जनजीवन ब्यूरो
पटना। अभीतक सरकारी नौकरियों में ही आरक्षण की व्यवस्था थी लेकिन बिहार सरकार ने ठेकेदारी में भी 50 फीसदी आरक्षण लागू करन का निर्णय लिया है। बिहार मंत्रिमंडल ने 15 लाख रुपये तक के सरकारी ठेके में अनुसूचित जाति एवं जनजाति, पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़ा वर्ग और पिछड़े वर्ग की महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय लिया है। इसके अलावा दांगी जाति को अति पिछड़ा वर्ग और तांती को अनुसूचित जाति में शामिल करने का फैसला किया गया है। साथ ही 2015-16 सत्र में साइकिल -पोशाक राशि के लिए 75 प्रतिशत उपस्थिति की अनिवार्यता खत्म कर दी गयी है।
बैठक के बाद कैबिनेट विभाग के प्रधान सचिव शिशिर सिन्हा ने बताया कि राज्य के सभी कार्य विभाग, योजना एवं विकास विभाग के अंतर्गत स्थानीय क्षेत्र अभियंत्रण संगठन, निगम, उपक्रम, प्राधिकरण, पर्षद एवं निकाय के अधीन वैसे कार्य में 50 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा, जिसकी राशि 15 लाख या इससे कम हो। नए प्रावधान के अनुसार ठेके में अनुसूचित जाति को 16 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति को एक प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा वर्ग को 18 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग को 12 प्रतिशत और पिछड़े वर्ग की महिलाओं को तीन प्रतिशत आरक्षण मिलेगा। ठेकेदारी के लिए इन्हें जाति प्रमाणपत्र की प्रति, प्रपत्र क, पैन रजिस्ट्रेशन की प्रति, आवासीय प्रमाणपत्र और निर्धारित शुल्क का बैंक ड्राफ्ट देना होगा। गौरतलब है कि जीतन राम मांझी की पूर्ववर्ती सरकार ने भी ठेकेदारी में आरक्षण का लाभ इन जातियों को दिया था।
फैसले के अनुसार दांगी जाति को पिछड़े वर्ग की सूची से हटा कर अति पिछड़ा वर्ग में शामिल किए गए हैं। जबकि तांती (ततवा) को अत्यंत पिछड़ों की सूची से हटा कर पान-स्वासी अनुसूचित जाति में शामिल किया गया है। राज्य के सरकारी प्रारंभिक, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक, अनुदानित माध्यमिक, उच्च माध्यमिक विद्यालयों और प्रस्वीकृत मदरसा, संस्कृत (सहायताप्राप्त) प्रारंभिक एवं माध्यमिक विद्यालयों में मुख्यमंत्री पोशाक, साइकिल प्रोत्साहन-मेधावृत्ति और छात्रवृत्ति के लिए सिर्फ एक साल के लिए 75 प्रतिशत की उपस्थिति की अनिवार्यता खत्म कर दी गयी है।
राज्य में चालू वित्तीय वर्ष में बननेवाले 2.80 लाख इंदिरा आवास में केंद्र और राज्य सरकार को 50-50 प्रतिशत राशि खर्च करनी होगी। कैबिनेट की बैठक में 50 प्रतिशत राज्यांश की अनुमति दी गयी। अब तक इंदिरा आवास के लिए केंद्र सरकार 75 प्रतिशत और राज्य सरकार 25 प्रतिशत राशि खर्च करती थी। केंद्रांश के रूप में 1032.03 करोड़ और राज्यांश के रूप में 1032.03 करोड़ रुपये खर्च करने की अनुमति दी गयी है। केंद्रांश और राज्यांश के अनुपात में बदलाव के कारण राज्य सरकार को 688 करोड़ रुपये अतिरिक्त खर्च करने होंगे।