जनजीवन ब्यूरो नई दिल्ली,ब्रज में आए बवंडर ने ऐसी तबाही मचाई कि 16 लोग काल के गाल में समा गए। भयंकर तूफान से शहर से देहात तक सैकड़ों पेड़, होर्डिंग, , खंभे उखड़ गए। कई जगह मकान और दीवार ढह गईं। आगरा के अछनेरा और डौकी में तीन-तीन जबकि ताजगंज में दो लोगों की मौत हो गई। मथुरा और फिरोजाबाद में चार-चार लोगों की मौत हो गई। जनहानि के साथ तूफान का कहर ताजमहल पर भी टूटा। विश्वविख्यात इमारत के दो गेटों की मीनारें गिरने के साथ मुख्य स्मारक को भी नुकसान हुआ। ।
ताजनगरी में शाम 7.30 बजे एकाएक बिजली गड़गड़ाने के बाद बादल घिरने लगे। तूफान का वेग उठा और लोग संभल पाते, तब तक ओलावृष्टि और भारी बारिश होने लगी। चंद मिनट में ही बवंडर पूरे ब्रज में फैल गया। तबाही का मंजर इतना विकराल हुआ कि हजारों पेड़, सैकड़ों होर्डिंग, बैनर, टीनेशड तहस-नहस हो गए। पानी की टंकियां छतों से उड़ गईं। तमाम घरों की दीवारें गिर गईं।
हादसों में अछनेरा के अगनपुरा में चंद्रवती, नागर में कलुआ व गांव कुकथला में निर्मला की मौत हो गई। डौकी के गांव सरवनखेड़ा में 70 वर्षीय ठाकुर दास के ऊपर दीवार गिर पड़ी। जबकि सुल्तानपुरा में भी दो लोगों की मौत होने की सूचना थी। ताजगंज के महुआ खेड़ा में दीवार के नीचे दबने से 80 वर्षीय गौरीशंकर और एक बंजारे की मौत हो गई।
मथुरा के फरह में एक मकान गिरने से एक ही परिवार के करन (7) विशाखा (3) और नट्टू (4) की मौत हो गई। वहीं टंकी गिरने से एक वृद्धा की मौत हो गई। फिरोजाबाद में अलग-अलग स्थानों पर दीवार गिरने से दो किशोर, 70 वर्षीय वृद्ध और एक अधेड़ की मौत हो गई। एटा और कासगंज में आंधी, बारिश ओर ओलावृष्टि से फसलों को काफी नुकसान हुआ है।
तूफान की तबाही से रेलमार्ग बुधवार रात चार घंटे ठप रहा। आगरा-दिल्ली और आगरा-झांसी रूट की 18 से अधिक ट्रेनें बीच रास्ते में खड़ी रहीं। इस दौरान देर रात यात्रियों को बरसात में खासी दिक्कतों का सामाना करना पड़ा।
कीठम रेलवे स्टेशन से मनिया रेलवे स्टेशन तक करीब 40 कि.मी रेलमार्ग पर ओवरहैड इलैक्ट्रिक लाइन क्षतिग्रस्त होने से आगरा-दिल्ली और आगरा-झांसी रूट की ट्रेनों के पहिये थम गए। नई दिल्ली भोपाल शताब्दी, स्वर्णजयंती, राजधानी सहित 18 ट्रेनें करीब तीन घंटे तक आउटर पर देर रात खड़ी रहीं।
महल में भारी नुकसान हुआ है। यहां की दो मीनारें गिर गईं। एक रॉयल गेट और दूसरी दक्षिणी के गेट की मीनार गिरी है। यहां लगे कलश भी गिर कर टूट गए। इसके अलावा मुख्य गुंबद पर लगे कुछ पत्थर भी टूटकर नीचे गिर गए। वहीं फोरकोर्ट में खड़ा नीम का पेड़ भी धराशायी हो गया।
पुरातत्व विभाग के अधिकारी देर रात तक मौके पर पहुंचकर नुकसान का आंकलन करने में जुटे हुए थे।
ताजमहल के इन गेटों का निर्माण 1631 से 1638 के बीच हुआ था। इनमें अभी कुछ दिन पूर्व छह मार्च को रायल गेट के कुछ पत्थर टूटकर नीचे गिरे थे। बुधवार को तेज आंधी में गेट के साइड की मीनार भरभराकर नीचे गिर पड़ी।
इसके अलावा दक्षिणी गेट की भी एक मीनार टूटकर नीचे गिर गई। वहीं फोरकोर्ट में लगा वर्षों पुराना नीम का एक पेड़ भी तूफान की भेंट चढ़ गया। इसके किनारे बना चबूतरा तहस-नहस हो गया। रायल गेट और दक्षिणी गेट पर लगे कलश टूटकर नीचे गिर गए। ताजमहल के मुख्य गुंबद पर लगे कुछ पत्थर भी तेज आंधी में नीचे आ गिरे। अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. भुवन विक्रम ने बताया कि मीनारों और पेड़ के गिरने के कारण काफी नुकसान हुआ है। नुकसान का आंकलन किया जा रहा है। आशंका जताई कि आंधी से कुछ और भी नुकसान हुआ होगा। इसका भी पता लगाया जा रहा है। कर्मचारियों को मौके पर भेज दिया गया है।