जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । आरएसएस की लेक्चर सीरीज का आखिरी दिन है। जिसमें पूछे गए सभी प्रश्नों का जवाब आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत की ओर से दिया जा रहा है । संघ प्रमुख ने एक सवाल के जवाब में कहा कि, अन्तर्जातीय विवाह करने के मामले में संघ के लोग सबसे आगे हैं। उन्होंने अन्तर्जातीय विवाह का समर्थन करते हुए कहा कि, मानव-मानव को आपस में भेद नहीं करना चाहिए।
बता दें कि आरएसएस ने अपने इतिहास में पहली बार किस इस तरह के खुले मंच का आयोजन किया। जिसमें पहले दो दिन संघ प्रमुख की ओर से कई विषयों पर भाषण दिया गया और तीसरा दिन सवाल-जवाब के लिए रहा। इस कार्यक्रम का नाम भविष्य का भारत रखा गया है।
संघ के भारतीय स्वयंसेवकों ने सबसे ज्यादा अंतर्जातीय विवाह किए हैं। कुरीतियों को खत्म करने के लिए समाज को बिना भेद-भाव वाली नजरों से देखना जरूरी है। अन्तर्जातीय विवाह से हिंदू समाज एकजुट रहेगा, इसलिए हम सभी हिंदुओं को संगठित करने का प्रयास कर रहे हैं, जिसमें अन्तर्जातीय विवाह एक बहुत ही निर्णायक होगा। पहला अंतर्जातीय विवाह महाराष्ट्र में सन 1942 में हुआ था जिसके लिए बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने बधाई भी दी थी।
संघ प्रमुख भागवत ने कहा कि हिंदुत्व एक प्रक्रिया है जो हमेशा चलती रहती है। इसमें सभी का योगदान है। उन्होंने कहा, कुछ लोग यह जानते हैं कि वह हिंदू हैं लेकिन इस पर उन्हें कोई गर्व नहीं होता लेकिन कई लोग इस बात पर गर्व भी करते हैं। उन्होंने कहा, पहचान और राष्ट्रीयता की दृष्टि से भारत में रहने वाले सब लोग हिंदू हैं।
विविधता में भी हो एकता
इसके पहले उन्होने दो दिनों तक लोगों के प्रश्नों का जवाब देते हुए कहा कि, संविधान की प्रस्तावना में ‘भ्रातृत्व भावना’ के विकास का उल्लेख करते हुए भागवत ने कहा कि विविधता में एकता, समभाव और एक दूसरे के प्रति सम्मान हिंदुत्व का भी सार है। उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि अगर कोई कहेगा कि मुसलमान नहीं चाहिए तो हिंदुत्व भी खत्म हो जाएगा। संघ संविधान की प्रस्तावना के एक एक शब्द से न सिर्फ सहमत है बल्कि पूरी श्रद्धा से उसका पालन भी करता है।
संघ के लिए संविधान की भावना हिंदुत्व दर्शन से अलग नहीं है और इसीलिए खुलकर हिंदुत्व की बात करता है। उन्होंने तंज भी किया कि ‘कुछ लोग राजनीतिक रूप से फिट बैठने के लिए भले ही हिंदुत्व शब्द से परहेज करते हों, लेकिन सही मायने में हिंदुत्व दर्शन में किसी भी संप्रदाय से अलगाव नहीं है।’
‘भविष्य का भारत’ विषय पर संघ की तीन दिवसीय चर्चा के दूसरे दिन भागवत ने उस मुख्य मुद्दे (हिंदुत्व) को छुआ जो राजनीति में विवाद का विषय बन गया है। संघ के सहारे भाजपा को निशाना बनाया जाता है और सांप्रदायिकता चुनावी मुद्दा बनता है।
भागवत के अनुसार महिलाओं के प्रति यह सोचकर काम नहीं किया जाना चाहिए कि हम महिला समाज का उद्धार करेंगे। कई मामलों में महिलाओं ने पुरुषों की तुलना में खुद को अधिक समर्थ साबित किया है। भागवत ने कहा कि ‘महिला और पुरुष एक दूसरे के पूरक हैं और समाज में निर्णय लेने से लेकर दायित्व के निर्वहन तक में उनका बराबरी का साथ होना चाहिए।’
भागवत ने कहा कि दूसरे मतपंथों के साथ तालमेल करने वाली एक मात्र विचारधारा हिंदुत्व है। यह भारत की विचारधारा है। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि इस देश में कोई भी पराया नहीं है। परायापन कुछ लोगों ने खुद खड़ा किया है। भागवत ने कहा कि हिंदुत्व, Hinduness, Hinduism गलत शब्द हैं, ism एक बंद चीज मानी जाती है, यह कोई इस्म नही है, एक प्रक्रिया है जो चलती रहती है, गांधी जी ने कहा है कि सत्य की अनवरत खोज का नाम हिंदुत्व है, एस राधाकृष्णन जी का कथन है कि हिंदुत्व एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है।Mohan Bhagwat, rss chiefमोहन भागवत ने कहा कि हम सभी हिंदुओं को इकट्ठा करने की कोशिश कर रहे हैं और हमने यह करके दिखाया भी है। उन्होंने कहा, हिंदू समाज जातियों में नहीं बंटेगा क्योंकि हर हिंदू की आत्मा एकता में ही विश्वास करती है. संघ के स्वयंसेवक भी कभी भेदभाव नहीं करते।
महिला सशक्तिकरण पर बोले भागवत
भविष्य के भारत पर संघ का दृष्टिकोण रखते हुए मोहन भागवत ने समाज में महिलाओं की स्थिति पर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि विचार में तो हम महिलाओं को देवी मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि समाज में महिलाओं की स्थिति बेहद खराब है। उनके अनुसार सभी चीजों में महिलाओं की बराबरी की हिस्सेदारी होनी चाहिए।