हाइलाइट्स
- भारतीयों के शवों को मोसुल के उत्तर-पश्चिम में बादुश नाम के गांव के नजदीक दफनाया गया था।
- स्थानीय लोगों ने बताया था कि बादुश के पास टीले के नजदीक IS ने कुछ शवों को दफनाया था।
- अगवा हुए 39 भारतीयों में ज्यादातर पंजाब के थे, जो मोसुल के पास कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करते थे।
- 38 शवों की डीएनए से पहचान हो चुकी है और उन्हें भारत लाने की तैयारी चल रही है।
जनजीवन ब्यूरो /नई दिल्ली : इराकी अधिकारियों को 39 भारतीय कंस्ट्रक्शन वर्कर्स के शव मिल चुके हैं, जिन्हें खूंखार आतंकी संगठन ISIS ने उत्तरी इराक के मोसुल शहर से 3 साल पहले अगवा करके मार डाला था। विदेश मंत्री सुषमा स्वाराज ने मंगलवार को संसद में दिए अपने बयान में इस बात की तस्दीक की।
भारतीयों के शवों को मोसुल के उत्तर-पश्चिम में बादुश नाम के गांव के नजदीक दफनाया गया था। पिछले साल जुलाई में इराकी सेना ने मोसुल को ISIS के कब्जे से मुक्त कराया था।
इराकी अधिकारी नाजिहा अब्दुल-अमीर अल-शिमारी ने मंगलवार को पत्रकारों से कहा, ‘यह आतंकी दाएश गिरोह की तरफ से किया गया एक जघन्य अपराध था।’ बता दें कि ISIS का अरबी नाम दाएश है।
इस्लामिक स्टेट के साथ लड़ाई में मारे गए लोगों से जुड़े मुद्दों को देखने वाले इराक के सरकारी निकाय के प्रमुख नाजिहा ने कहा, ‘ये शव हमारे मित्र देश भारत के नागरिकों के हैं। उनकी गरिमा की रक्षा होनी चाहिए थी लेकिन बुरी ताकतें इस्लाम के सिद्धांतों को बदनाम करना चाहती थीं।’
अगवा हुए वर्करों में ज्यादातर उत्तर भारत के थे और मोसुल के नजदीक एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम कर रहे थे। जब आतंकियों ने शहर पर कब्जा किया, उसी दौरान इन वर्करों को अगवा कर लिया। रिश्तेदारों के मुताबिक मोसुल पर ISIS के कब्जे के 5 दिन बाद तक कुछ वर्करों के उनके पास फोन आए, जिनमें वे मदद की गुहार लगा रहे थे। बता दें कि इराक में अभी 10,000 भारतीय काम करते हैं।
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मंगलवार को संसद को बताया कि सर्च ऑपरेशन के दौरान पता चला कि बादुश के नजदीक एक टीले के पास कुछ शव दफनाए गए हैं। दरअसल स्थानीय लोगों ने बताया था कि IS ने यहां शवों को दफनाया था।
इराकी अधिकारियों ने टीले के नीचे शवों के दफनाए जाने की पुष्टि के लिए रेडार का इस्तेमाल किया। शवों के दफनाए जाने की पुष्टि होने के बाद वहां खुदाई की गई और शवों को निकाला गया। इसके बाद भारतीय अधिकारियों ने लापता मजदूरों के रिश्तेदारों के डीएनए सैंपल्स को इराक भेजा।
स्वराज ने कहा कि टीले के नीचे 39 शव मिले, लेकिन एक शव का डीएनए मैच होना अभी बाकी है।
पिछले साल जुलाई में स्वराज ने संसद में जोर देकर कहा था कि वह बिना पुख्ता सबूत के 39 भारतीयों को मृत घोषित नहीं करेंगी। दरअसल अगवा हुए भारतीयों के साथ काम करने वाले हरजीत मसीह ने दावा किया था कि IS ने 39 भारतीयों को मार डाला है। मसीह ने कहा था कि वह किसी तरह अपनी जान बचाकर भाग आने में कामयाब हुए थे। मसीह के दावों के बाद उठ रहे सवालों के बाद ही सुषमा ने तब संसद में बयान दिया था।
सुषमा स्वराज ने 2017 में लोकसभा में दिए अपने बयान में कहा था, ‘बिना किसी पुख्ता सबूत के किसी व्यक्ति को मृत घोषित करना पाप है। मैं यह पाप नहीं करूंगी।’
अब मौत की पुष्टि के बाद सुषमा ने कहा कि मृत भारतीयों के पार्थिव शरीर को भारत लाया जाएगा और इसके लिए केंद्रीय मंत्री जनरल वी.के. सिंह इराक जाएंगे।
सुषमा ने कहा, ‘जनरल वी. के. सिंह इराक में मारे गए भारतीयों के पार्थिव अवशेषों को लाने के लिए इराक जाएंगे। शवों को लेकर आनेवाला विमान सबसे पहले अमृतसर जाएगा, फिर वहां से पटना और आखिर में कोलकाता जाएगा।’
मारे गए 39 भारतीयों में ज्यादातर वर्कर पंजाब के थे और वे मोसुल के नजदीक नौकरी कर रहे थे।