जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । राफेल लड़ाकू विमान सौदे को लेकर संसद में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला बोला था। इसमें राहुल गांधी ने पीएम नरेंद्र मोदी को इस सौदे से मिले अवैध पैसे का सीधे भागीदार होने का आरोप लगाया था। कांग्रेस पार्टी के मीडिया प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला इसी सांठगांठ और भागीदारी को लेकर सामने आ गए हैं। कांग्रेस का आरोप है कि राफेल सौदे पर रक्षा मंत्री, प्रधानमंत्री और भाजपा सीधे झूठ बोल रही है।
कांग्रेस ने आरोप को धार देते हुए इस 60 हजार 45 करोड़ की राफेल डील की डील को कल्चर ऑफ क्रोनी कैपेटेलिज्म यानी 3सी मोदी सरकार का डीएनए बताया है। कांग्रेस ने कहा कि एक झूठ छिपाने के लिए सौ झूठ बोलना मोदी सरकार का चाल, चेहरा और चरित्र बन गया है। पार्टी ने अपने इस खुले सवाल और आरोप पर प्रधानमंत्री से जवाब मांगा है।
सुरजेवाला ने आरोप लगाते हुए कहा कि जब डिफेंस ऑफसेट कॉन्ट्रेक्ट को साइन किया गया, तो उसे रक्षा मंत्रालय की स्वीकृति चाहिए होती है। इस अनुबंध की रक्षा मंत्रालय ऑडिटिंग भी करता है। उन्होंने सवाल किया कि इस पर डीओएमडब्लू ने छः महीने में किया जाने वाला ऑडिट क्यों नहीं किया?
उन्होंने कहा कि क्या ‘एक्विजिशन विंग’ ने ‘डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल’ को अपनी वार्षिक रिपोर्ट जमा कराई? यदि नहीं, तो इसका कारण क्या है? सुरजेवाला ने कहा कि इस अनुबंध को साइन करते वक्त सभी नियमों को ताक पर रखा गया। उन्होंने कहा कि भारत में रक्षा उत्पादन के लिए लाइसेंस इंडस्ट्रीज (डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन), एक्ट, 1951; रजिस्ट्रेशन एंड लाइसेंसिंग ऑफ इंडस्ट्रियल अंडरटेकिंग रूल्स, 1952 और न्यू आर्म्स रूल्स, 2016 के तहत दिया जाता है।
रिलायंस पर सवाल
रिलायंस डिफेंस लिमिटेड पर सवालिया निशान उठाते हुए सुरजेवाला ने कहा कि डिफेंस ऑफसेट कांट्रैक्ट रिलायंस डिफेंस लिमिटेड को दे दिया गया, जिसे लड़ाकू जहाज बनाने का कोई अनुभव नहीं था। जबकि सरकारी कंपनी, एचएएल को ‘डिफेंस ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट’ से दरकिनार कर दिया गया। उन्होंने बताया कि रिलायंस डिफेंस लिमिटेड ने दावा किया है कि उसे ‘डसॉ एविएशन’ से 30,000 करोड़ रु. का ‘ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट’ और 1 लाख करोड़ रु. का ‘लाइफसाइकल कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट’ मिल गया है।
उन्होंने प्रधानमंत्री से सवाल किया कि कहा कि 28 मार्च 2015 को रिलायंस डिफेंस लिमिटेड कंपनी बनती है और उसके 12 दिन बाद 10 अप्रैल, 2015 को प्रधानमंत्री फ्रांस जाकर 36 लड़ाकू जहाज खरीद की घोषणा कर देते हैं। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि रिलायंस की कंपनी ‘रिलायंस एयरोस्ट्रक्चर लिमिटेड’ को लड़ाकू जहाज बनाने का लाइसेंस तो दिया गया, लेकिन आवेदन की तारीख तक इस कंपनी के पास कोई जमीन ही नहीं थी। यहां तक कि लाइसेंस के दिन, यानि 22.02.2016 को रिलायंस एयरोस्ट्रक्चर लिमिटेड ने अपना पता ‘सर्वे नं. 589, तालुका जफराबाद, ग्राम लुंसापुर, जिला अमरेली, गुजरात’ बताया था, उपरोक्त स्थान की मल्कियत ‘पीपावाव डिफेंस एण्ड ऑफशोर इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड’ के पास थी। वहीं कंपनी ने परिसर रिलायंस डिफेंस लिमिटेड द्वारा 18.01.2016 को खरीदा।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का 1,30,000 करोड़ रु. का झूठ ‘30,000’ करोड़ रु. का ‘डिफेंस ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट’ और 1,00,000 करोड़ का ‘लाईफ साइकल कॉस्ट कॉन्ट्रैक्ट पर जमकर जूठ बोला जा रहा है। उन्होंने पूछा कि क्या रिलायंस एवं डसॉ एविएशन 30,000 करोड़ रु. के ‘ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट’ पर रक्षामंत्री की अनुमति के बिना हस्ताक्षर कर सकते हैं? उऩ्होंने कहा कि यह भी जरूरी है कि इस ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट पर रक्षा मंत्रालय के ‘एक्विजिशन मैनेजर’ का हस्ताक्षर करना जरूरी है।
कांग्रेस प्रवक्ता सुरजेवाला के मुताबिक डील को लेकर प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और भाजपा के जो बयान आ रहे हैं, उससे इस डील पर बोले जा रहे झूठ की परतें खुलती जा रही हैं। उन्होंने कहा कि ‘झूठ परोसना’ व ‘छल-कपट का चक्रव्यूह बुन’ देश को बरगलाना ही अब सबसे बड़े रक्षा सौदे में भाजपाई मूल मंत्र है। मोदी सरकार एक झूठ छिपाने के लिए सौ और झूठ बोल रही है। उन्होंने कहा कि 36 लड़ाकू राफेल जहाज की खरीद में सुनियोजित साजिश के तहत सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाने की बू आती है।