जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । पिछले तीन दिनों से दिल्ली और एनसीआर पर ईरानी और अफगानी धूल की चादर छाई हुई है। लोग जहरीली हवा में घुट-घुटकर जीने के लिए मजबूर हैं । लेकिन मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि फिलहाल दो दिनों तक जहरीली हवा से राहत मिलने की उम्मीद नहीं है। सतह बेहद गर्म होने और तेज हवाओं के साथ उड़ती धूल ने वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) को भी गंभीर स्तर पर पहुंचा दिया है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक, बुधवार को दिल्ली-एनसीआर में पर्टिकुलेट मैटर-10 (हवा में मौजूद खतरनाक कण) मानकों से 9 गुना ज्यादा यानी आपात स्तर को पार कर 830 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर तक रिकॉर्ड हुआ। पीएम 2.5 भी सामान्य स्तर से 4 गुना ज्यादा रिकॉर्ड किया गया।
मंगलवार को दिल्ली में कई जगहों पर सामान्य से 18 गुना तक अधिक प्रदूषण मिला। गाजियाबाद, नोएडा में भी प्रदूषण के कारण लोगों का सांस लेना दूभर हो गया है। बुधवार को भी पूरी दिल्ली धूल की चादर में लिपटी-सी नजर आई। सीपीसीबी के अनुसार दिल्ली का एयर इंडेक्स 445 रहा। सफर के पूर्वानुमान के अनुसार आने वाले 24 घंटे तक इस प्रदूषण से दिल्ली को राहत नहीं मिलेगी।
प्रदूषण बढ़ने की सबसे बड़ी वजह पीएम 10 का स्तर है। दिल्ली की 20 जगहों पर पीएम 10 का स्तर 10 गुना से अधिक रहा। सबसे अधिक पीएम 10 का स्तर मुंडका में 1804 एमजीसीएम (माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर), नरेला में 1702, नरेला में 1646, रोहिणी में 1666, जहांगीरपुरी में 1552, अरबिंदो मार्ग पर 1530, पंजाबी बाग में 1488, आनंद विहार में 1405, जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में 1462, पटपड़गंज में 1312, अशोक विहार मे 1499 रहा। पीएम 2.5 का स्तर भी बवाना में सबसे अधिक 411, कर्णी सिंह स्टेडियम में 321, मेजर ध्यान चंद स्टेडियम में 333, पटपडगंज में 318, वजीरपुर में 301 एमजीसीएम रहा।
सीपीसीबी के अनुसार शाम 6 बजे पीएम 10 का स्तर 850 एमजीसीएम रहा। इसकी वजह से दिल्ली में विजिबिलिटी कम रही और धूल की चादर देखने को मिली। सीएसई पहले ही गर्मियों में बढ़ते प्रदूषण पर चिंता जता चुकी है। इसी माह जारी एक रिपोर्ट में सीएसई (सेंटर फॉर साइंस ऐंड इन्वाइरनमेंट) ने दावा किया था कि एक अप्रैल से 27 मई 2018 के बीच 65 पर्सेंट दिनों में दिल्ली का एयर इंडेक्स खराब और बहुत खराब रहा है। इस दौरान सिर्फ एक पर्सेंट दिल्ली दिल्ली वालों को साफ हवा में सांस लेने का मौका मिला।
मौसम विभाग के वैज्ञानिकों ने धूल का स्रोत ईरान और दक्षिणी अफगानिस्तान व राजस्थान से आई धूल भरी आंधी को बताया है। इन दोनों जगहों से 30 हजार फुट की ऊंचाई तक उठी धूल ने दिल्ली और आसपास के इलाकों को जद में लिया है।
24 घंटों के औसत आधार पर दिल्ली में बुधवार को वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 445, गुरुग्राम में 488, बुलंदशहर व ग्रेटर नोएडा में 500, जोधपुर में 420, मुरादाबाद में 431 और नोएडा में 340 रिकॉर्ड किया गया। हरियाणा के रोहतक और राजस्थान के जयपुर में हवा बहुत खराब श्रेणी में है। दिल्ली, हरियाणा और यूपी में हवा की गुणवत्ता गंभीर स्तर पर है।
13 जून को दोपहर तीन बजे दिल्ली-एनसीआर की हवा में पर्टिकुलेट मैटर 10 सामान्य मानक 100 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर से पांच गुना ज्यादा रिकॉर्ड हुआ। शाम 7 बजकर 25 मिनट पर करीब 9 गुना ज्यादा 822 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर तक रिकॉर्ड किया गया।
ज्यादा महीन और खतरनाक कण पर्टिकुलेट मैटर 2.5 मानक से 4 गुना ज्यादा 230 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर तक रिकॉर्ड किया गया।
एक हफ्ते के लिए कमजोर मानसून
मौसम विभाग ने बुधवार को बताया कि राजस्थान से दक्षिणी-पश्चिमी और पंजाब की ओर से पश्चिमी गर्म हवाएं दिल्ली समेत उत्तर भारत के मैदानी भाग को प्रभावित कर रहे हैं। गर्मी और उमस से फिलहाल राहत की उम्मीद नहीं है।
दक्षिण-पूर्व को छोड़कर करीब एक हफ्ते की देरी से मानसून दक्षिण, मध्य और पूर्वी भारत में दस्तक दे सकता है। जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, पश्चिमी और पूर्वी उत्तर प्रदेश में अगले तीन दिन तक 25 से 30 किलोमीटर गति वाली धूल भरी आंधी की संभावना है। 18 जून तक इन क्षेत्रों में मौसम शुष्क रहेगा।
दिल्ली-एनसीआर ऐसे बना धूल का चैंबर
दिल्ली में फैली धूल की चादर
दिल्ली में फैली धूल की चादर – फोटो : पीटीआई
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के क्षेत्रीय निदेशक कुलदीप श्रीवास्तव ने बताया कि इस वक्त 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से
धूल भरी चक्रवाती हवाएं चल रही हैं। इनकी जद में दिल्ली, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान हैं।
निजी स्काईमेट के मौसम विज्ञानी महेश पलावत ने बताया कि दक्षिणी अफगानिस्तान और ईरान में आई धूल भरी आंधी की व
जह से दिल्ली और आसपास धूल का चैंबर दिखाई दे रहा है। सतह से 20 हजार फुट तक धूल का चैंबर बना हुआ है। सतह पर हवा तेज गति से चल रही है। संभावना है कि यह धूल छंट जाए।
दिल्ली-एनसीआर ऐसे बना धूल का चैंबर
बाहरी कारण –
– ईरान और दक्षिणी अफगानिस्तान में उठे तूफान से आई धूल
– दक्षिण पश्चिम और पश्चिम से आने वाली गर्म और धूल भरी हवा
स्थानीय कारण
– सतह पर तेज गर्म हवा के कारण कुछ ऊंचाई तक उड़ने वाली महीन धूल व अन्य कण
– वाहनों के परिवहन से सुस्त होकर बैठी धूल का सक्रिय होना
कैसे और कब मिल सकती है राहत
धूल का एकमात्र उपाय बारिश है। 16 और 17 तक कुछ बौछारें आने की संभावना है।