जनजीवन ब्यूरो / इसलामाबाद । पाकिस्तान में होने वाले आम चुनाव से पहले पाक सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए हाफिज सईद के संगठन जमात-उद-दावा को आतंकी संगठन घोषित कर दिया है। पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने अध्यादेश पर हस्ताक्षर किया है।इसके तहत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) द्वारा प्रतिबंधित व्यक्तियों और संगठनों पर लगाम लगाना है। इस सूची में जमात-उद-दावा (जेयूडी) के अलवा तालिबान जैसे कई संगठन शामिल है।राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद जमात उद दावा घोषित तौर पर आतंकी संगठन की सूची में शामिल हो गया।
राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद जमात उद दावा घोषित तौर पर आतंकी संगठन की सूची में शामिल हो गया। हालांकि अगर यह अध्यादेश कानून का रूप नहीं लेता है तो समय सीमा खत्म होने के बाद जमात-उद-दावा पर से प्रतिबंध अपने आप हट जाएगा।
इससे पहले पाकिस्तान ने साल 2005 में यूएनएससी प्रस्ताव 1267 के तहत लश्कर-ए-तैयबा को एक प्रतिबंधित संगठन घोषित किया था। पाकिस्तान सरकार ने यह कदम 18 से 23 फरवरी तक पेरिस में होने वाली फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक से ठीक पहले लिया। ऐसा माना जा रहा था कि अमेरिका के दबाव में आकर एफएटीएफ पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में ना डाल दे। इस बैठक में मनी लॉन्डरिंग जैसे मामलों को लेकर अलग-अलग देशों की निगरानी होती है।
यहां यह भी बताना जरूरी होगा कि पाकिस्तान की तरफ से यह कदम फ्रांस की राजधानी पेरिस में होने वाली फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की मीटिंग से पहले उठाया गया है। यह टास्क फोर्स मनी लॉन्ड्रिंग जैसे मामलों में कई देशों की निगरानी करती है। इसकी बैठक पेरिस में 18-23 फरवरी तक चलेगी। लेकिन इस अहम बैठक से पहले लिए गए इस फैसले को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ऐसा अब क्यों, या ये पहले क्यों नहीं किया गया। यह सवाल इसलिए खास है क्योंकि भारत बार-बार हाफिज सईद को आतंकवादी बताता रहा है। यहां तक की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत बार-बार उसको वैश्विक आतंकी घोषित करने की मांग करता रहा है, लेकिन भारत की इस मांग पर पाकिस्तान चीन की तरफ से इस पर अड़ंगा लगवाता रहा है। पाकिस्तान ने हमेशा ही इसमें खुद को साफ बताने की कोशिश की है। माना जा रहा है कि उसका नया कदम इसी टास्क फोर्स की आंखों में धूल झोंकने के लिए उठाया गया है।
भारत लगातार कहता आया है कि जमात-उद-दावा प्रमुख सईद 2008 नंवबर में हुए मुंबई हमले का मास्टर माइंड है। अमेरिका ने भारत का समर्थन करते हुए सईद के ऊपर एक करोड़ डॉलर का इनाम रखा है।
बिल के राष्ट्रपति द्वारा साइन किए जाने के बाद अब सरकार जमात उद दावा से जुड़े सभी बैंक अकाउंट्स को सील कर सकेगी। सरकार के इस कदम से अल कायदा, तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान, लश्कर ए झांगवी, जमात उद दावा, लश्कर-ए-ताइबा, फलाह ए इंसानियत फाउंडेशन और दूसरे अन्य संगठनों पर कार्रवाई की जा सकेगी। पिछले साल दिसंबर में पाकिस्तान ने हाफिज सईद के जमात और फलाह संगठनों को प्रतिबंधित करने के साथ ही बैंक खाते और ऑफिस बंद कर दिए गए थे।
दबाव में पाकिस्तान
सईद के संगठन को आतंकी संगठन बनाने की पहल के पीछे की कुछ वजहों को भी समझना बेहद जरूरी है। हाल के कुछ समय में पाकिस्तान के अमेरिका के साथ संबंध काफी खराब हुए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीधेतौर पर पाकिस्तान पर आतंकियों को पनाह देने और उसकी दी हुई राशि का इस्तेमाल सही ढंग से न करने का भी आरोप लगाया है। ट्रंप ने पिछले दिनों यह बात साफतौर पर कही थी कि यदि पाकिस्तान इन आतंकी संगठनों पर शिकंजा नहीं कसता है तो फिर अमेरिका सीधे कार्रवाई करेगा। इसके अलावा अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली करोड़ों रुपये की मदद को भी रोक दिया था। इसके बाद बौखलाए पाकिस्तान ने अमेरिका के खिलाफ काफी बयानबाजी की थी। बता दें कि अमेरिका 2002 से अब तक पाकिस्तान को आतंकवाद से लड़ने के लिए 33 अरब डॉलर (करीब 2 लाख 11 हजार करोड़ रुपये) की आर्थिक मदद दे चुका है। अमेरिका ने अगस्त में कहा था कि जब तक पाकिस्तान आतंकी गुटों पर कार्रवाई तेज नहीं करता, वह उसे दी जाने वाली 25.5 करोड़ डॉलर की आर्थिक मदद रोक कर रखेगा।
पाकिस्तान में आम चुनाव
सईद समेत दूसरे आतंकी और इनके संगठनों पर लिए गए फैसले का असर आने वाले आम चुनाव पर भी दिखाई दे सकता है। आपको बता दें कि पाकिस्तान में आम चुनाव इसी वर्ष जुलाई में होने हैं। इससे पहले पाकिस्तान के लिए इतना बड़ा फैसला लेना कैसा साबित होगा ये तो वक्त बताएगा, लेकिन यह जरूर है कि इन चुनावों में इसका शोर जरूर सुना जा सकेगा।
यूएनएससी की सूची में ये संगठन हैं शामिल
गौरतलब है कि यूएनएससी की प्रतिबंधित सूची में अल-कायदा, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, लश्कर-ए-झांगवी, जमात-उद-दावा, फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (एफआईएफ), लश्कर-ए-तैयबा और अन्य शामिल हैं। पिछले वर्ष दिसंबर में सरकार ने हाफिज सईद से संबंधित दो संगठनों जमात-उद-दावा और एफआईएफ पर नियंत्रण करने की योजना बनाई थी और ऐसा माना गया था कि इस संबंध में एक कार्ययोजना सौंपी गई है। वर्ष 2005 में यूएनएससी प्रस्ताव 1267 के तहत लश्कर-ए-तैयबा को एक प्रतिबंधित संगठन घोषित किया था।
सईद की राजनीतिक पार्टी
आतंकी हाफिज सईद पर प्रतिबंध से पहले यह भी समझना जरूरी होगा कि उसका पाकिस्तान में कितना बड़ा कद है। यह इसलिए जरूरी है कि सईद पर जब अमेरिका ने ईनाम रखा था तब इसके खिलाफ पाकिस्तान में काफी विरोध प्रदर्शन हुआ था। सईद मुंबई हमले का मास्टरमाइंड भी है। इसके अलावा सईद पाकिस्तान में धार्मिक कट्टरपंथ को बढ़ावा देने वाले संगठनों में काफी बड़ी शख्सियत है। यहां ये भी बताना जरूरी होगा कि सईद ने अपनी राजनीतिक पार्टी भी बनाई है जिसका नाम मिल्ली मुस्लिम लीग है। हालांकि इस पार्टी को अभी तक पाकिस्तान चुनाव आयोग ने रजिस्टर्ड नहीं किया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि पाकिस्तान के आतंरिक मंत्रालय ने आयोग को इस पार्टी को रजिस्टर्ड न करने की सिफारिश की थी। इसके बाद भी सईद ने अपने समर्थन से लाहौर के उपचुनाव में अपना एक प्रत्याशी मैदान में उतारा था। सईद का कहना था कि उसकी पार्टी को कार ट्रक नहीं है जिसको रजिस्ट्रेश की जरूरत हो। भारत कई बार सईद के प्रतयर्पण की कोशिश कर चुका है लेकिन पाकिस्तान की सरकार बार-बार इसको खारिज करती आई है।
सुरक्षा के नाम पर लगाए गए थे बैरिकेड
पाकिस्तान पुलिस ने आतंकी हाफिज सईद के संगठन जमात-उद-दावा (जेयूडी) के मुख्यालय के बाहर लगे बैरिकेड हटा दिए। देश की शीर्ष अदालत के आदेश पर पुलिस ने सोमवार को हाफिज के खिलाफ यह कार्रवाई की। एक दशक से भी अधिक समय पहले जेयूडी ने सुरक्षा के नाम पर ये बैरिकेड लगाए थे। गौरतलब है कि चीफ जस्टिस साकिब निसार ने पंजाब पुलिस को लाहौर में सुरक्षा के नाम पर रोकी गई सभी सड़कों को खोलने के आदेश दिए थे। इसके चलते पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के जाती उमरा स्थित आवास के बाहर से भी बैरिकेड हटा लिए गए हैं। जस्टिस निसार ने पुलिस महानिरीक्षक (आइजी) को चेताया था, ‘अगर आप अनुपालन रिपोर्ट सौंपने में नाकाम रहे तो अदालत आपकी किस्मत का फैसला करेगी। अगर मुख्यमंत्री चाहेंगे तो भी आप आइजी नहीं रह पाएंगे।