अमलेंदु भूषण खां
पाकिस्तान में नई सरकार के स्वागत की तैयारी शुरु हो चुकी है। लेकिन पाकिस्तान का शासन प्रणाली भारत के सामने किसी भी रुप में अपेक्षा पर खरा नही उतरता है। आजादी के 71 साल के भीतर भारत ने जहां तरक्की के नए आयाम विकसित किए वहीं पाकिस्तान में भारी राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजरता रहा।
राजनीतिक असंतोष वाले पाकिस्तान ने लोकतंत्र के साथ ही सैन्य शासन को झेला। 71 वर्षों में पाकिस्तान की जनता ने 35 साल सैन्य शासन और तानाशाही को झेला। महज दो बार ही प्रधानमंत्री ने पांच साल का अपना कार्यकाल पूरा किया। आंकड़े बताते हैं कि इन 71 वर्षों में पाकिस्तान में यहां 13 बार सरकारें बनीं जिसमें 18 लोग 22 बार प्रधानमंत्री बने।
आतंकवाद का पनाहगाह कहा जाने वाला पाकिस्तान इन दिनों वैश्विक निशाने पर है। उसपर आर्थिक प्रतिबंध लगाए जाने की भी बात चल रही है। दूसरी तरफ पाकिस्तान में आमचुनाव की तैयारी जोर शोर से चल रही है। यह वहां का 15वां आम चुनाव होगा। राजनीतिक जानकार कहते हैं कि यह चुनाव सिर्फ राजनीतिक हलकों में बदलाव के लिए महत्वपूर्ण नहीं होगा बल्कि चुनावी खर्च के मामले में भी इस बार कई रिकॉर्ड टूटेंगे। बताया जा रहा है कि 2013 में हुए चुनाव से इसबार का चुनाव चार गुणा खर्चीला होने जा रहा है। सिर्फ चुनाव आयोग चुनावी प्रक्रिया पर 1700 करोड़ रुपये खर्च करने जा रहा है।
पाकिस्तान आजादी के बाद से ही अशांत रहा है। देश के पहले प्रधानमंत्री लियाकत अली की 1951 में ही हत्या कर दी गई। उसके बाद पाकिस्तान में अशांति का दौर शुरू हुआ और महज 6 वर्षों में देश में छह प्रधानमंत्री बनाए गए और बर्खास्त किए गए। जबकि 1958 में आर्मी चीफ अयूब खान ने सत्ता पर कब्जा किया और देश में 11 वर्षों तक सैन्यशासन रहा। 1969 में जनरल याह्रा खान ने कुर्सी संभाली।
1973-1977 में जुल्फिकार अली भुट्टो ने सत्ता संभाली लेकिन महज दो सालों में ही तख्ता पलट हो गया और फिर पाकिस्तान में सैन्य शासन लगाया गया। जनरल जियाउल हक ने कब्जा किया और 1979 में भुट्टो को फांसी दी गई। एकबार पाकिस्तान का लोकतंत्र फिर सेना के हाथों में रहा। 1986 में भुट्टो की बेटी बेनजीर ने ब्रिटेन से लौटकर पीपीपी का नेतृत्व किया। इस बीच जनरल हक हवाई दुर्घटना में मारे गए।
पाकिस्तान में आम चुनाव हुए और भारी मतों से बेनजीर ने जीत हांसिल की और सत्ता संभाली। बेनजीर देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं। देश ने विकास की नई कहानियां लिखीं। दो साल बाद राष्ट्रपति इशाक खान ने भ्रष्टाचार के आरोप में बेनजीर सरकार बर्खास्त कर दी। नवंबर 1990 में नवाज शरीफ पीएम बने। 1993 में दोबारा पीएम बने। पर सेना के दबाव में पद छोड़ना पड़ा।
नवाज शरीफ देश के सबसे पंसदीदा शासक रहे। उन्हें पाकिस्तानी जनता ने 1997 में नवाज की पार्टी पीएमएल-एन को जीत दिलाई और शरीफ तीसरी बार देश के पीएम बने। फिर उन्होंने देश की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो और उनके पति आसिफ जरदारी को 1999 में सजा सुनाई गई जिसके बाद दोनों ने देश के बाहर शरण ली।
1997 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नवाज अधिक दिन तक शासन नहीं कर सके। इसी दौरान भारत और पाकिस्तान का कारगिल युद्ध भी हुआ। जिसके बाद 1999 में करगिल युद्ध में शिकस्त झेलने के बाद जनरल परवेज मुशर्रफ ने शरीफ सरकार का तख्तापलट किया।
मुशर्रफ ने खुद को राष्ट्रपति घोषित किया। 2002 में हुए जनमत संग्रह में मुशर्रफ राष्ट्रपति चुने गए। वो आर्मी चीफ पद पर भी बने रहे।
2007 में बेनजीर एकबार फिर देश लौटीं। इस समय देश राष्ट्रपति शासन और सैन्यशासन से त्रस्त था। सर्वोच्च न्यायालय ने देश में सख्ती लागू की तो मुशर्रफ ने देश में आपातकाल लागू किया। देश निकाला झेल रहे नवाज ने देश वापसी की और इस दौरान पाकिस्तान में चुनाव रैलियां चरम पर थीं।
इसी दौरान एक रैली को संबोधित करने रावलपिंडी पहुंची बेनजीर की हत्या कर दी गई। वह दिन 27 दिसंबर 2007 था।
2008 में पीपीपी-पीएमएल के गठबंधन ने चुनाव जीता और युसुफ रजा गिलानी पीएम बने। मुशर्रफ के खिलाफ जांच शुरू हुई और जांच में दोशी पाए गए और उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा। यह पाकिस्तान के सैन्यकाल का अंत था।
शरीफ पाकिस्तान के सबसे अधिकबार प्रधानमंत्री बनने वाले इकलौते प्रधानमंत्री हैं। एकबार पाकिस्तान में फिर सैन्य शासन लंबे समय तक झेला और जब मुशर्रफ शासन से त्रस्त पाकिस्तानी जनता ने विरोध किया और 2013 के आम चुनाव में शरीफ चौथी बार पीएम बने। भ्रष्टाचार के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहरा दिया। जुलाई 2017 में शरीफ को पद छोड़ना पड़ा। शाहिद खकान अब्बासी प्रधानमंत्री बने।