जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली : असम के एनआरसी मामले को लेकर पश्चिम बंगाल की सीएम पर हमला करते हुए भाजपा के महासचिव और पश्चिम बंगाल के प्रदेश अध्यक्ष कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, कि ममता बनर्जी घुसपैठिये की मौसी हैं। ‘पश्चिम बंगाल का युवा बांग्लादेश के अवैध प्रवासियों की पहचान करना चाहता है क्योंकि उनकी वजह से उन्हें बेरोजगारी और कानून संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। तृणमूल कांग्रेस पर हमला करते हुए भाजपा ने सोमवार को कहा कि पश्चिम बंगाल में भी अवैध प्रवासियों की पहचान करने के लिए इसी तरह का कदम उठाया जाएगा।
विजयवर्गीय ने कहा, ‘हम लोग छुट्टी मनाने अपने मामा के घर जाते हैं और 15 दिन में लौट आते हैं। लेकिन बांग्लादेश के आतंकवादी और नकली नोट चलाने वाले वहां से अपनी मौसी (ममता बनर्जी) के घर आ रहे हैं। कोलकाता में कम पैसे में बांग्लादेशी मजदूर मिल जाते हैं। असम में 50 लाख लोगों ने हमको प्रमाण पत्र नहीं दिया है, वोटर लिस्ट से हटा दिया है और दीदी यहां बोलती हैं कि असम के बांग्लादेशियों को हम बंगाल में स्थान देंगे, बंगाल क्या धर्मशाला है? यदि असम के फाइनल नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) ने 40 लाख नागरिकों को अवैध माना है तो पश्चिम बंगाल में यह आकंड़ा करोड़ों में जा सकता है। असम में सुप्रीम कोर्ट इसकी देख-रेख कर रहा है। ऐसा पश्चिम बंगाल में भी हो सकता है।’
वहीं दूसरी तरफ संसद में टीएमसी ने सरकार के खिलाफ एनआरसी मामले पर विरोध करना शुरू कर दिया है। पार्टी के सांसद सौगत रॉय ने लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव दिया था। उन्होंने कहा था, ‘केंद्र सरकार ने जानबूझकर 40 लाख धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यकों को एनआरसी से हटा दिया है। इसका असम के आस-पास के विभिन्न राज्यों की जनसांख्यिकी पर गंभीर दुष्प्रभाव पड़ेगा। प्रधानमंत्री को सदन में आना चाहिए और इसपर सफाई देनी चाहिए।’
लोकसभा में शून्यकाल के दौरान टीएमसी नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा, ‘इस मामले को तत्काल लिया जाना चाहिए। यह 40 लाख से ज्यादा लोगों का सवाल है।’ भाजपा का पश्चिम बंगाल के लिए एनआरसी की मांग करना टीएमसी के साथ उसकी राजनीतिक लड़ाई दर्शाता है। इससे भाजपा का राज्य में वोट प्रतिशत बढ़ेगा। वहीं ममता ने भाजपा पर सरनेम के आधार पर सूची से लोगों के नाम हटाए जाने का आरोप लगाया था। उन्होंने सवाल उठाया था कि क्या सरकार लोगों को जबरन वहां से निकालना चाहती है?