उधर, ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खमनेई ने कहा है कि सीरिया पर अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन की ओर से किया गया हमला एक अपराध था और इससे कुछ भी हासिल नहीं होगा। खमनेई ने ट्वीट कर कहा, ‘उन्हें इस हमले से कोई फायदा नहीं होगा, जैसा उनको पिछले कई वर्षों में इराक, सीरिया और अफगानिस्तान में नहीं हुआ।’ खमनेई ने अमेरिका के राष्ट्रपति, फ्रांस के राष्ट्रपति और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री को अपराधी बताया।
सीरिया पर मिसाइल हमले के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने अपने सहयोगी फ्रांस और यूके का शुक्रिया अदा किया है। इसके साथ ही उन्होंने घोषणा भी की, ‘मिशन पूरा हुआ।’ उधर, सीरिया हमले पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने बैठक भी बुलाई है।
फ्रांस के विदेश मंत्री जां इव ली दारियां ने शनिवार को दावा किया कि पैरिस, ब्रिटेन और अमेरिका द्वारा सीरिया पर किए गए हमले में बड़ी मात्रा में दमिश्क के रासायनिक हथियार नष्ट कर दिए गए हैं। फ्रांस ने यह दावा भी किया कि सीरिया ने इस हमले से सबक सीख लिया है। उन्होंने कहा, ‘बड़ी मात्रा में इसका रासायनिक हथियार नष्ट कर दिया गया है।’ आपको बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा हवाई हमलों की घोषणा करने के बाद अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन ने सीरिया की राजधानी दमिश्क पर शुक्रवार रात हमले किए। इस हमले में तीनों देशों ने कई अत्याधुनिक हथियारों जैसे, B-1 बॉम्बर्स, टोरनैडो जेट्स के साथ युद्धपोत का भी प्रयोग किया।
आगे भी कार्रवाई की चेतावनी
ली दारियां ने एक न्यूज चैनल से बातचीत में कहा, ‘पिछली रात किए गए हमले में बड़ी मात्रा में हथियार नष्ट हुए हैं।’ फ्रांसीसी विदेश मंत्री ने कहा कि फ्रांस के पास खुफिया जानकारी है कि दौमा में पिछले सप्ताहांत हुए रासायनिक हमले में सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल असद का हाथ रहा है। इस हमले में 40 लोगों की मौत हो गई थी। उन्होंने आगे कहा, ‘जहां तक रासायनिक हथियारों का सवाल है, एक लक्ष्मण रेखा है जिसे पार नहीं करना चाहिए और अगर इसे पार किया गया, तो फिर एक और हस्तक्षेप होगा लेकिन मुझे लगता है कि सबक सीखा जा चुका है।’
इससे पहले हमले के तुरंत बाद फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने बयान जारी किया था। उन्होंने कहा, ‘फ्रांस ने मई 2017 में जो लक्ष्मण रेखा खींची थी, उसे लांघा गया है।’ उन्होंने कहा, ‘मैंने फ्रांसीसी सेना को अमेरिका और ब्रिटेन के साथ गठबंधन में चलाए जा रहे अंतरराष्ट्रीय अभियान में शामिल होने का निर्देश दिया है जिसके निशाने पर सीरियाई सरकार के गोपनीय रासायनिक हथियार हैं।’
आपको बता दें कि ट्रंप ने हमले का आदेश सीरिया में हुए कथित रासायनिक हमलों में करीब 40 लोगों की मौत के बाद दिया था। सीरिया की वायु रक्षा सेवा ने अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन के इन संयुक्त हमलों का जवाब भी दिया। रूस की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि इसका नतीजा भयंकर हो सकता है। रूस ने यह भी कहा कि तीनों देशों को समझना चाहिए कि इस हमले का परिणाम युद्ध के रूप में भी हो सकता है।
वहीं, ईरान के विदेश मंत्रालय ने आगाह करते हुए कहा कि इस हमले का क्षेत्र पर असर पड़ सकता है। मंत्रालय ने कहा, ‘ अमेरिका और उसके सहयोगियों के पास कोई सबूत नहीं हैं, रासायनिक हथियार निषेध संगठन की जांच का इंतजार किए बिना ही उन्होंने सैन्य हमला कर दिया।’