जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने आज खुलासा किया कि 2014 से इराक में फंसे 39 भारतीयों को ISIS ने मार दिया है। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में बताया कि मृतकों का शव भारत लाने के लिए प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और जल्द ही वापस लाया जाएगा। 2014 में भारत से मोसुल में काम करने गए मजदूरों को आतंकियों ने किडनैप कर लिया था। सुषमा के इस बयान के बाद इस घटना का एकलौता चश्मदीद हरजीत मसीह सामने आ गया है। हरजीत ने भारत सरकार पर गुमराह करने का आरोप लगाते हुए सुषमा स्वराज को ही झूठा बताया है। दरअसल हरजीत आइएसआइएस के चंगुल से बच निकलने में कामयाब रहा था और उन्होंने ही सबसे पहले 39 भारतीयों के मारे जाने की बात बताई थी।
विदेश मंत्री ने राज्यसभा में कहा कि रडार के इस्तेमाल से भारतीयों के शवों का पता लगाया गया। शवों को कब्रों से निकाला गया और डीएनए के जरिए पहचान की पुष्टि हो सकी। अपने बयान में सुषमा स्वराज ने इस घटना में एकलौते जीवित बचे हरजीत मसीह की बच निकलने की कहानी को गलत बताया।
सदन में 27 जुलाई 2017 को हुई चर्चा में विदेश मंत्री ने बयान दिया था कि जब तक उन भारतीयों की मौत का सबूत नहीं मिल जाता हम उन्हें मरा हुआ नहीं मान सकते। लेकिन अब उनके जिंदा न रहने की खबर की पुष्टि हो चुकी है।
दरअसल ये सारा मामला 14 जून 2015 से जुड़ा है जब इराक के शहर मोसुल से आईएसआईएस ने कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों को बंधक बना लिया था। इन बंधकों में 40 भारतीय भी थे। इन 40 बंधकों 39 भारतीयों को आईएसआईएस ने मार गिराया और केवल एक भारतीय हरजीत बच निकलने में कामयाब रहा।
बच निकलने पर हरजीत की कहानी
वापस भारत लौटने पर खुद हरजीत ने अपनी कहानी सुनाई थी। हरजीत ने कहा था कि आइएसआइएस के आतंकी हमें किसी पहाड़ी पर ले गए और हम सभी को किसी दूसरे ग्रुप के हवाले कर दिया। आतंकियों ने दो दिन तक हम सभी को अपने कब्जे में रखा। एक रोज हम सभी को कतार में खड़ा होने को कहा गया और सभी से मोबाइल और पैसे ले लिए गए। इसके बाद, उन्होंने दो-तीन मिनट तक गोलियां बरसाईं। मैं बीच में खड़ा था, मेरे पैर पर गोली लगी और मैं नीचे गिर गया और वहीं चुपचाप लेटा रहा। बाकी सभी लोग मारे गए। बाद में घायल हालत में वहां से बच निकलने में कामयाब रहा।
संसद में बोलते हुए जहां विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस मामले से जुड़े कई पहलुओं पर अपनी बात रखी। सुषमा ने हरजीत के इराक से बच निकलने वाली खबर पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि जब ISIS के आतंकियों ने एक कंपनी में काम कर रहे 40 भारतीयों को एक टेक्सटाइल कंपनी में भिजवाने को कहा था। उनके साथ कुछ बांग्लादेशी युवा भी थे। यहां पर उन्होंने बांग्लादेशियों और भारतीयों को अलग-अलग रखने को कहा। लेकिन हरजीत मसीह ने अपने मालिक के संग जुगाड़ करके अपना नाम अली किया और बांग्लादेशियों वाले समूह में शामिल हो गया। यहां से वह इरबिल पहुंच गया। सुषमा ने बताया कि यह कहानी इसलिए भी सच्ची लगती है क्योंकि इरबिल के नाके से ही हरजीत मसीह ने उन्हें फोन किया था। सुषमा ने आगे बताया, ‘हरजीत की कहानी इसलिए भी झूठी लगती है क्योंकि जब उसने फोन किया तो मैंने पूछा कि आप वहां (इरबिल) कैसे पहुंचे? तो उसने कहा मुझे कुछ नहीं पता।’ सुषमा ने आगे कहा, ‘मैंने उनसे पूछा कि ऐसा कैसे हो सकता है कि आपको कुछ भी नहीं पता? तो उसने बस यह कहा कि मुझे कुछ नहीं पता, बस आप मुझे यहां से निकाल लो।’
हरजीत ने भारत सरकार पर लगाया झूठ बोलने का आरोप
मैं सच बोल रहा हूं, सरकार झूठ बोल रही है। सरकार ने तीन साल तक लोगों को गुमराह किया। हरजीत उन 40 भारतीयों में शामिल थे जिसे ISIS ने अगवा किया था. लेकिन हरजीत ISIS के चंगुल से निकलने में कामयाब हुए। अब इस पूरे मामले पर भारत सरकार और हरजीत आमने-सामने आ गए हैं। जहां एक तरफ हरजीत अभी भी अपनी बात पर डंटे हुए हैं तो वहीं भारत सरकार को उनके बच निकलने की कहानी को ही फर्जी बता रही है।