जनजीवन ब्यूरो / पटना : बिहार में नीतीश कुमार को लेकर राजनीतिक सरगरमी तेज है। लालू यादव के बड़े बेटे अपने घर पर नीतीश चाचा की नो एंट्री को बोर्ड चस्पा दिया है तो शरद यादव खेमा राजनीतिक बदले की तैयारी में जुटा हुआ है। 2019 के चुनाव से पहले नीतीश कुमार को महागठबंधन में शामिल किए जाने को लेकर तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। जहां कांग्रेस के कुछ विधायक नीतीश कुमार की प्रशंसा कर रहे हैं और महागठबंधन में वापसी का समर्थन कर रहे हैं, वहीं शरद यादव का खेमा नीतीश कुमार को महागठबंधन में आने से रोकने की रणनीति पर काम कर रहा है।
शरद यादव के एक खास सहयोगी ने बताया कि कांग्रेस के नीतीश के पक्ष में बयानबाजी से यादव खेमा खुश नहीं हैं । वहीं पिछले दिनों आगामी चार राज्यों में चुनाव के मद्देनजर एनडीए में सीट की मांगों को लेकर एकबार एनडीए में असंतोष देखा जा रहा है। बताया जा रहा है कि जेडीयू द्वारा एनडीए में चारों राज्यों की विधानसभा चुनावों में भी आजमाएंगे ताकत, महागठबंधन के नीचे चुनाव लड़कर नीतीश विरोध को अलग थलग रखने की होगी कोशिश रहेगा।
वहीं दूसरी तरफ लालू यादव और उनके दोनों पुत्र तेज प्रताप और तेजस्वी नीतीश चाचा की महागठबंधन में नो एंट्री कह चुके हैं। दोनों ही बेटे बार बार नीतीश कुमार के महागबंधन में शामिल होने को लेकर समय समय पर विरोध करते रहे हैं। आरजेडी के नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा था कि महागठबंधन में नीतीश कुमार के लिए सभी दरवाजे बंद हैं।
कांग्रेस विधायक सुदर्शन कुमार और तैसीफ आलम ने नीतीश को महागठबंधन की जरूरत बताया था। सुदर्शन ने कहा कि नीतीश कुमार बिहार में एकमात्र स्वीकार्य मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हैं और यदि महागठबंधन बीजेपी को चुनौती देने के बारे में गंभीर है तो इस मुद्दे पर उसे विचार करना चाहिए।
2019 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने कहा कि जदयू को बिहार के अलावा दूसरे राज्यों जैसे झारखंड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी सम्मानित सीटें दी जानी चाहिए। त्यागी ने इशारों-इशारों में कहा था कि समय आ गया है कि भाजपा नीतीश कुमार की अधिकतम सेवाएं ले और हमें दूसरे राज्यों में सम्मानित सीटें भी दे।