जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली : 20 दिन पहले पीलिया की चपेट में आए जैन मुनि तरुण सागर का आज तड़के निधन हो गया है। वह 51 साल के थे। उनके दर्शन के लिए देशभर से श्रद्धालु जुटने लगे हैं। आज दोपहर 3 बजे दिल्ली मेरठ हाइवे पर स्थित तरुणसागरम तीर्थ में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। यात्रा सुबह 7 बजे राधेपुरी दिल्ली से प्रारंभ होकर 28 किलोमीटर दूर तरुणसागरम पर पहुंचेगी।
बताया जाता है कि 20 दिन पहले मुनिश्री को पीलिया हुआ था लेकिन उपचार के बावजूद उनकी सेहत में सुधार नहीं हो रहा था। उन्होंने इलाज भी बंद करा दिया था और चातुर्मास स्थल पर जाने का निर्णय लिया था।
जैन मुनि लगातार डॉक्टरों की निगरानी में थे । उनके कमरे में सिर्फ जैन मुनियों और शिष्यों को ही जाने की इजाजत थी। इसके अलावा किसी को भी अंदर आने की इजाजत नहीं दी गई थी। गुरुवार को उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। दिन में उन्हें स्वास्थ्य जांच के लिए अस्पताल ले जाया गया था, जहां शाम तक उनकी सेहत में थोड़ा सुधार हुआ था।
14 साल की उम्र में पवन कुमार बन गए थे संत
उनका असली नाम पवन कुमार जैन था। मध्यप्रदेश के दमोह जिले के गुहजी गांव में उनका जन्म 26 जून 1967 को हुआ था। उनकी माता का नाम शांतिबाई जैन और पिता का नाम प्रताप चंद्र जैन था। कहा जाता है कि उन्होंने 14 साल की उम्र में 8 मार्च 1981 को घर छोड़ दिया था। उनकी शिक्षा दीक्षा छत्तीससगढ़ में हुई।
पाकिस्तान को सुधारना बंदरों को पंगत में बैठाकर भोजन कराने जैसा
जैन मुनि तरुण सागर ने पाकिस्तान की नापाक हरकतों पर तीखा हमला बोला था। जैन मुनि तरुण सागर ने कहा था कि पाकिस्तान को सुधारना बंदरों को पंगत में भोजन कराने के बराबर है।
यदि पाकिस्तान खुद ब खुद सुधर जाए तो ये दुनिया का 9वां अजूबा साबित होगा। जैन मुनि ने भारत को एक नायक देश बताते हुए पाकिस्तान को खलनायक कहा है वहीं उन्होनें सेना के जवानों को सही मायनों में देश का असली हीरो बताया