जनजीवन ब्यूरो
हजारीबाग/रांची। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड के हजारीबाग स्थित बरही राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान संस्थान की आधारशिला रखते हुए राज्यवासियो को भारोसा दिलाया कि झारखंड में बंद पड़े युरिया कारखानों को फिर से शुरू करने की कोशिश की जायेगी । उन्होंने कहा कि इस देश का दुर्भाग्य है कि कृषि जगत को किसानों की किस्मत पर छोड़ दिया गया है। इस अनुसंधान केंद्र से कई राज्यों को फायदा मिलेगा। आज भी खेती की वही पुरानी परंपरा चली आ रही जो पीढ़ियों से चल रही है, लेकिन कृषि को आधुनिक और वैज्ञानिक बनाने की दिशा में यह हमारा कदम आगे बढ़ रहा है। झारखंड के राज्यपाल और मुख्यमंत्री सहित कई केंद्रीय मंत्री भी वहां मौजूद थे।
प्रधानमंत्री ने यहां खेती को आधुनिक तरीकों से जोड़ने पर जोर देते हुए कहा, आबादी बढ़ने के साथ पैदावार बढ़ाने पर भी जोर देना होगा। हमारे देश में दूसरी कृषि क्रांति अविलंब होनी चाहिए और बिहार , झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में यह क्षमता है। जगह के आधार पर खेती में आधुनिकता लाने की जरूरत है। सरकार की ओर से झारखंड में बंद पड़े युरिया कारखानों को फिर से शुरू करने की कोशिश की जायेगी। मृदा स्वास्थ कार्ड के बारे में जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, जिस तरह से शरीर का स्वभाव होता है उसी तरह धरती का भी स्वभाव होता है। हमारे शरीर के लिए जिस तरह हेल्थ कार्ड बनता है उसी तरह धरती के लिए भी स्वास्थ कार्ड सरकार किसानों को दे रही है।
इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री रघुवर दास भी मौजूद हैं उन्होंने कहा कि हमारी सरकार के छह महीने पूरे हो चुके है,लेकिन अबतक हमारे ऊपर भ्रष्टाचार के कोई आरोप नहीं लगा। हमारी सरकार विकास के लिए काम कर रही है। इसके लिए हमने कई योजना बनायी है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा, राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान संस्थान के रूप में झारखंड और बिहार दोनों को तोहफा मिल रहा है। मैं इसके लिए प्रधानमंत्री जी का शुक्रिया अदा करना चाहूंगा। देश का विकास तभी संभव है जब किसानों का विकास होगा। इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एयरपोर्ट में स्वागत के लिए झारखंड की राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू समेत मुख्यमंत्री रघुवर दास, अर्जुन मुंडा सहित कई और नेता और मंत्री शामिल थे।
प्रधानमंत्री की मौजूदगी में ही इस्पात मंत्रालय, नेशनल मिनरल्स डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एनएमडीसी) और झारखंड सरकार के बीच एक समेकित छह एमटी स्टील प्लांट के लिए एमओयू भी हुआ। स्टील प्लांट की स्थापना के लिए अभी तक स्थल का चयन नहीं किया गया है।
इस अत्याधुनिक शोध संस्थान में तीन स्नातकोत्तर कोर्स होंगे जो बागवानी एवं वानिकी, प्राकतिक संसाधनों के प्रबंध एवं उसका उपयोग तथा प्रजातीय आधार पर फसल सुधार एवं संरक्षण विषयों में होंगे।
इस संस्थान में होने वाले शोध से झारखंड और पूर्वी भारत के किसानों को खेती की नयी तकनीकों की जानकारी मिलेगी और उनकी समस्याओं का निदान किया जायेगा।
संस्थान में होंगे तीन स्कूल : गौरिया करमा में आइएआरआइ का निर्माण करीब 1000 करोड़ की लागत से होना है। इसके लिए 1000 एकड़ जमीन चिह्न्ति की गयी है। यह राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान संस्थान (पूसा) के बाद दूसरे स्थान पर आएगा।
संस्थान इन विभिन्न विधाओं में स्नात्कोत्तर और डॉक्टर की उपाधि के पाठ्यक्रम संचालित करेगा। सत्र 2015-16 में 10-10 विद्यार्थी पीजी में नामांकित होंगे। एक वर्ष की पढ़ाई पूरी करने के बाद विद्यार्थी संस्थान में शोध कार्य कर सकेंगे। खाद्यान्न आयात की निर्भरता कम करने में भी संस्थान की अहम भूमिका होगी। यहां देश व विदेश के कृषि वैज्ञानिक पदस्थापित होंगे।