जनजीवन ब्यूरो / नई दिल्ली । तीन तलाक पर केंद्र सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश को समस्त केरल जमीयत-उल-उलेमा ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सुन्नी मुसलमान विद्वानों और मौलवियों की इस धार्मिक संस्था ने याचिका दायर की है। बता दें कि, अध्यादेश आने के बाद से ही इसके खिलाफ मुस्लिम संस्थाओं की आवाज उठने लगी थी। कहीं इसे असंवैधानिक बताया जा रहा है तो कहीं भाजपा सरकार का राजनीतिक कदम।
इससे पहले बरेलवी उलेमाओं ने इस निर्णय को शरीयत में दखलअंदाजी मानते हुए इस अध्यादेश की खिलाफत करने का फैसला लिया था। बैठक में कहा गया था कि केंद्र सरकार जानबूझ कर देश के मुसलमानों को परेशान कर रही है।
चंद दिन पहले ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस अध्यादेश को मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ ठहराया था। उन्होंने कहा था कि इससे मुस्लिम महिलाओं को इंसाफ नहीं मिलेगा। उनका कहना था कि इस्लाम में शादी एक सामाजिक अनुबंध है और उसमें सजा का प्रावधान नहीं जोड़ा जाना चाहिए। ओवैसी ने अध्यादेश को संविधान में दिए गए समानता के अधिकार के खिलाफ बताया था। इसके पीछे उनका तर्क था कि यह सिर्फ मुसलमानों के लिए बनाया गया है।