जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली : देश में आपातकाल लगाये जाने के 43वीं बरसी पर मंगलवार को बिहार प्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता ने विवादास्पद बयान देकर सियासी भूचाल ला दिया है. उन्होंने कांग्रेस द्वारा देश में लगाये गये आपातकाल को सही ठहराते हुए कहा है कि यह जनहित में लिया गया फैसला था. साथ ही उन्होंने देश में आपातकाल लगाये जाने के पक्ष में दलीलें भी पेश कीं. वहीं, बिहार प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी अध्यक्ष ने भी उनकी दलील को सही ठहराते हुए पार्टी नेता का पक्ष लिया है.
कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने भी नरेंद्र मोदी पर हमला बोला और कहा कि भारत अब सभी संस्थानों के व्यवस्थित विध्वंस का गवाह बन रहा है. लोकतंत्र और संविधान की रक्षा करने वाले सभी संस्थान एक तानाशाह प्रधानमंत्री और अंहकारी सरकार के अधीन हैं. शर्मा ने ट्वीट किया, ‘इंदिरा गांधी अपने समय की सबसे दिग्गज नेता और लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित मशहूर प्रधानमंत्री थीं. जेटली द्वारा इंदिरा की तुलना हिटलर से करना बेतुका, घृणित और इतिहास को बिगाड़ने वाला है. इंदिरा गांधी की निर्वाचित सरकार को असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक तरीके से अस्थिर करने की कोशिश की गई थी. आपातकाल एक भूल थी और इंदिरा गांधी ने खुद इसपर खेद जताया था.’ शर्मा ने कहा कि जेटली स्मृतिभ्रंस की बीमारी से जूझ रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘तानाशाह चुनाव नहीं कराते. भाजपा को याद दिलाया जाए कि इंदिरा गांधी ने निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए आपातकाल हटा लिया था. उन्हें हार मिली और उन्होंने उसे स्वीकार किया और विनम्रता का सबूत दिया. जेटली और भाजपा की हिटलर के प्रति सनक समझ से परे है. वह संघ-भाजपा स्कूल से आते हैं, जो हिटलर और फासीवाद की प्रशंसा करते हैं.’
साथ ही शर्मा ने कहा कि यह बहस 198० में ही समाप्त हो गई थी, जब भारत के लोगों ने इंदिरा गांधी को भारी बहुमत के साथ सत्ता सौंपी थी और विपक्षियों को कूड़ेदान का रुख दिखाया था. उन्होंने कहा, ‘भाजपा-संघ उनकी यादों और उनके त्याग का अपमान नहीं कर सकते. भारत के लोग उन्हें एक हीरो के रूप में याद करते हैं.’
बिहार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता सदानंद सिंह ने मंगलवार को देश में आपातकाल लगाये जाने के 43वीं बरसी पर विवादास्पद बयान देकर चौतरफा घिर गये हैं. वर्ष 1975 से 1977 तक देश में लगाये गये आपातकाल का पक्ष लेते हुए उन्होंने कहा है कि आपातकाल देश की मांग थी. यह काफी हद कर जनहित में लिया गया फैसला था. साथ ही उन्होंने आपातकाल के पक्ष में दलील देते हुए कहा कि ‘याद कीजिए, इमरजेन्सी के वक्त ट्रेनें समय पर चलने लगी थीं. सरकारी काम में तेजी आयी थी. भ्रष्टाचार खत्म हो गया था. सरकारी महकमे में एक भय का वातावरण था. संचिकाओं का निष्पादन त्वरित गति से होता था. आज ठीक इसके विपरित स्थितियां हैं. इमरजेंसी लगने से भ्रष्टाचार खत्म हो गया था. इसलिए इमरजेंसी कुछ हद तक इस मामले में लाभकारी था. वहीं, बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रभारी प्रदेश अध्यक्ष कौकब कादरी ने पार्टी नेता सदानंद सिंह के बयान को सही ठहराया है.