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जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली: जज लोया की मौत की निष्पक्ष जांच की मांग को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि एसआईटी से जांच नहीं कराई जाएगी, साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को लताड़ते हुए यह भी कहा कि इससे पहले जज लोया मामले में जजों के फैसलों पर शक नहीं किया जा सकता है. यह याचिका जजों की छवि को खराब करने की कोशिश है. तीन जजों की बेंच ने कहा कि जनहित याचिकाएं जरूरी है लेकिन इसका दुरुपयोग चिंताजनक है. सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी की जांच वाली मांग की याचिका को ठुकरा दिया. साथ ही याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एसआईटी जांच की मांग वाली याचिका में कोई दम नहीं है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की बेंच ने फैसला सुनाया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जजों के बयान पर हम संदेह नहीं कर सकते. कोर्च ने कहा कि राजनीतिक लड़ाई मैदान में की जानी चाहिए, कोर्ट में नहीं. कोर्ट ने माना है कि जज लोया की मौत प्राकृतिक है. कोर्ट ने कहा कि जनहित याचिका का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए.
SC ने फैसले में कहा…
- जस्टिस लोया की मौत प्राकृतिक थी.
- सुप्रीम कोर्ट ने PIL के दुरुपयोग की आलोचना की.
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा, PIL का दुरुपयोग चिंता का विषय.
- याचिकाकर्ता का उद्देश्य जजों को बदनाम करना है.
- यह न्यायपालिका पर सीधा हमला है.
- राजनैतिक प्रतिद्वंद्विताओं को लोकतंत्र के सदन में ही सुलझाना होगा.
- PIL शरारतपूर्ण उद्देश्य से दाखिल की गई, यह आपराधिक अवमानना है.
- हम उन न्यायिक अधिकारियों के बयानों पर संदेह नहीं कर सकते, जो जज लोया के साथ थे.
- ये याचिका आपराधिक अवमानना के समान
- ये याचिका सैंकेंडलस और आपराधिक अवमानना के समान, लेकिन हम कोई कार्रवाई नहीं कर रहे.
- याचिकाकर्ताओं ने याचिका के जरिए जजों की छवि खराब करने का प्रयास किया.
- ये सीधे सीधे न्यायपालिका पर हमला.
- जनहित याचिकाएं जरूरी लेकिन इसका दुरुपयोग चिंताजनक.
- कोर्ट कानून के शासन के सरंक्षण के लिए है.
- जनहित याचिकाओं का इस्तेमाल एजेंडा वाले लोग कर रहे हैं.
- याचिका के पीछे असली चेहरा कौन है पता नहीं चलता.
- तुच्छ और मोटिवेटिड जनहित याचिकाओं से कोर्ट का वक्त खराब होता है.
- हमारे पास लोगों की निजी स्वतंत्रता से जुड़े बहुत केस लंबित हैं.