जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । जम्मू-कश्मीर में पीपल्स डेमोक्रैटिक पार्टी (पीडीपी) और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की गठबंधन सरकार गिरने के बाद राज्यपाल शासन लगा दिया गया है। जम्मू-कश्मीर के लिए यह कोई नई बात नहीं है। बल्कि पिछले 4 दशक से यह सिलसिला जारी है। पिछले चार दशक में 8वीं बार राज्यपाल शासन लगाया गया है।
1977 में 105 दिन के लिए लागू हुआ था राज्यपाल शासन
26 मार्च, 1977
राज्यपाल शासन- 105 दिन
शेख अब्दुल्ला की नैशनल कॉन्फ्रेंस से कांग्रेस के समर्थन वापस लेने के बाद 26 मार्च 1977 को यहां राज्यपाल शासन लागू हुआ था जो 105 दिन तक चला था। 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से समझौता के बाद यहां नैशनल कॉन्फ्रेंस की सरकार बनी थी। चुनाव के बाद 9 जुलाई 1977 को शेख अब्दुल्ला ने दोबारा सत्ता में वापसी की और पांच साल तक शासन किया।
दूसरी बार 246 दिन के लिए राज्यपाल शासन
6 मार्च, 1986
राज्यपाल शासन- 246 दिन
6 मार्च 1986 को एक बार फिर कांग्रेस के समर्थन वापस लेने के बाद जम्मू-कश्मीर में गुलाम मोहम्मद शाह की अल्पमत वाली सरकार गिर गई थी। तब राज्य में केंद्र शासन 246 दिन तक लागू रहा था। गुलाम मोहम्मद शाह खुद भी कुछ विधायकों के साथ मिलकर नैशनल कॉन्फ्रेंस से अलग होकर सीएम बने थे। राज्यपाल शासन के खत्म होने के बाद फारूक अब्दुल्ला ने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ समझौता कर सरकार बनाई।
जम्मू-कश्मीर में अब तक का सबसे लंबा राज्यपाल शासन
19 जनवरी, 1990
राज्यपाल शासन- 6 साल, 264 दिन
जम्मू-कश्मीर में अभी तक का सबसे लंबा राष्ट्रपति शासन 1990 में लगा था। उस दौरान जगमोहन मल्होत्रा की राज्यपाल के रूप में नियुक्ति के विरोध में फारूक अब्दुल्ला ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था। इस वजह से जम्मू-कश्मीर में तीसरी बार राज्यपाल शासन लागू हुआ था। इसके बाद 1996 चुनाव में नैशनल कॉन्फ्रेंस ने दोबारा सत्ता में वापसी की थी और फारूक अब्दुल्ला सीएम बने थे।
चौथी बार 15 दिन के लिए राष्ट्रपति शासन
18 अक्टूबर, 2002
राज्यपाल शासन- 15 दिन
2002 में त्रिशंकु विधानसभा नतीजों के बाद फारूक अब्दुल्ला ने कार्यवाहक सीएम के रूप में सेवाएं देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद राज्य में फिर से राज्यपाल शासन लागू हुआ था जो 15 दिन तक चला था। इसके बाद मुफ्ती मोहम्मद सईद ने कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों के साथ गठबंधन कर सरकार बना ली थी।