जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली : तीन तलाक को लेकर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार वकालत कर रही थी और इसे मील का पत्थर बता रही थी, लेकिन अब कड़े कानून बनाने से पीछे हट रही है। विधेयक में कुछ संशोधन किया गया है और गुरुवार को केंद्रीय कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। तीन तलाक और निकाह हलाला संबंधी मुस्लिम महिला विधेयक 2017 में हुए संशोधन के मुताबिक, तीन तलाक के अपराध को गैर जमानती नहीं बनाया गया है, लेकिन अगर मजिस्ट्रेट चाहे तो अपराधी को जमानत दी जा सकती है।
इसके साथ ही अब पीड़ित के रिश्तेदार जिसका उसका खून का रिश्ता हो वो भी एफआईआर दर्ज करवा सकते हैं। गौरतलब है कि पिछले साल दिंसबर में लोकसभा में इस बाल को पास किया गया था जिसमें तीन तलाक को अपराध माना गया है।
इस विधेयक के मुताबिक, एक साथ तीन तलाक का सहारा लेने वालों को तीन साल तक की सजा भुगतनी होगी। मुस्लिम पक्ष की मांग है कि एक बार में तलाक देने वालों को तीन साल की सजा को घटाया जाए। जहां कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, वाम दलों सहित कई पार्टियां इस बिल के खिलाफ एकजुट हैं, वहीं सरकार ने इसे लैंगिक न्याय, समानता और महिलाओं की गरिमा का मुद्दा बताते हुए विरोध की परवाह न करने का दो टूक संदेश पहले ही दे चुकी है।