने वालों की संख्या को पार कर गई थी. बोर्ड का कहना है कि नकल पर हो रही सख्ती के कारण अभी यह संख्या और बढ़ेगी. परीक्षार्थियों के अनुपस्थिति का पिछले कई वर्षों का रिकॉर्ड टूटने का भी अनुमान लगाया जा रहा है.
इसे संयोग ही कहेंगे कि बीते वर्ष योगी सरकार 19 मार्च को सत्तारूढ़ हुई तो उसके चंद दिन पहले (16 मार्च से) ही यूपी बोर्ड की परीक्षाएं शुरू हुई। मंत्रिमंडल गठन व विभाग आवंटन होते परीक्षाएं अंतिम दौर में पहुंच गईं। ऐसे में सरकार उसी समय से अगले वर्ष की परीक्षा तैयारियों में जुट गई। 2018 में परीक्षा शुरू होने की तारीख व विस्तृत परीक्षा कार्यक्रम तय समय से काफी पहले घोषित किया गया, ताकि परीक्षार्थियों को तैयारी करने का पूरा मौका मिले, फिर परीक्षा केंद्रों के संसाधन व उनके निर्धारण पर फोकस किया गया।
पहली बार केंद्र निर्धारण का कार्य जिला व मंडल स्तर से छीनकर बोर्ड मुख्यालय को सौंपा गया, जहां कंप्यूटर के जरिए केंद्र बनाए गए। इसका यह असर रहा कि केंद्रों की संख्या पिछले वर्षों से करीब ढाई हजार घट गई। सरकार ने परीक्षा की निगरानी को हर केंद्र पर सीसीटीवी कैमरा अनिवार्य किया। जिन केंद्रों पर छात्राएं अपने स्कूल में परीक्षार्थी बनी वहां अतिरिक्त केंद्र व्यवस्थापक सहित नकल रोकने के अन्य प्रभावी इंतजाम किए गए। अपर मुख्य सचिव पिछले कुछ महीनों से लगातार हर कार्य की खुद मानीटरिंग कर रहे थे, पहली बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने यूपी बोर्ड परीक्षा के लिए वीडियो कांफ्रेसिंग करके नकल रोकने के सख्त निर्देश दिए। इसमें जिलाधिकारी, जिला विद्यालय निरीक्षक व मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशक को नकल के लिए जिम्मेदार ठहराया गया।
सरकार के सामूहिक प्रयासों का ही परिणाम रहा कि परीक्षा के पहले दिन से ही नकलची छात्र-छात्राओं ने किनारा करना शुरू कर दिया और महज चौथे दिन ही परीक्षा छोडऩे वालों का आंकड़ा दस लाख पार कर गया है। 10 लाख 44 हजार 619 यूपी बोर्ड के इतिहास में परीक्षा छोडऩे वालों की सर्वाधिक संख्या है। इसमें हाईस्कूल के छह लाख 24 हजार 473 व इंटर के चार लाख 20 हजार 146 छात्र-छात्राएं शामिल हैं। खास बात यह है कि परीक्षा छोडऩे वालों की संख्या उन्हीं जिलों व केंद्रों पर अधिक है, जो पिछले वर्षों में नकल कराने के लिए कुख्यात रहे हैं।
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