अमलेंदु भूषण खां / पटना : भाजपा और जदयू के बीच शीत युद्ध काफी समय से जारी है. एक दूसरे के खिलाफ तंज कसने में नेता कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे हैं. जिसके कारण माना जा रहा है कि लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भाजपा को बिहार से काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है. भाजपा और जदयू के बीच इन्हीं बिगड़ते हालात को थामने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह 12 जुलाई को पटना जाएंगे
सूत्रों के मुताबिक इस यात्रा के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनकी मुलाकात होगी. इस मुलाकात को लेकर सूबे की सियासत तेज हो गयी है. ऐसा कयास लगाया जा रहा है कि दोनों प्रमुख नेताओं की मुलाकात के दौरान लोकसभा चुनाव के मद्देनजर सीट शेयरिंग पर भी बातचीत हो सकती है. जानकारी के मुताबिक अमित शाह 12 जुलाई को रांची से पटना पहुंचेंगे. काफी समय से उनका पटना दौरा टल रहा था. पूर्व में वे तीन दिवसीय दौरे पर आने वाले थे, लेकिन अब वे एक दिन के लिए ही यहां आयेंगे. जहां, वे पार्टी के प्रमुख नेताओं व पदाधिकारियों के साथ भी बैठक करेंगे.
विदित हो कि बिहार में एनडीए के नेता सीट शेयरिंग को लेकर लगातार बयान दे रहे हैं. जेडीयू के नेता 2015 विधानसभा चुनाव के आधार पर सीट शेयरिंग की बात कह रहे हैं. वहीं, बीजेपी अधिक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी का बयान देकर बिहार की सियासत को और गरमा दी. बीजेपी और जेडीयू के इस तकरार के बीच अमित शाह के पटना दौरे पर हर किसी की निगाहें रहेंगी. इससे पहले जेडीयू प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा था कि बिहार बीजेपी के नेता जो बयानों से मीडिया में छाना चाहते हैं, उन्हें नियंत्रण में रखने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा था कि 2014 और 2019 में काफी अंतर है.
संजय सिंह ने कहा था कि बीजेपी यह समझती है कि वह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बिना बिहार में जीत नहीं सकती है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगर बीजेपी को सहयोगी की आवश्यकता नहीं तो वह सभी 40 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने के लिए स्वतंत्र है. वहीं, मुंगेर लोकसभा से सांसद और एलजेपी की नेत्री वीणा देवी ने भी सीट शेयरिंग को लेकर खुल कर बयान दिया. उन्होंने कहा था कि एलजेपी को सबसे अधिक सीट मिलेगी. उन्होंने कहा था कि जेडीयू की सीटों पर कहा कि उनके केवल दो सांसद है तो उन्हें केवल दो सीट ही दी जायेगी. बिहार में एनडीए की सहयोगी पार्टियों में एलजेपी के पास सबसे अधिक सांसद हैं.
अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले भाजपा अपने सभी सहयोगियों को मनाने की जुगत में लगी हुई है. माना जा रहा है कि नीतीश से मुलाकात करके शाह बिगड़ी बात बनाने की कोशिश करेंगे. मंगलवार को जदयू के नेता संजय सिंह ने कहा था कि भाजपा के वह नेता जो हमेशा हेडलाइंस में बने रहना चाहते हैं उन्हें नियंत्रण में रहने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि 2014 और 2019 के चुनाव में बहुत बड़ा अंतर है. भाजपा को बहुत अच्छे से पता है कि बिहार में नीतीश कुमार के बिना चुनाव जीतना आसान नहीं होगा. अगर भाजपा को सहयोगी पार्टी की जरूरत नहीं है तो वह बिहार में सभी 40 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए स्वतंत्र है.
वहीं सीट बंटवारे की इस लड़ाई में भाजपा के सहयोगी और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान भी कूद गए हैं. लोक जनशक्ति पार्टी प्रमुख का कहना है कि भाजपा नेतृत्व वाले राजग के सभी घटक दल अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बिहार में सीट साझा को लेकर जल्द निर्णय चाहते हैं. केंद्रीय मंत्री ने उम्मीद जतायी है कि राजग के सभी घटक दलों के बीच सीट साझा का मुद्दा जल्द ही सुलझ जाएगा. उन्होंने कहा कि सभी पार्टियों को लोकसभा चुनाव के लिए उससे पूर्व अपने कार्यकर्ताओं को संगठित करने की आवश्यकता होती है. इसलिए जल्द ही सीट साझा के मामले को सुलझा लिया जाना चाहिए.