जनजूवन ब्यूरो / नई दिल्ली: नाबालिग से रेप का दोषी पाए जाने पर आसाराम को जोधपुर की विशेष अदालत ने उम्र कैद की सजा सुनाई है। उसकी सहयोगी शिल्पी और शरतचंद्र को 20-20 साल की सजा सुनाई है। उसे एक लाख रुपए के जुर्माने के साथ उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि दोषी आखिरी सांस तक जेल में ही रहेगा। मतलब आसाराम जब तक जिंदा रहेगा, उसे जेल में ही रहना होगा।
बता दें कि कोर्ट रूम में पत्रकारों को जाने की अनुमति नहीं थी। हालांकि, मीडिया चैनलों ने वहां मौजूद एक शख्स के हवाले से बताया कि आसाराम को जब उम्र कैद की सजा सुनाई गई, वह कोर्ट में ही रो पड़ा।
बताया जाता है कि जिस समय आसाराम को कोर्ट ने सजा सुनाई, वह टूट गया और फूट-फूट कर रोने लगा। कोर्ट ने अन्य आरोपियों को दस-दस साल की सजा सुनाई है। शख्स ने बताया कि आसाराम के वकीलों ने जज के समक्ष दलील दी कि उसकी उम्र ज्यादा हो गई है। वह संत रहा है। आपराधिक प्रवृत्ति का नहीं रहा है। आसाराम के करोड़ों अनुयायी हैं। इसलिए उसे कम सजा दी जाए, लेकिन कोर्ट ने बचाव पक्ष की किसी भी दलील को नहीं माना। कोर्ट ने माना कि आसाराम का अपराध इन सब से ऊपर है। पत्रकार ने जब पूछा कि आसाराम की हमेशा आदत रही है कि कोर्ट में वह ड्रामा करता है। इस पर शख्स ने कहा कि वह ड्रामा करने की स्थिति में नहीं था, क्योंकि जज जब फैसला सुना देते हैं तो वह आखिरी होता है। इसके बाद कोर्ट रूम से जज साहब चले जाते हैं। पत्रकार ने जब पूछा कि पहले आसाराम न्यायिक हिरासत में था, लेकिन सजा मिलने के बाद जेल में वह क्या करेगा? इसके जवाब में शख्स ने कहा कि न्यायिक हिरासत में कैदी से काम नहीं कराया जाता है। अब आसाराम दोषी साबित हो गया है तो उसे जेल के काम करने पड़ेंगे। जेल का सुप्रीम अधिकारी जो काम आसाराम को देगा, उसे करना होगा। दूसरी तरफ, आसाराम को दोषी करार दिए जाने के बाद पीड़िता के पिता ने कहा, “आसाराम दोषी करार दिए गए। हमें इंसाफ मिला है। इस लड़ाई में हमारा साथ देने वाले सभी लोगों को हम धन्यवाद देते हैं।” वहीं, आसाराम की प्रवक्ता ने कहा कि हम आगे की कार्रवाई के लिए अपनी लीगल टीम से चर्चा कर रहे हैं। हमें न्याय व्यवस्था पर पूरा विश्वास है।
आसाराम पर फैसले को देखते हुए किसी अप्रिय घटना से बचने के लिए दिल्ली पुलिस ने करोल बाग स्थित उसके आश्रम के बाहर और अंदर सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए थे। बैरिकेड लगाकर मुख्य रास्ता बंद कर दिया गया था। आश्रम के अंदर किसी बाहरी को जाने की अनुमति नहीं थी तो समर्थकों को भी बाहर नहीं आने दिया जा रहा था।
शांति बनाए रखने को कहा गया
गेट पर मीडियाकर्मियों के अलावा आम लोग भी मौजूद थे। फैसला आने के कुछ वक्त बाद आसाराम के अधिवक्ता विजय जैन बाहर आए और आसाराम के ऊपर लगे आरोपों को गलत बताया। उन्होंने कहा कि आसाराम को फंसाया गया है और जल्द ही यह साबित भी हो जाएगा। आश्रम में भोर से ही यज्ञ हवन चल रहा था। अंदर 20 से अधिक समर्थक थे, जिनसे शांति बनाए रखने को कहा गया।
महाराष्ट्र के अकोला में संभाजी ब्रिगेड के कार्यकर्ताओं ने आसाराम के आश्रम पर पथराव कर तोड़-फोड़ की है। कोर्ट के फैसले के बाद संभाजी ब्रिगेड के कार्यकर्ताओं ने पातुर रोड स्थित आश्रम पर जमकर पत्थरबाजी की और आश्रम में तोड़ फोड़ मचाई।