जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के दिल में दलितों के लिए कोई जगह नहीं है। अगर ऐसा होता तो आज दलितों के लिए नीतियां अलग होतीं। उन्होंने कहा कि मोदी जी जब मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने अपनी किताब में भी लिखा था ‘दलितों को सफाई करने से आनंद मिलता है’। यहीं उनकी सोच है।
राहुल एससी-एसटी एक्ट और आरक्षण के मुद्दे को लेकर दलित संगठनों के ‘भारत बंद’ को लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन को संबोधित कर रहे थे। इस प्रदर्शन में सीपीएम नेता सीताराम येचुरी भी शामिल हुए।
राहुल नेो कहा कि कांग्रेस ने हमेशा एससी-एसटी एक्ट की रक्षा की है और आगे भी करती रहेगी। हम सब मिलकर 2019 में भाजपा को हराएंगे। इस बीच राज्यसभा में भी एससी-एसटी अत्याचार निवारण बिल पेश किया गया, जिसपर चर्चा के दौरान कांग्रेस सांसद कुमारी शैलजा ने भी कहा कि मोदी सरकार दलित हितैषी नहीं है, बल्कि दलित विरोधी है। उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर अनुसूचित जाति और जनजाति के खिलाफ अत्याचार लगातार बढ़ रहे हैं। खासकर भाजपा शासित राज्यों में आंकड़े और भी ज्यादा भयावह है।
वहीं, समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव ने तो सदन में सीधे सुप्रीम कोर्ट पर ही हमला बोल दिया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट संसद का तीसरा सदन बन गया है। कानून बनाना हमारा काम है, जबकि कोर्ट इसमें दखल दे रहा है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में एक एससी-एसटी या ओबीसी जज भी होना चाहिए, ताकि सामाजिक न्याय की खत्म करने की न्यायालय द्वारा जो मनमानी चल रही है, उसे खत्म किया जा सके।
बता दें कि दलितों के मुद्दे पर कांग्रेस हमेशा से मोदी सरकार पर हमलावर रहे हैं। हाल ही में महाराष्ट्र के जलगांव जिले में दलित समुदाय के दो नाबालिग किशोरों को सवर्णों द्वारा पीटा जाना और नग्न अवस्था में पूरे गांव में घुमाने वाले मामले को लेकर भी राहुल गांधी ने भाजपा पर निशाना साधा था।
राहुल गांधी ने ट्वीट कर लिखा था कि अगर आज हमने इस मनुवादी सोच और नफरत के खिलाफ आवाज बुलंद नहीं की तो इतिहास हमें माफ नहीं करेगा। उन्होंने आगे लिखा था, आज मानवता भी आखिरी तिनकों के सहारे अपनी अस्मिता बचाने में जुटी है। उन्होंने मामले का वीडियो शेयर करते हुए आगे लिखा था, महाराष्ट्र के इन दलित बच्चों का अपराध सिर्फ इतना था कि इन दोनों ने एक सवर्ण के कुएं में नहाने की हिमाकत कर डाली है।
गौरतलब है कि दलितों ने इससे पहले भी 2 अप्रैल को भारत बंद बुलाया था, जिसमें हुई भारी हिंसा में कई लोगों की मौत हो गई थी।