जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । जीएसटी काउंसिल की ओर से हाल ही में टैक्स कटौती के चलते यह उम्मीद जताई जा रही थी कि टीवी और कार जैसी चीजें सस्ती होंगी, लेकिन इस पर पानी फिरता नजर आ रहा है। इसकी वजह रुपये में लगातार जारी गिरावट है। इसके चलते इन प्रॉडक्ट्स से जुड़े पार्ट्स का आयात महंगा साबित हो रहा है। अब टीवी और कार मैन्युफैक्चरर्स कीमतों में इजाफे को लेकर विचार कर रहे हैं।
अमेरिका में ब्याज दरों में हुए इजाफे और ट्रेड वॉर के चलते वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता की स्थिति होने की वजह से बीते कुछ महीनों में डॉलर तेजी से मजबूत हुआ है और रुपया उसके मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। रुपया इन दिनों एशिया की सबसे खराब परफॉर्मेंस देने वाली करंसीज में से एक है। इन स्थितियों से संकेत मिलते हैं कि रुपये में गिरावट का दौर आने वाले कुछ और दिनों तक जारी रह सकता है।
रुपये में कमजोरी के चलते इंपोर्ट महंगा हुआ है और घरेलू मैन्युफैक्चरर्स के लिए उत्पादन की लागत बढ़ गई है। मारुति सुजुकी के सीनियर डायरेक्टर आर.एस. कालसी ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बताया, ‘हम रुपये में गिरावट का असर देख रहे हैं। हम कीमतों का आकलन कर सकते हैं।’ देश की सबसे बड़ी कारमेकर कंपनी बड़े पैमाने पर स्थानीय स्तर पर ही मैन्युफैक्चरिंग करती है। लेकिन, अब अपनी परचेजिंग या फिर वेंडर्स की खरीद के लिए वह काफी हद तक डॉलर पर निर्भर करती है।
कंपनी को बाहर से इलेक्ट्रिकल, इनर पार्ट्स, ईसीयू, इंजन और ट्रांसमिशन पार्ट्स जैसी चीजों का आयात करना पड़ता है। कंपनी की ओर से जापानी पैरेंट फर्म सुजुकी को रॉयल्टी की पेमेंट करनी होती है। इसके अलावा अन्य वैरिएबल्स भी कंपनी के फाइनांस को प्रभावित करते हैं। जापान की ही कंपनी टोयोटा का भी कहना है कि वह रुपये में लगातार गिरावट पर नजर बनाए हुए है।