जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी का एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। दस बार लोकसभा के सांसद रहे चटर्जी माकपा की केंद्रीय समिति के सदस्य थे। वह 1968 में माकपा में शामिल हुए थे।वह वर्ष 2004 से 2009 तक लोकसभा के अध्यक्ष रहे।
सोमनाथ चटर्जी का जन्म 25 जुलाई 1929 को बंगाली ब्राह्मण निर्मल चंद्र चटर्जी और वीणापाणि देवी के घर में असम के तेजपुर में हुआ था। उनके पिता एक प्रतिष्ठीत वकील, और राष्ट्रवादी हिंदू जागृति के समर्थक थे। उनके पिता अखिल भारतीय हिंदू महासभा के संस्थापकों में से एक थे। सोमनाथ चटर्जी की शिक्षा-दीक्षा कलकत्ता और ब्रिटेन में हुई। उन्होंने कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज में भी पढ़ाई की। उन्होंने ब्रिटेन में मिडिल टैंपल से लॉ की पढ़ाई करने के बाद कलकत्ता हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की। इसके बाद उन्होंने राजनीति में आने का फैसला किया। सामनाथ चटर्जी एक प्रखर वक्ता के रूप में भी जाने जाते हैं।
अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत सोमनाथ चटर्जी ने सीपीएम के साथ 1968 में की और वह 2008 तक इस पार्टी से जुड़े रहे। 1971 में वह पहली बार सांसद चुने गए। इसके बाद उन्होंने राजनीति में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वह 10 बार लोकसभा सदस्य के रूप में चुने गए थे। सोमनाथ चटर्जी की धर्मपत्नी श्रीमती रेणु चटर्जी थीं जिनसे उन्हें एक पुत्र और दो पुत्रियां हैं। उनकी पत्नी का कुछ दिन पहले ही निधन हो गया है।
1971 से लेकर उन्होंने सभी लोक सभाओं में एक सदस्य के रूप में निर्वाचित होकर सेवा की है। साल 2004 में 14वीं लोक सभा में वे 10वीं बार निर्वाचित हुए। साल 1989 से 2004 तक वे लोक सभा में सीपीआईएम के नेता भी रहे। उन्होंने लगभग 35 सालों तक एक सांसद के रूप में देश की सेवा की। इसके लिए उन्हें साल 1996 में उत्कृष्ट सांसद पुरस्कार से नवाजा गया।
वर्ष 2008 में भारत-अमेरिका परमाणु समझौता विधेयक के विरोध में सीपीएम ने तत्कालीन मनमोहन सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। तब सोमनाथ चटर्जी लोकसभा अध्यक्ष थे। पार्टी ने उन्हें स्पीकर पद छोड़ देने के लिए कहा लेकिन वह नहीं माने। इसके बाद सीपीएम ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया।
सोमनाथ चटर्जी ने कामगार वर्ग तथा वंचित लोगों के मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाकर उनके हितों के लिए आवाज बुलंद करने का कोई भी अवसर नहीं गंवाया। सोमनाथ चटर्जी का वाद-विवाद कौशल, राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय मुद्दों की स्पष्ट समझ, भाषा के ऊपर पकड़ और जिस नम्रता के साथ वो सदन में अपना दृष्टिकोण रखते थे उसे सुनने के लिए पूरा सदन एकाग्रचित होकर सुनता था।
4 जून, 2004 को 14वीं लोक सभा के अध्यक्ष के रूप में श्री सोमनाथ चटजी का सर्वसम्मति से निर्वाचन सदन में एक इतिहास रच गया। लोकसभा के अध्यक्ष के रूप में सोमनाथ चटर्जी का निर्वाचन प्रस्ताव कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने रखा जिसे रक्षा मंत्री प्रणब मुखर्जी ने अनुमोदित किया। इस लोकसभा के 17 अन्य दलों ने भी सोमनाथ चटर्जी का नाम प्रस्तावित किया जिसका समर्थन अन्य दलों के नेताओं द्वारा किया गया। इसके बाद वह निर्विरोध अध्यक्ष निर्वाचित हुए।
22 जुलाई 2008 को विश्वास मत के दौरान किए गए सभा के संचालन के लिए उनको देश के विभिन्न वर्गों के नागरिकों तथा विदेशों से काफी सराहना मिली। उन्होंने प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति पद पर चुनाव से पहले ही कहा था कि भारत को सबसे योग्य राष्ट्रपति मिलने जा रहा है।
सितम्बर 2006 में सोमनाथ चटर्जी को अबुजा, नाइजीरिया में राष्ट्रमंडल संसदीय संघ का अध्यक्ष चुना गया। उनके नेतृत्व तथा समर्थ दिशानिर्देश में भारत ने सितम्बर, 2007 के दौरान नई दिल्ली में 53वें सीपीए सम्मेलन की सफलतापूर्वक मेजबानी की जिसमें 52 देशों को विविध क्षेत्रों में भारत की उपलब्धियों से अवगत कराया गया।
लोकसभा अध्यक्ष के रूप में व्यापक मीडिया कवरेज प्रदान करने हेतु सोमनाथ चटर्जी के प्रयासों से ही 24 जुलाई 2006 से 24 घंटे का लोकसभा टेलीविजन शुरू किया गया। उनके लोकसभा अध्यक्ष पर रहते हुए उनकी पहल पर ही भारत की लोकतांत्रिक विरासत पर अत्याधुनिक संसदीय संग्रहालय की स्थापना की गई। 14 अगस्त 2006 को इस संग्रहालय का उद्घाटन भारत के राष्ट्रपति के कर कमलों से किया गया। यह संग्रहालय जनता के दर्शन करने के लिए खुला है।