जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । रियल एस्टेट के कुछ डेवलपर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ निर्माणाधीन परियोजनाओं में फ्लैट बुक कराने वाले मकान के खरीदारों को नहीं दे रहे हैं। नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था के एक साल पूरा होने के मौके पर प्रॉपर्टी कंसल्टेंट सीबीआरई ने यह बात कही है। वस्तु एवं सेवा कर बीते साल एक जुलाई को देश में लागू हुआ था।
‘वन ईयर ऑफ द लैंडमार्क जीएसटी-इंपैक्ट ऑन द आरई (रियल एस्टेट) मार्केट’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि रेडी-टू-मूव फ्लैट की मांग में तेजी देखी जा रही है, क्योंकि पूर्ण (कंप्लीटेड) परियोजनाओं पर जीएसटी नहीं लगता है। इसकी वजह से खासकर दक्षिण भारत में डेवलपर परियोजना पूरी होने के बाद फ्लैट बेचेंगे।
रिहायशी इलाकों में पड़ा है असर
सीबीआरई ने कहा कि जीएसटी का रिहायशी क्षेत्र पर भिन्न असर पड़ा है, क्योंकि निर्मित तथा निर्माणाधीन मकानों पर कराधान अलग-अलग है। पूर्ण परियोजनाओं पर जीएसटी नहीं लगता है, इसलिए मकान खरीदारों के बीच रेडी-टू-मूव मकानों की मांग काफी अधिक है।
निर्माणाधीन फ्लैट पर 12 फीसदी का जीएसटी लगता है, जबकि किफायती आवास पर कर की दर आठ फीसदी है। जीएसटी व्यवस्था में पूर्ण परियोजनाओं का मतलब केवल रेडी-टू-मूव परियोजनाओं से ही नहीं है, बल्कि जिन्हें कंप्लीशन सर्टिफिकेट मिल चुका है, वे भी पूर्ण परियोजना का ही हिस्सा हैं।
सीबीआरई ने कहा कि निर्माणाधीन परियोजनाओं के लिए डेवलपर सही कीमत तय करने के लिए निर्माण/विकास लागत पर मिलने वाले इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) को ध्यान में रख रहे हैं।
मकान खरीदने की धारणा को नुकसान
सभी डेवलपर आईटीसी का पूरा लाभ उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंचा रहे हैं, परिणामस्वरूप लोगों के मकान खरीदने की धारणा को नुकसान पहुंच रहा है। ऐसे डेवलपर बिक्री को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी योजना जैसी अनोखी भुगतान योजना का सहारा ले रहे हैं, जिसमें उपभोक्ताओं को पजेशन मिलने तक ईएमआई अवकाश की सुविधा मिलती है।
सीबीआरई ने कहा कि जो परियोजनाएं एक जुलाई, 2017 से पहले लांच हुई हैं और निर्माण के उन्नत चरण में हैं, उन्हें आईटीसी के कारण उल्लेखनीय फायदा होने की संभावना नहीं है, क्योंकि अधिकांश निर्माण सामग्री जीएसटी लागू होने से पहले खरीदी गई होगी। निर्माण के प्रारंभिक चरण वाली निर्माणाधीन परियोजनाएं जीएसटी व्यवस्था के तहत आईटीसी के हिसाब से अपनी कीमतों को समायोजित कर सकते हैं।
जीएसटी से निवेश परिदृश्य में सुधार
भारतीय रियल एस्टेट पर जीएसटी के एक साल के प्रभाव पर टिप्पणी करते हुए सीबीआरई के भारत एवं दक्षिण-पूर्व एशिया के चेयरमैन अंशुमान मैगजीन ने कहा कि विभिन्न नीतिगत सुधारों जैसे जीएसटी व रेरा का लागू होना तथा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमों में ढील ने देश में निवेश परिदृश्य को उल्लेखनीय रूप से आसान व सुव्यवस्थित किया है।
निवेश के लिहाज से कार्यालय तथा रिहायशी सेगमेंट की प्रमुखता बनी हुई है, वहीं वैकल्पिक क्षेत्र जैसे रिटेल तथा वेयरहाउसिंग की भी मांग बढ़ी है। मैगजीन ने कहा कि जीएसटी लागू होने के साथ ही वेयरहाउसिंग क्षेत्र में घरेलू के साथ-साथ राष्ट्रीय खिलाड़ियों ने दिलचस्पी जताई है, जिसके परिणामस्वरूप बेहतर गुणवत्ता वाले तथा निवेश योग्य संपत्तियां सामने आई हैं।