जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । आरबीआई ने बड़ा झटका देते हुए रेपो रेट में 0.25 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी कर दी है। आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट में भी बदलाव कर दिया है। अब नया रेपो रेट 6.5 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट 6.25 फीसदी हो गया है। इससे लोगों के लिए लोन लेना काफी महंगा हो जाएगा।
आरबीआई द्वारा रेपो रेट में बदलाव करने से इसका असर तुरंत देखने को मिलेगा, क्योंकि बैंक सभी प्रकार के लोन पर ब्याज दरों को बढ़ा देंगे।
पिछले दो महीनों में खुदरा और थोक महंगाई काफी बढ़ गई है। पेट्रोल और डीजल के दाम भी लगातार बढ़ते गए, क्योंकि रुपया लगातार कमजोर होता गया। ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतें इस साल लगभग 20 फीसदी बढ़ चुकी है और मई के दौरान क्रूड ऑयल 80 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से ऊपर चला गया. क्रूड का यह स्तर 2014 के बाद का सर्वाधिक स्तर है।
इसके साथ ही मानसून भी बीच के महीनों में कमजोर हो गया था, लेकिन अब कई हिस्सों में बहुत ही भारी बारिश हो रही है। अबतक पूरे देश में सामान्य से 6 फीसदी कम बारिश हुई है। अगस्त में मानसून की चाल कमजोर रहेगी। वहीं, पूरे सीजन के लिए मानसून का अनुमान घटाकर सामान्य से 92 फीसदी रहने का अनुमान जताया है। पहले एजेंसी ने पूरे सीजन में 96 से 104 फीसदी बारिश का अनुमान जताया था।
आरबीआई ने वित्त वर्ष 2019 में जीडीपी ग्रोथ अनुमान को 7.4 फीसदी पर बरकरार रखा है। आरबीआई के मुताबिक अप्रैल-सितंबर में जीडीपी ग्रोथ 7.5-7.6 फीसदी रहने का अनुमान है। वहीं, जुलाई-सितंबर के बीच महंगाई दर 4.2 फीसदी रहने का अनुमान है।
अक्टूबर 2013 के बाद यह पहला मौका होगा जब रिजर्व बैंक ने लगातार दो बार ब्याज दरों में इजाफा किया है। अक्टूबर-मार्च के बीच महंगाई दर 4.8 फीसदी रहने का अनुमान है। मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की अगली बैठक 3-5 अक्टूबर को होगी।
रेपो रेट क्या है
रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक रिजर्व बैंक से कर्ज लेते हैं। जब भी बैंकों के पास कोष की कमी होती है, तो वे इसकी भरपाई करने के लिए केंद्रीय बैंक से पैसे लेते हैं। रिजर्व बैंक की तरफ से दिया जाने वाला यह कर्ज जिस दर पर मिलता है, वही रेपो रेट कहलाता है।
इसे हमेशा से रिजर्व बैंक ही तय करता है। रेपो रेट में कटौती या बढ़ोतरी करने का फैसला मौजूदा और भविष्य में अर्थव्यवस्था के संभावित हालात के आधार पर लिया जाता है।