नई दिल्ली । केन्द्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान ने विगत चार वर्षों के दौरान मंत्रालय द्वारा की गई पहलों और सुधारों के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि गन्ना किसानों के लिए 8000 करोड़ रुपए केंद्र सरकार देने जा रही है। इसे जल्द ही कैबिनेट में मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। खाद्य प्रबंधन को और अधिक कार्यकुशल बनाने और देश में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए अनेक पहलें शुरू की गई थीं। पासवान ने कहा कि सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता किसानों और उपभोक्ताओं का हित देखना है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनयम सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में कार्यान्वित कर दिया गया है, जिससे लगभग 80.72 करोड़ आबादी लाभान्वित हुई है। सरकार ने एनएफएसए स्कीम के अंतर्गत केन्द्रीय निर्गम मूल्य को अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया है, अर्थात मोटे अनाज/गेहूं/चावल के लिए 1/2/3 रुपए प्रति किलोग्राम। इसके परिणामस्वरूप खाद्य सब्सिडी अब 1.43 लाख करोड़ रुपए है, जो वर्ष 2014-15 में 1.13 लाख करोड़ रुपए से 26% अधिक है।
राशन कार्डों को समाप्त करना : राशन कार्डों/लाभार्थियों के रिकार्डों के डिजीटीकरण, आधार सीडिंग के कारण नकली राशन कार्डों की समाप्ति, स्थानातंरण/निवास स्थान परिवर्तन/मृत्यु, लाभार्थियों की आर्थिक स्थिति में परिवर्तन और खाद्य सुरक्षा अधिनियम के कार्यान्वयन होने तक की अवधि तथा इसके कार्यान्वयन के परिणामस्वरूप 2.75 करोड़ राशन कार्ड समाप्त कर दिए गए हैं। इसके आधार पर सरकार ने प्रतिवर्ष लगभग 17,000 करोड़ रुपए की खाद्य सब्सिडी सही लाभार्थियों के लिए लक्षित की है।
राज्यों के भीतर खाद्यान्नों के संचलन तथा उचित दर दुकानों के डीलरों की मार्जिन पर होने वाले खर्च को पूरा करने के लिए केन्द्रीय सहायता के रूप में राज्य सरकारों को वर्ष 2016-17 के दौरान 2500 करोड़ रुपए और वर्ष 2017-18 के दौरान 4500 करोड़ रुपए जारी किए गए थे।
पायलट योजना और राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के अनुभवों के आधार पर खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग ने नवम्बर 2014 में उचित दर दुकानों पर पीओएस मशीनों के इस्तेमाल के लिए दिशा-निर्देश और विनिर्दिष्टियां निर्धारित की थीं। फिलहाल (29 मई 2018 की स्थिति के अनुसार) 5,27,930 उचित दर दुकानों में से 3,16,600 दुकानों में पीओएस मशीनें उपलब्ध हैं।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली में डिजिटल/कैशलेस/लेस-कैश भुगतान: लेस-कैश/डिजिटल भुगतान तंत्र के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए विभाग ने 7 दिसम्बर 2016 को एईपीएस, यूपीआई, यूएसएसडी, डेबिट/रुपे कार्डों और ई-वॉलेट के इस्तेमाल के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए हैं। फिलहाल 10 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में कुल 51,479 उचित दर दुकानों में डिजिटल भुगतान की सुविधा उपलब्ध है।
राशन कार्ड डाटा का 100% डिजिटीकरण कर दिया गया है, सभी राज्यों के पास पारदर्शिता पोर्टल है, 30 राज्यों में खाद्यान्नों का ऑनलाइन आवंटन किया जा रहा है और 21 राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में आपूर्ति श्रखला प्रबंधन प्रणाली का कम्प्यूटरीकरण कर दिया गया है।
केन्द्रीय क्षेत्र की नई स्कीम “सार्वजनिक वितरण प्रणाली का एकीकृत प्रबंधन” (आईएम -पीडीएस): सार्वजनिक वितरण प्रणाली नेटवर्क (पीएसडीएन) तैयार करने हेतु सेंट्रल डाटा रिपोजीटरी तथा सार्वजनिक वितरण प्रणाली की केन्द्रीय मानीटरिंग प्रणाली की स्थापना करने और राष्ट्रीय स्तर पर पोर्टेबिलिटी के कार्यान्वयन के लिए यह स्कीम 127.3 करोड़ रुपए के परिव्यय के साथ अनुमोदित की गई है, जिसका कार्यान्वयन वित्तीय वर्ष 2018-19 और वि त्तीय वर्ष 2019-20 के दौरान किया जाएगा।
सरकार ने एक नई स्कीम रिवैम्प करके अधिसूचित की है, जिसके अंतर्गत अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति / ओबीसी हॉस्टल में पोषण के पर्याप्त मानकों को सुनिश्चित करने के लिए सब्सिडी वाली कीमतों पर खाद्य पदार्थों को कल्याण और समाज के कमजोर वर्गों के विकास के लिए आवंटित किया जा रहा है। योजनाबद्ध दिशानिर्देशों के अनुसार, अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति / ओबीसी समुदाय से संबंधित निवासी छात्रों के कम से कम 2/3 वाले छात्रावास सभी निवासी छात्रों के लिए सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त करने के पात्र हैं, जिनमें अन्य श्रेणियों के लोग शामिल हैं। इस योजना के तहत खाद्यान्न का केंद्रीय मूल्य बीपीएल दरों पर तय किया गया है। गेहूं और चावल के मुद्दे (विभिन्न क्षेत्रों में खाद्य आदतों के आधार पर तय किया जाने वाला अनुपात) निवासियों की पोषण आवश्यकता के अनुसार है, प्रति माह अधिकतम 15 किलोग्राम प्रति व्यक्ति निर्धारित है।