जनजीवन ब्यूरो
नई दिल्ली। आईआईएम मामले में आलोचनाओं के बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय बैकफुट पर आ गया है। माना जा रहा है कि आईआईएम विधेयक में बिजनेस स्कूलों के संचालन की नीतियों में सरकार कुछ विवादित उपबंधों को हटाने पर विचार कर रही है जो बिजनेस स्कूलों की स्वायत्ता का कथित तौर पर उल्लंघन कर सकते हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि मंत्रालय इन उपबंधों को हटाने की संभावना के बारे में विचार विमर्श की प्रक्रिया में है लेकिन अंतिम निर्णय इस मुद्दे पर मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी के साथ चर्चा के बाद लिया जाएगा।
सूत्रों ने बताया कि विचार विमर्श के लिए आईआईएम प्रमुखों की एक बैठक बुलाई जा सकती है। मंत्रालय मसौदा विधेयक की धारा 36 की उपधारा :1: को हटा सकता है जिसमें कहा गया है कि आईआईएम बोर्ड केंद्र सरकार की अनुमति से अधिसूचना द्बारा ऐसे नियमन बना सकती है जो इस अधिनियम और इसके प्रावधानों के तहत बनाए गए नियमो के असंगत नहीं हों।
आईआईएम चाहती है कि मसौदा विधेयक की धारा 35 को हटाया जाए क्योंकि इस बारे में उनसे चर्चा नहीं की गई है। धारा 35 में केंद्र सरकार को अन्य चीजों के अलावा आईआईएम अधिनियम के प्रावधानों को आगे बढाने के लिए नियम बनाने का अधिकार होगा।
आईआईएम अहमदाबाद समेत कई आईआईएम ने सरकार के मसौदा विधेयक की काफी आलोचना की और कहा कि इससे न केवल उनकी स्वायत्ता में कटौती होगी बल्कि आईआईएम महज परिचालक बनकर रह जाएगा जबकि सरकार को व्यापक अधिकार प्राप्त हो जाएंगे।
मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी को लिखे पत्र में आईआईएम अहमदाबाद के अध्यक्ष ए एम नाइक ने कहा, ” हम इस बात से गंभीर रूप सÞ चिंतित हैं कि मसौदा विधेयक के कुछ प्रावधानों से संस्थान की स्वायत्ता के साथ गंभीर रूप से समझौता किया जाएगा। हम मानते हैं कि प्रबंधन शिक्षा के भविष्य के लिए यह महत्वपूर्ण विधेयक है और इसलिए संस्थान की स्वायत्ता और जवाबदेही के बीच अधिकतम संतुलन सुनिश्चित करने के लिए गहन समीक्षा करने की जरूरत है।’’
आईआईएम बेंगलूरु के निदेशक सुशील बच्चानी ने कहा, ”अगर विधेयक इस रूप में आगे बढ़ता है तो बोर्ड के कई फैसलों के संबंध में सरकार के अनुमति कीजरूरत होगी और सरकार का एक समान नियम होता है और ऐसे में कुछ मामलों में यह आईआईएम के लिए अच्छी बात हो सकती है और कुछ मामलों में नहीं। ’’