जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । कांग्रेस की तेजतर्रार सांसद रंजीता रंजन ने शुक्रवार को अटल बिहारी वाजपेयी को अपनी श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि वे आधुनिक राजनीति को दिशा दिखाने वाले राजनेता थे।
उन्होंने कहा कि आज की राजनीति में राजनेताओं के ऊपर पार्टी लाइन का अनुशरण करने का बहुत ज्यादा दबाव होता है। कोई राजनेता पार्टी की बात से असहमत होते हुए भी पार्टी की बात का समर्थन करने के लिए मजबूर होता है।
यही कारण है कि अब किसी राजनेता का वास्तविक विचार सामने नहीं आता। लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी इस तरह की राजनीति में यकीन नहीं करते थे, उनकी विचारधारा कई बार पार्टी लाइन से अलग हुआ करती थी। यही कारण है कि उन्होंने राजनीति की दुनिया में एक ऐसी लकीर खींच दी है जिससे बड़ी लकीर खींचना किसी दूसरे के लिए मुमकिन नहीं।
बिहार के सुपौल से कांग्रेस सांसद रंजीता रंजन ने कहा कि राजनेता वह होता है जो वर्तमान के साथ आने वाली पीढ़ी का मार्गदर्शन कर सके। अटल बिहारी वाजपेयी ऐसी ही शख्सियत के स्वामी थे जिन्हें देखकर, पढ़कर और उनके भाषणों को सुनकर बहुत कुछ सीखा जा सकता है।
आज की राजनीति में गिरते हुए स्तर को देखकर आम आदमी का राजनीतिक दलों के ऊपर से विश्वास उठ रहा है, लेकिन अगर इस दौर के राजनेता अटल बिहारी वाजपेयी से कुछ सीख सकें तो काफी हद तक इस कटुता को कम किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि अपनी पार्टी लाइन से हटकर सही कहने की उनकी क्षमता बार-बार उजागर हुई। अगर उनके पास सच कहने की क्षमता नहीं होती तो गोधरा और बाबरी मस्जिद के विध्वंस के बाद उनका अपनी ही पार्टी लाइन से अलग बयान नहीं आता। अपनी ही पार्टी के मुख्यमंत्री को राजधर्म निभाने की सलाह सिर्फ अटल बिहारी वाजपेयी के जैसा व्यक्तित्व ही कर सकता है।
रंजीता रंजन ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी के व्यक्तित्व को समझने के लिए आने वाली पीढ़ियों को उनकी कविताओं से बहुत कुछ मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा कि जब तक किसी व्यक्ति में स्वयं में इतनी गहराई नहीं होगी, उसकी रचनाओं में इतनी गहराई नहीं आती। इस नज़र से देखें तो अटल बिहारी वाजपेयी भावनाओं के सागर थे, उनका विराट व्यक्तित्व उनकी रचनाओं से साफ झलकता है। स्वयं आगे बढ़ने के लिए आज के राजनेता किसी भी दूसरे को गिराने के लिए तैयार रहते हैं, लेकिन अटल बिहारी वाजपेयी ने खुद इस तरह की राजनीति में कभी यकीन नहीं किया।
उनकी यह सोच उनकी उन पंक्तियों में साफ झलकती है जिसमें उन्होंने कहा था कि, छोटे मन से कभी कोई बड़ा नहीं होता; टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता।