सुधांशू / पटना । भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और बिहार के सीएम नीतीश कुमार की मुलाकात के बाद शाह ने हुंकार भरते हुए कार्यकर्ताओं से कहा कि जदयू और भाजपा का गठबंधन टूटने नहीं जा रहा है। नीतीश जी हमारे साथ हैं और हमारे साथ ही रहेंगे। शाह ने कहा जिस तरह से हमारे गठबंधन को तोड़ने की कोशिशें चल रही हैं मैं कह देना चाहता हूं कि आगामी लोकसभा चुनाव में हम 40 की 40 सीटें जीतने जा रहे हैं। विपक्षी पार्टियों पर निशाना साधते हुए शाह ने कहा कि जिस तरह से दोनों पार्टियों के बीच झगड़े की बात फैलाई जा रही है कुछ भी ऐसा होने वाला नहीं है। ये झगड़ा हो जाएगा वो झगड़ा हो जाएगा, कुछ नहीं होनेवाला आप लार टपकाते रहिये। नीतीश जी का हाथ भाजपा के साथ है।
शाह ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर हमला करते हुए कहा कि राहुल गांधी आज देशभर में भ्रमण कर रहे है और मोदी सरकार से चार साल का हिसाब मांग रहे है। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को ऐसा करने का हक नहीं है। अमित शाह ने कहा कि राहुल गांधी को पहले गांधी परिवार के चार दशकों के शासन का हिसाब देना चाहिए। देश की जनता आज उनसे कांग्रेस के चार दशकों के शासन का हिसाब मांग रही है। देश की जनता आज उनसे पूछ रही है कि गांधी परिवार के चार पीढ़ियों के शासन के दौरान आम जनता के लिए क्या किया गया
पटना स्थित ज्ञान भवन में अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा, कांग्रेस मुक्त भारत की कही से शुरूआत हुई तो यही बिहार से हुई है। जय प्रकाश ने इसी भूमि से कांग्रेस के खिलाफ मोरचा खोला था। उन्होंने कहा, बीजेपी किसी एक परिवार की पार्टी नहीं है। बीजेपी एक विचारधारा है। हमारी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर बहुत अत्याचार हुआ है। देश के अंदर एक पूर्ण बहुमत की सरकार नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही है और देश के 70 फीसदी भू भाग पर बीजेपी की सरकार है।
शाह ने कहा कि भाजपा को अपने साथियों को संभालना बखूबी आता है। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि बिहार में एनडीए सभी चालीस सीटों पर जीत दर्ज करेगी। राजद और कांग्रेस गठबंधन पर निशाना साधते हुए अमित शाह ने कहा कि यूपीए सरकार में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव भी शामिल थे। बावजूद इसके बिहार के विकास के लिए क्या किया गया। जनता इस बारे में हिसाब मांग रही है। देश के साथ ही बिहार की जनता भी यूपीए सरकार के दस साल के शासन का हिसाब मांग रही है। उन्होंने कहा कि बिहार में भी अब हमने सरकार बना लिया है और हमें गठबंधन धर्म निभाने आता है।
अमित शाह ने कहा, हमारी पार्टी की शुरुआत 10 सदस्यों से हुई थी। हमारी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने संघर्ष कर आज पार्टी को यहां तक पहुंचाया है। 2019 के चुनाव में एक बार फिर पूर्ण बहुमत की सरकार बनानी है और एक बार फिर से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश को आगे बढ़ाना है।
हालांकि, शाम को एक बार फिर डिनर पर दोनों नेता मुलाकात करेंगे। इस बैठक में दोनों नेताओं के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत होगी। इस बैठक के बाद ही साफ हो पाएगा कि राज्य में किसके खाते में कितनी सीटें आएंगी।
सुबह हुई मुलाकात के बाद नीतीश कुमार हंसते हुए कमरे से बाहर निकले थे लेकिन उन्होंने मीडिया से कोई बात नहीं की थी।
बैठक के दौरान अमित शाह को नाश्ते में सत्तू के पराठे, कचौड़ी, चने की सब्जी, तोरई की सब्जी परोसी गई। साथ ही सूजी का उपमा का भी इंतजाम किया गया था जिसे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने चखा। साथ ही आलू की सब्जी, दही का मट्ठा, लस्सी, फल जैसे सेब, पपीता और आम का भी नाश्ते में इंतजाम किया गया था। अमित शाह को गुजराती पोहे का भी नाश्ते में प्रबंध किया गया। नाश्ते में गरमा गरम चाय की भी व्यवस्था की गई।
अमित शाह ने ज्ञान भवन में भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ बैठकें कीं। जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि नीतीश कुमार का चेहरा ही बिहार में एक ऐसा चेहरा है, जो सभी जगहों पर समान रूप से लोकप्रिय है।
मालूम हो कि 2014 लोकसभा चुनाव में राजग उत्तर बिहार और दक्षिण बिहार में बंटी 40 सीटों में कुल 31 सीटें जीता था, जबकि अलग चुनाव लड़े जदयू को 2 सीट मिली थी। अब जदयू के भी राजग का हिस्सा होने से 33 सीटें इनके कब्जे में हैं। बाकी की सात सीटों पर राजद, कांग्रेस और दूसरे दल काबिज हैं। माना जा रहा है कि अमित शाह इन्हीं 7 सीटों के जरिए नीतिश को सहमत करने का फार्मूला आजमाने जा रहे हैं।
विपक्ष की टिकी नजर
महागठबंधन के सभी घटक दलों की अमित शाह की पटना यात्रा पर नजर टिकी है। एनडीए के घटक दल रालोसपा को भी इसके नतीजे का इंतजार है। वहीं जद(यू) के वरिष्ठ नेता इसे बहुत निर्णायक बैठक नहीं मान रहे हैं। पार्टी के एक वरिष्ठ सूत्र का कहना है कि भाजपा के साथ हमारा मुख्य मुद्दा सीटों के बंटवारे का है। बिहार में जद(यू) भाजपा से बड़ी और बड़े जनाधार वाली पार्टी है। इसलिए आगामी लोकसभा चुनाव में जद(यू) भाजपा के बराबर सीटों पर ही चुनाव लड़ना चाहती है।
हमारा और हमारे नेता नीतीश कुमार का एजेंडा साफ है। नीतीश कुमार ने एनडीए में बने रहने की घोषणा कर दी है। सूत्र का कहना है कि गेंद भाजपा अध्यक्ष के पाले में है। उन्हें बताना है कि वह कितना गठबंधन धर्म निभाना चाहते हैं। इसलिए जद(यू) राज्य की 40 लोकसभा सीटों के घटक दलों में बंटवारे को लेकर भाजपा के प्रस्ताव का इंतजार कर रही है।
महागठबंधन प्रसन्न है
एनडीए के खेमे में तकरार से महागठबंधन खेमा प्रसन्न है। उसकी प्रसन्नता का एक बड़ा कारण नीतिश कुमार की छवि का फंस जाना है। नीतीश कुमार ने पिछला विधानसभा चुनाव राष्ट्रीय जनता दल, कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ा था। महागठबंधन को बहुमत मिला, सरकार बनी और बाद में नीतीश कुमार की पार्टी जद(यू) ने महागठबंधन से नाता तोड़ लिया। इसे राजद नेता लालू प्रसाद यादव ने पीठ में छूरा घोपना करार दिया था।
पार्टी के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद ने जद(यू) का विश्वासघात बताकर कड़ी आलोचना की थी और जद(यू) के वरिष्ठ नेता शरद यादव तथा कुछ राज्यसभा सदस्यों, नेताओं ने विरोध करते हुए पार्टी से बगावत कर दी थी। अब इस सभी कुनबे को नीतीश कुमार के साथ भाजपा के नये समीकरण का इंतजार है।