जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने डीडीए को लताड़ लगाते हुए मास्टर प्लान में संशोधन को खारीज कर दिया है। कोर्ट के इस आदेश के बाद दिल्ली में चल रही सीलिंग अब जारी रहेगी। जिसके कारण व्यारियो पर लगाम लगया जा सकेगा। व्यापारी वर्ग सीलिंग के खिलाफ आंदोलन चला रहे हैं।
कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल का कहना है कि दिल्ली नगर निगम कानून के संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत बेहद ही मनमाने तरीके से सर्वोच्च न्यायलय के आदेश की आड़ में सीलिंग हो रही है। कोई भी कार्यवाई करने से पहले निगम आयुक्त को म्युनिसिपल मजिस्ट्रेट के समक्ष एक समयबद्ध सीमा में एक शिकायत दर्ज़ करना अनिवार्य है और उसके बाद कारण बताओ नोटिस, व्यक्ति को अपना पक्ष रखने का अधिकार एवं अपील ट्रिब्यूनल तथा दिल्ली के प्रशासक यानी उपराज्यपाल के पास अपील देने का अधिकार निगम कानून देता है और उसी के बाद कोई कार्यवाई हो सकती है। दिल्ली के लोगों को उनके इन अधिकारों से महरूम किया गया है। मॉनीटरिंग कमेटी केवल रिहायशी इलाकों में कमर्शियल गतिविधियां देखने के लिए गठित हुई है। लेकिन अपनी सीमा का अतिक्रमण करते हुए मॉनिटरिंग कमेटी दिल्ली में कहीं पर भी सीलिंग कर रही है, चाहे वो क्षेत्र रिहायशी है अथवा नहीं।
व्यापारियों ने केंद्र सरकार से सीलिंग को रोकने के लिए मांग की है । व्यारियों को कहना है कि सीलिंग से बचाने के लिए तुरंत एक अध्यादेश लाया जाना चाहिए। दूसरी ओर 31 दिसम्बर, 2017 तक दिल्ली में बिल्डिंग अथवा कमर्शियल यूज़ “जहाँ है जैसा है” के आधार पर एक एमनेस्टी स्कीम दी जाए, 351 सड़कों को दिल्ली सरकार तुरंत अधिसूचित करे एवं अतिरिक्त निर्माण पर ऍफ़ ए आर को अविलम्ब बढ़ाया जाए। लोगों ने दस साल तक कन्वर्शन शुल्क दे दिया। इसलिए अब ऐसी लोगों से और कोई कन्वर्शन शुल्क न लिया जाए। कैट ने यह भी कहा की लोकल शॉपिंग सेंटर्स कमर्शियल दरों पर दिए गए थे। इसलिए उनसे कन्वर्जन चार्ज लेना कहाँ तक उचित है और उनको सील किया जाना बेहद दुर्भाग्य पूर्ण है। दिल्ली में जिस तुग़लकी तरह से सीलिंग हो रही है और नगर निगम कानून को ताक पर रख दिया है, उसको लेकर व्यापारी बेहद रोष में है।
सीलिंग से बचाने के लिए डीडीए ने मास्टर प्लान 2021 में संशोधन की तैयारी कर रहा था जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा और यह आदेश देना पड़ा।