जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्लीः 25वें एमटीएनएल परफेक्ट हेल्थ मेला 24 से 28 अक्टूबर, 2018 को नई दिल्ली के तालकटोरा इन्डोर स्टेडियम में होना है। हार्ट केयर फाउंडेशन आॅफ इंडिया (एचसीएफआई), हैल्थकेयर सेक्टर में कार्यरत एक राष्ट्रीय गैर सरकारी संगठन, ने मेला से पहले आज यहां ‘मेक इन इंडिया फॉर क्योर इन इंडिया‘ कैम्पेन लॉन्च किया और ‘इन्डोर प्रदूषण धीमी जहर‘ अभियान चलाया। परफेक्ट हैल्थ मेला स्वास्थ्य पर जागरूकता उत्पन्न करने के मिशन के साथ हर साल आयोजित किया जाता है। इस बार 25वें संस्करण में, इस कार्यक्रम में जीवन के सभी क्षेत्रों से 1,00,000 से अधिक व्यक्तियों की भागीदारी की उम्मीद है।
अभियान इन्डोर वायु प्रदूषण को कम करने और भारत में निर्मित चिकित्सा उपकरणों का उपयोग करने की आवश्यकता को रेखांकित करने के लिए रणनीतियों पर केंद्रित है। लक्ष्य दो गुना हैः इस तथ्य पर जागरूकता बढ़ाने के लिए कि इन्डोर वायु प्रदूषण स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है और मेक इन इंडिया फॉर क्यौर इन इंडिया आंदोलन के माध्यम से किफायती स्वास्थ्य देखभाल के लक्ष्य को समझना है।
पद्मश्री पुरस्कार विजेता, डॉ. के के अग्रवाल, अध्यक्ष, हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआई), पद्मश्री पुरस्कार विजेता अशोक चक्रधर, लेखक व कवि, राजीव नाथ, फोरम कोऑर्डिनेटर, एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री (एआईएमईडी), और जे के जैन सीएमडी, डीएएसएनएसी तथा जस्ट सॉल्व फाउंडेशन के चेयर, कार्यक्रम के प्रमुख व्यंक्ति थे। दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य और पर्यावरण विभाग, डीएसटी, एमटीएनएल, एमसीडी और एनडीएमसी के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।
डॉ. के के अग्रवाल ने कहा, ‘‘हम, हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया में, सभी के लिए किफायती स्वास्थ्य देखभाल के बड़े लक्ष्य को सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और परफेक्ट हैल्थ मेला ऐसा करने का एक माध्यम है। आज शुरू किए जा रहे अभियान, मेला के हिस्से के रूप में किए जाने वाले कई अन्य पहलुओं में से दो हैं। हम अक्सर अपने घरों के बाहर प्रदूषण की बात करते हैं। हालांकि, इन्डोर वायु प्रदूषण एक ऐसा मुद्दा है, जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। लोग अपने जीवन के 90 प्रतिशत से अधिक जीवन इन्डोर स्थानों में ही व्यतीत करते हैं। 50 प्रतिशत से अधिक कामकाजी वयस्क कार्यालयों या गैर-औद्योगिक वातावरण में काम करते हैं। दूसरा अभियान, ‘मेक इन इंडिया‘ भी आक्रामक रूप से बढ़ावा दिये जाने योग्य है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हर किसी को समय पर इलाज मिल सके। इसमें चिकित्सा उपकरणों के उत्पादन को भी शामिल किया गया है। यह सब ‘भारत में इलाज‘ के लक्ष्य को आगे बढ़ाने में मदद करेगा।‘‘
आंकड़ों के मुताबिक, दूसरा सबसे बड़ा हत्यारा, खराब इन्डोर वायु गुणवत्ता है, जो प्रत्येक वर्ष भारत में लगभग 13 लाख मौतों के लिए जिम्मेदार है। किसी इमारत संबंधी बीमारी को पहचानने योग्य कारक एजेंट (हाइपरसेंसिटिविटी न्यूमोनिटिस, एलर्जी संबंधी अस्थमा से लेकर संवेदीकरण एजेंट तक) से जोड़ा जा सकता है। ब्रोन्कियल हाइपर रिएक्टिविटी और मनोवैज्ञानिक मुद्दों की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
मीडिया को संबोधित करते हुए जे के जैन ने कहा, ‘‘इन्डोर वायु प्रदूषण से अक्सर ही लोग अनजान रहते हैं और शहरी क्षेत्रों में भी यह स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा हो सकता है। भवन निर्माण व्यवसाय में लगे लोगों के लिए यह जरूरी है कि वे ऊर्जा दक्ष भवन डिजाइन करें और इन्डोर वायु प्रदूषण से निपटने के लिए पर्याप्त उपाय करें। हमारे बच्चों को सांस लेने के लिए ताजा हवा की आवश्यकता होती है और यह केवल सबके एकजुट प्रयासों से ही संभव है।‘‘
उद्योग के अनुमानों के अनुसार, 2025 तक भारतीय चिकित्सा उपकरणों का बाजार 50 अरब अमरीकी डॉलर तक बढ़ जाएगा। वर्तमान में, भारत को शीर्ष 20 वैश्विक चिकित्सा उपकरणों के बाजारों में गिना जाता है और जापान, चीन तथा दक्षिण कोरिया के बाद एशिया में यह चैथा सबसे बड़ा चिकित्सा उपकरण बाजार है।
राजीव नाथ ने कहा, ‘‘भारत में इलाज के लिए भारत में ही निर्माण अनिवार्य है। चिकित्सा उपकरणों के बिना स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध नहीं हो सकती। आने वाले वर्षों में भारत को वैश्विक चिकित्सा उपकरणों का मैन्यूफेक्चरिंग हब बनाने, सस्ती कीमतों पर सभी महत्वपूर्ण और जीवन रक्षा चिकित्सा उपकरणों को उपलब्ध कराने तथा सभी के लिए सस्ती स्वास्थ्य देखभाल के समग्र लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, इन इरादों को साकार करना बेहद जरूरी है, तभी यह अभियान लागू हो पायेगा।‘‘
चिकित्सा उपकरणों में गुणवत्ता और सुरक्षा की संस्कृति को बढ़ावा देने की आवश्यकता भी है, न कि सबसे कम कीमत और खराब क्वालिटी, जैसा कि इस समय की सरकारी खरीद में होता है। ‘भारत में इलाज के लिए भारत में उत्पादन‘ मिशन की सफलता के लिए स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में गुणवत्ता सुनिश्चित करना सर्वोपरि है।
आयुष्मान भारत सहित निजी व सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को भारत की गुणवत्ता परिषद से आईसीएमईडी (चिकित्सा उपकरणों के लिए भारतीय प्रमाणन) गुणवत्ता आश्वासन प्रमाणन को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। सरकार को सभी उत्पादकों के लिए समान सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए, वरना भारत 70 से 90 प्रतिशत आवश्यकताओं के लिए आयात पर ही निर्भर रहेगा। तर्कसंगत मूल्य नियंत्रण और अनैतिक तरीके से मार्केटिंग करने वाली कंपनियों पर सजा के प्रावधान जैसे उपायों से मजबूत बाधाओं से उपभोक्ताओं के हितों को संरक्षित किया जा सकता है।
अशोक चक्रधर ने पिछले 25 वर्षों से लगातार स्वास्थ्य मेला आयोजित करने के लिए एचसीएफआई की सराहना की। उन्होंने कहा, ‘‘यह बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य जागरूकता के लिए एक बड़ा मंच है। सालाना सफल पारी प्रारूप के रूप में इन्फोटेशन के कारण यह संभव हुआ है। इन्डोर वायु प्रदूषण को कम करने और भारत में उत्पादन से बेहतर परिदृश्य बन सकता है। बाहरी परिवेश में प्रदूषण को संबोधित करने के अलावा, हमें आंतरिक प्रदूषण को भी साफ करना होगा और ऐसा करने का एक तरीका है हास्य रस रस का अभ्यास करना।‘‘
फॉरेस्ट कंजर्वेशन की प्रिंसिपल चीफ कंजर्वेटर जयश्री अर्दे चैहान ने कहा, ‘‘इन्डोर और आउटडोर पौधे इन्डोर प्रदूषण की मात्रा को कम करने में मदद कर सकते हैं। विभाग इस उद्देश्य के लिए एक प्रदर्शनी का आयोजन और संयंत्रों का वितरण करेगा।
जीएम मार्केटिंग और ईबी एमटीएनएल दिल्ल अनिश मेहता ने कहा, ‘‘मेला के दौरान, एमटीएनएल ई-मेल और एसएमएस के माध्यम से अपने सभी मोबाइल ग्राहकों को स्वास्थ्य सूत्रों से संवाद करेगा।‘‘
इस साल परफेक्ट हेल्थ मेला के लिए थीम ‘‘वहनीय हेल्थकेयर‘‘ है। दोस्ताना हाथी इका शुभंकर है। आगंतुकों और हितधारकों को समान रूप से इंटर-स्कूल और कॉलेज की घटनाओं और स्वास्थ्य शिविरों के अलावा विभिन्न आकर्षण के लिए उत्सुकता मिल सकती है।