अमलेंदु भूषण खां / नई दिल्ली । राज्यसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में राजनीतिक समीकरण पल पल बदल रहे हैं। खासबात यह है कि 10वीं सीट के लिए भाजप और सपा दोनों ही विधायकों को तोड़ने के लिए जी तोड़ प्रयास में जुटे हुए हैं।
मतदान 23 मार्च शुक्रवार को है। प्रमुख दलों द्वारा जरूरी मतों को सहेजने और दल के प्रत्याशी अथवा समर्थित प्रत्याशी के पक्ष में पोल करा देने की कवायदें तेज कर दी गई हैं। इस चुनाव की अहमियत को देखते हुए दलों के बड़े नेताओं का लखनऊ दौरा तेज हो गया है। बैठकें और भोज का दौर भी तेजी से चल रहा है।
भाजपा अपने सहयोगियों के अलावा निर्दलीय विधायकों, सपा, बसपा और कांग्रेस के नाखुश विधायकों से अपील कर रही है कि वह उनके पक्ष में वोट करें। हाल ही में भाजपा की सहयोगी सुहेलदेव बहुजन समाज पार्टी जिसके पास चार विधायक हैं उसने योगी आदित्यनाथ सरकार के प्रदर्शन पर सवाल उठाते हुए राज्यसभा में तटस्थ रहने की धमकी दी थी। जिसके बाद अमित शाह ने उन्हें फोन किया और मिलने के लिए बुलाया। इसके अलावा राजा भैया, विनोद सरोज, अमन मणि त्रिपाठी और विजय मिश्रा ने राष्ट्रपति चुनाव के दौरान भाजपा का समर्थन किया था। इसलिए भाजपा राज्यसभा चुनाव में भी उनके समर्थन को हासिल करने के लिए कोशिशें कर रही है। अपने 9वें उम्मीदवार के लिए भाजपा के पास इस समय 28 वोट हैं जबकि उसे 9 और वोटों की जरूरत है।
बसपा ने भीमराव अंबेडकर को अपना राज्यसभा उम्मीदवार बनाया है। बसपा के पास राज्य में 19 विधायक हैं। उसे उम्मीदवार को जिताने के लिए 19 और विधायकों की जरूरत है। कांग्रेस के सात और राष्ट्रीय लोक दल के एक विधायक का समर्थन मिलने से मायावती की पार्टी एक उम्मीदवार को जिता सकती है।
बहुजन समाज पार्टी के सभी विधायकों को बुधवार को ही लखनऊ बुला लिया गया है। बसपा प्रमुख मायावती गुरुवार को विधायकों को रात्रिभोज देंगी। वह इसके पहले विधायकों के साथ बैठक कर राज्यसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा करेंगी। बसपा के कुल 19 विधायक हैं। बसपा उम्मीदवार को सपा और कांग्रेस के विधायक भी वोट देंगे। बसपा उम्मीदवार को जिताने के लिए अतिरिक्त वोटों का जुगाड़ किया जा रहा है।
समाजवादी पार्टी के पास प्रदेश में 47 विधायक हैं। वह जया बच्चन को संसद के ऊपरी सदन में भेज रही है। उसके पास 10 एक्स्ट्रा वोट हैं। जिसे वह बसपा के उम्मीदवार को दे सकती है। सपा के वरिष्ठ नेता और विधायक पारसनाथ यादव ने कहा कि हम जानते हैं चुनाव कैसे लड़ा जाता है। हमारा उम्मीदवार जीतेगा और हम इस बात को सुनिश्चित करेंगे कि बसपा के उम्मीदवार की भी जीत हो।
कांग्रेस ने अपने चार बड़े नेताओं को राज्य में यह सुनिश्चित करने के लिए नियुक्त किया है कि उनके विधायक बसपा के समर्थन में ही वोट करें। पार्टी के विधानसभा में सात विधायक हैं। राज्यसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी को पर्यवेक्षक बनाया है। तिवारी और प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर बुधवार को लखनऊ पहुंच गए हैं।
तिवारी और कांग्रेस विधानमण्डल दल के नेता अजय कुमार लल्लू ने भी अपने विधायकों के साथ बैठक की। उन्होंने दावा किया कि पार्टी के सभी विधायक एकजुट हैं और राज्यसभा चुनाव में बसपा प्रत्याशी भीमराव अंबेडकर के पक्ष में वोट करेंगे। मेल-मिलाप और बैठकों का सिलसिला आज भी जारी रहेगा।
भारतीय जनता पार्टी ने राज्यसभा चुनाव के लिए अपने विधायकों को वोट डालने के लिए खासी सतर्कता बरतने के निर्देश दिये हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार शाम अपने सरकारी आवास पांच कालिदास मार्ग पर सभी विधायकों की बैठक बुलाई। इसमें बागी तेवर दिखा कर बाद में नर्म पड़े सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष व कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश राजभर व विधायक भी शामिल हुये।
असल में लोकसभा उपचुनाव में अतिआत्मविश्वास का शिकार होकर ठोकर खा चुकी भाजपा अब खूब फूंक फूंक कर कदम रख रही है। पार्टी के लिए सामने अपना नौवां प्रत्याशी जिताने की चुनौती है। यह चुनौती विपक्ष की ओर से है।
ये है वोटों का गणित
10वीं सीट के लिए यह चुनाव इतना फंसा हुआ नहीं होता अगर नरेश अग्रवाल ने पाला नहीं बदला होता। दरअसल यूपी में राज्यसभा चुनावों की गणित के मुताबिक एक कैंडिडेट को जीत के लिए 37 विधायकों के मतों की जरूरत है। भाजपा के पास 311 और सहयोगियों अपना दल एस (9) व सुभासभा (4) को मिलाकर एनडीए के कुल 324 विधायक हो रहे हैं। वहीं सपा के पास 47, बसपा के 19, कांग्रेस के 7, आरएलडी के 1, निषाद के 3 और निर्दलीय तीन विधायक हैं।