जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली : समलैंगिगता को अपराध मानने के कारण सबसे ज्यादा मामले यूपी से आ रहे थे, जबकि केरल इस मामले में दूसरे स्थान पर था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे अब अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया है, इसलिए माना जा रहा है कि इसमें कमी आएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दो वयस्कों के बीच सहमति से बनाए गए शारीरिक संबंध को अपराध नहीं बताया है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों की मानें तो 2016 में धारा 377 के तहत उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए गए, जबकि इस मामले में केरल दूसरे पायदान पर है।
आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर प्रदेश में 2016 में धारा 377 के तहत 999 मामले दर्ज हुए थे, जबकि केरल में 207 मामले दर्ज हुए थे। इसके अलावा दक्षिण भारतीय राज्यों की बात करें तो तेलंगाना में 11, कर्नाटक में 8 और आंध्र प्रदेश में 7 मामले दर्ज हुए थे।
धारा 377 के तहत प्रति एक लाख लोगों पर दर्ज होने वाले मामलों के आपराधिक आंकड़ें देश में सबसे ज्यादा केरल में हैं। यहां का आपराधिक दर 0.6 फीसदी है, जबकि उत्तर प्रदेश में 0.5 फीसदी आपराधिक दर है। वहीं, दिल्ली में यह 0.8 फीसदी है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के अधिकारियों की मानें तो केरल के कई इलाकों में गे सेक्स एकदम सामान्य है और यही कारण है कि राज्य में इतनी बड़ी संख्या में धारा 377 के तहत केस दर्ज हुए हैं। अधिकारियों के मुताबिक, यहां कई लोग पैसे लेकर समलैंगिक संबंध बनाते हैं।
आमतौर पर यह बातें लोगों को पता नहीं चलतीं, लेकिन जैसे ही उन्हें इस बारे में पता चलता है, वो तुरंत मामला दर्ज करा देते हैं। इसमें नाबालिगों के साथ जबरदस्ती गे सेक्स जैसे मामले भी शामिल हैं, जो धारा 377 के तहत आते हैं।