जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली। आपातकाल के 40 वर्ष पूरे होने और बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले केंद्र की राजग सरकार ने जयप्रकाश नारायण का कार्ड खेला है। केंद्र सरकार ने जयप्रकाश नारायण की जन्म स्थली पर राष्ट्रीय स्मारक बनाने का फैसला लिया है। मंत्रिमंडल के फैसले की जानकारी देते हुए गृहमंत्री राजनाथ ने कहा कि स्मारक अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को जयप्रकाश की जिंदगी से अवगत कराएगा और इसके निमार्ण में वित्तीय समस्याएं नहीं आने दी जाएगी।
आपातकाल को भारत के इतिहास में काला अध्याय के रुप में जाना जाता है। माना जाता है कि आपातकाल के जरिए लोकतंत्र का गला घोंटने की कोशिश की गई थी। जयप्रकाश नारायण आपातकाल के दौरान लंबे समय तक जेल में रहे। लेकिन कोई भी सरकार देश के लोकतंत्र को बचाने में उनके योगदान को कोई महत्व नहीं दिया। बिहार में विधानसभा चुनाव की सिर्फ औपचारिक घोषणा होनी बांकि है। इसलिए केंद्र सरकार जयप्रकाश नारायण को लेकर सक्रिय हो गई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आज हुई मंत्रिमंडल की बैठक में जयप्रकाश नारायण की जन्मस्थली बिहार के सारण जिले के सिताबदियारा गांव के लाला के टोला में राष्ट्रीय स्मारक बनाने का फैसला किया गया। राजनाथ ने बताया कि स्मारक में संग्रहालय भी रहेगा साथ ही एक इंस्टीट्यूट भी रहेगा जहां लोकतंत्र,राष्ट्र निमार्ण में पंचायतों की भूमिका, गांधी विचारधारा और खादी के प्रचार प्रसार के लिए शोध व अध्ययन की सुविधाएं भी उपलब्ध रहेगी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्मारक परिसर में ही लोकनायक खादी गौरव संवर्धन केंद्र भी बनाया जाएगा जहां झूग्गी झोपड़ी की महिलाओं द्वारा राष्ट्रीय तिरंगे बनाए जाएंगे। युवकों को जयप्रकाश नारायण के योगदान से अवगत कराने के लिए लोकनायक गौरव संवर्धन केंद्र भी बनाने का निर्णय सरकार ने लिया है।
राजनाथ ने कहा कि जयप्रकाश नारायण को भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में दिया गया था। लेकिन उसके बाद किसी भी सरकार ने इस ओर ध्यान देना मुनासिब नहीं समझा। जबकि जयप्रकाश स्वतंत्रता आंदोलन में बड़ी भूमिका थी। उन्होंने कहा कि स्मारक बनाने के लिए विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है और बिहार सरकार से जमीन उपलब्ध कराने के लिए आग्रह किया गया है।