अमित / मुंबई । महारष्ट्र के किसान सीएम देवेंद्र फडनवीस की बैंड बजाने के लिए मुंबई पहुंच चुके हैं। फिल्म महानगर की सड़कों पर किसान ही किसान नजर आ रहे हैं। पूरे महाराष्ट्र से करीब 35000 से अधिक किसान मुंबई पहुंच गए हैं। किसान आंदोलन को शिवसेना, एनसीपी, कांग्रेस समेत कई दल इस आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं। किसी भी हालत में लोन माफी की मांग के साथ फॉरेस्ट राइट एक्ट के साथ साथ कृषि न्यूनतम मूल्य निर्धारण जैसी विभिन्न मांगों के साथ मुंबई पहुंचे किसान आज विधानसभा का घेराव करेंगे।
आंदोलन में शामिल राधाबाई किसान गागोंडे-नासिक के डिंडोरी तहसील की दाहिवी गांव से आई हैं। पैदल चलकर मुंबई तक का सफर तय करने वाली राधाबाई कहती हैं कि पिछले 20 सालों से वह जंगल की एक जमीन की जुताई कर रही हैं और उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी दूसरों के खेतों में काम करते हुए बिता दी है। वह बताती हैं कि अब मैं चाहती हूं कि वह खेत मेरे नाम कर दिया जाए जिससे मेरे पोते पोतियों के लिए शिक्षा की व्यवस्था हो सके और उनकी जिंदगी कुछ बेहतर हो सके।
हीरामन वाघमेरे 46 साल के हैं और उनके पास भी नासिक के चिकाडी गांव में 5 एकड़ जमीन है। उनकी पूरी खेती किसानी अच्छे मानसून पर निर्भर है। हीरामन ने बातचीत के दौरान बताया कि वह पूरी तरह से मॉनसून पर निर्भर हैं क्योंकि उनके पास बोरवेल कराने के पैसे नहीं है।
हीरा दीहाड़ी मजदूरी भी करते हैं और प्रतिदिन का 50-100 रूपये कमाते हैं। उन्हें आशा है कि एक दिन सरकार वन क्षेत्र की वह जमीन जिसकी वह जुताई कर रहे हैं उनके नाम कर देगी और शायद उन्हें भी इस जमीन के टुकड़े के लिए लोन भी मिल जाए।
राजेभाउ राठौड़ मराठवाड़ा क्षेत्र के परभानी जिले के एक गांव से इस रैली में यह सोच कर आए हैं कि शायद सरकार द्वारा उनका लिया हुआ कृषि लोन माफ कर दे। राजेभाउ ने वर्ष 2012 में 1.80 लाख का लोन लिया था लेकिन लोन लेने के बाद ही लागातार सूखा पड़ता रहा और वह लोन चुका नहीं पाए।
राजेभाउ के पास तीन एकड़ जमीन है जिसपर खेती नहीं की जा सकती है। और मैं इस जमीन से फायदा बिल्कुल नहीं उठा पा रहा हूं। वह इस रैली में इसलिए आए हैं कि उन्हें उम्मीद है कि उनका लोन माफ हो जाएगा और वह फ्रेश लोन लेकर अपनी जमीन में बोरवेल करा पाएंगे। उन्होंने बोरवेल के लिए लोन की मांग की थी लेकिन बैंक ने उनकी अरजी खारिज कर दी है।
रामराजे महादिक कॉटन की खेती करते हैं और पिंक बोलवॉर्म हमले के बाद उनकी पूरी खेती बरबाद हो गई। 10 क्विंटल कॉटन 2-3 क्विंटल में सिमट कर रह गया। 50 क्विंटल की जगह सिर्फ 12 क्विंटल की खेती ही मेरे हिस्से में आई सरकार ने कहा था कि हमें मुआवजा दिया जाएगा लेकिन अभी तक खराब हुई फसल का कोई मुआवजा नहीं मिला है।
उन्होंने कहा कि हमने तो पूरी मेहनत की लेकिन मौसम और कीड़े की मार ने हमारी खेती बरबाद कर के रख दी अब हम क्या करें।