जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली। भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में गिरफ्तार लोगों पर महाराष्ट्र पुलिस के एडीजी परमबीर सिंह ने दावा किया है कि इनके तार हिंसा से जुड़े हुए हैं, तभी हमने अलग-अलग शहरों में इनके खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कदम आगे बढ़ाया था।
उन्होंने कहा कि जो सबूत हाथ लगे हैं उसमें माओवादियों के साथ इनकी भूमिका साफ-साफ जाहिर होती है। जांच से पता चला कि माओवादी संगठनों द्वारा बहुत बड़ी साजिश रची जा रही है।
वैज्ञानिक तरीके से सबूतों को इकट्ठा और उनका विश्लेषण करने के बाद पुलिस ने भीमा-कोरेगांव हिंसा के मामले में कार्रवाई की है। उनका कहना है कि भीमा-कोरेगांव हिंसा के मामले में जिन वामपंथी और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया था, उनके खिलाफ अदालत में सही समय पर इन सबूतों को इस्तेमाल किया जाएगा।
पुलिस का दावा है कि उनके पास कई खत हैं जो छापों के दौरान जब्त किए गए हैं। गिरफ्तार किए गए कार्यकर्ता प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) के नेताओं के संपर्क में थे और वे सरकार को गिराने की साजिश में जुटे हुए थे। पुलिस का कहना है, ‘हमने उनके बीच कोड भाषा में हुई बातचीत को हमने डीकोड किया है। पेन ड्राइव, हार्ड डिस्क और दूसरे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का वैज्ञानिक और फरेंसिक परीक्षण किया गया है।’
इसके अलावा पुलिस का कहना है कि ये आरोपी ‘देश के वरिष्ठ नेताओं को निशाना बनाने की योजना भी बना रहे थे।’ वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि भीमा कोरेगांव में हिंसा फैलाने का प्लान घटना के 8 महीने पहले ही बनाया जाने लगा था।