जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में 16 दिसंबर, साल 2012 में हुए निर्भया गैंगरेप मामले में सोमवार को दोषियों की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की फांसी की सजा को बरकरार रखा है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 4 मई को पवन, विनय और मुकेश की पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा था। चौथे दोषी अक्षय ने पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं की थी। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद अब इन दोषियों के पास क्यूरेटिव पिटिशन और फिर राष्ट्रपति के पास दया याचिका का विकल्प ही बचता है।
सोमवार को मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने मुकेश सिंह, पवन गुप्ता और विनय शर्मा की याचिकाओं को खारिज कर दिया। बता दें कि मामले में मौत की सजा पाए चौथे आरोपी अक्षय कुमार सिंह (31) ने सुप्रीम कोर्ट के 5 मई 2017 के फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर नहीं की थी। हालांकि आरोपी के वकील एडवोकेट एपी सिंह का कहना है कि वह भी अक्षय के लिए याचिका दायर करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा कि रिव्यू के लिए कोई ग्राउंड नहीं है। जो पॉइंट्स उठाए गए हैं उसमें कोई नया ग्राउंड नहीं दिखता है। आखिरकार कोर्ट ने पिटिशन को खारिज कर दिया। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 5 मई 2017 को निर्भया केस में चारों दोषी मुकेश, अक्षय, विनय और पवन को दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा दी गई फांसी की सजा को बरकरार रखा था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ये मामला रेयरेस्ट ऑफ रेयर की श्रेणी में आता है। अदालत ने कहा था कि पीड़िता ने अंतिम समय में जो बयान दिया, वह बेहद अहम और पुख्ता साक्ष्य हैं। इस मामले ने देशभर के लोगों को झकझोर दिया था।
CJI मिश्रा की बेंच ने सुनाया था फैसला
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुआई वाली बेंच ने चारों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी जिसके बाद इन दोषियों ने एक-एक कर रिव्यू पिटिशन दाखिल की। नियम के तहत रिव्यू पिटिशन की ओपन कोर्ट में सुनवाई हुई और बाद में 4 मई 2018 को अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया। सुप्रीम कोर्ट में फैसले के बाद निर्भया के पैरंट्स ने कहा कि उन्हें इंसाफ की पूरी उम्मीद थी और वे चाहते हैं कि जल्दी से जल्दी इन्हें फांसी पर लटकाया जाए।
‘फांसी पर ही बेटी को न्याय मिलेगा’
SC के फैसले से पहले निर्भया के माता-पिता ने नवभारत टाइम्स को बताया, ‘निर्भया देश की बेटी थी। हम चाहते हैं कि मेरी बेटी के साथ जघन्य हरकत करनेवालों को ऐसी सजा मिले जो सबके लिए मिसाल बने। हमें फांसी से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। चारों दोषियों को जब फांसी की सजा मिलेगी तभी हमारी बेटी को न्याय मिल सकेगा।’ सोमवार को फैसला आने के बाद निर्भया के पिता ने कहा कि आज भी बेटियों के साथ अपराध हो रहे हैं, ऐसे में जल्द से जल्द इन दोषियों को फांसी दी जाए जिससे समाज में संदेश जाए और ऐसी हरकत करनेवाले डरें।
आइए जानते हैं निर्भया को अपनी हवस का शिकार बनाने वाले उन दोषियों के बारे में, जिन्होंने मानवता को शर्मसार कर दिया। इन सभी दोषियों को अदालत ने फासी की सजा सुनाई है।
पवन गुप्ता:-
घटना में शामिल पवन गुप्ता (22) पेशे से एक फल बेचने वाला था। पवन अपने काम के साथ ग्रेजुएशन की तैयारी भी कर रहा था। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वो तिहाड़ जेल के नंबर दो में अपने साथियों के साथ रहा है। पवन गुप्ता ने भी विनय शर्मा के साथ संगीत कार्यक्रम में होने की बात कही थी।
मुकेश सिंह:-
बस की सफाई का काम करने वाला मुकेश (29) भी इस बर्बरता का मुख्य आरोपी है। उसने गैंगरेप के बाद निर्भया पर लोहे की रॉड से हमला किया था। ये राम सिंह का छोटा भाई था। मुकेश ड्राइविंग और क्लीनर का काम करता था। मुकेश दक्षिणी दिल्ली के रविदास झुग्गियों में राम सिंह के साथ ही रहता था।
अक्षय कुमार:-
बिहार का रहने वाला अक्षय अपनी पढ़ाई छोड़कर दिल्ली भाग आया था। अक्षय जेल में रहने के दौरान खबरों में आया था। उसके मुताबिक जेल में उसकी जान को खतरा है और इसलिए उसने सुरक्षा की मांग उठाई थी। अक्षय घटना के 5 दिन बाद उसके गांव (बिहार) से पकड़ा गया था।
विनय शर्मा:-
गैंगरेप के दौरान राम सिंह के अलावा विनय शर्मा (23) ने भी बस चलाई थी। ये पेशे से एक फिटनेस ट्रेनर था। इसने तिहाड़ में ही यूनिवर्सिटी के एग्जाम की तैयारियां कर रहा था। चौंका देने वाली बात है कि विनय ने भी राम सिंह की तरह खुद को मारने की कोशिश की लेकिन वह नाकाम रहा। बता दें कि राम सिंह का पड़ोसी था।
उल्लेखनीय है कि इस केस में छह आरोपियों को धर-दबोचा गया था, जिनमें से एक की जेल में ही मौत हो गई थी। वहीं एक नाबालिग था, जिसे रिहा कर दिया गया। बता दें कि मुख्य दोषी राम सिंह माना गया था, जोकि वारदात की रात बस चला रहा था। उसने जेल के अंदर ही खुद को फांसी लगा ली थी।